NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 आत्मकथ्य कविता का सार for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board, Up Board, RBSE and Some other state Boards. We also Provides पाठ का सार और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर for score Higher in Exams.
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NCERT Solution of Class 10th Hindi Kshitij bhag 2/ क्षितिज भाग 2 Kavita Atmakatha / आत्मकथ्य Summary / कविता का सार Solution.
आत्मकथ्य Class 10 Hindi कविता का सार ( Summary )
मुंशी प्रेमचंद ने अपनी पत्रिका ‘हंस’ में छापने के लिए श्री जयशंकर प्रसाद से आत्मकथा लिखने का आग्रह किया था पर उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया था। उन्होंने आत्मकथा न लिख कर कविता के रूप में ‘आत्मकथ्य’ लिखा था, जो सन् 1932 में ‘हंस’ में छपा था। कवि ने इस कविता में जीवन के यथार्थ को प्रकट करने के साथ-साथ अनेक उन अभावों को भी लिखा था, जिन्हें उन्होंने झेला था। उन्होंने माना था कि उनका जीवन किसी भी सामान्य व्यक्ति के जीवन की तरह सरल और सीधा था जिसमें कुछ भी विशेष नहीं था वह लोगों की वाहवाही लूटने और उन्हें रोचक लगने वाला नहीं था।
जीवन रूपी उपवन में मन रूपी भंवरा गुनगुना कर चाहे अपनी-अपनी कहानी कहता हो पर उसके आस-पास पेड़ पौधों की न जाने कितनी पत्तियाँ मुरझा कर बिखरती रहती हैं। इस नीले आकाश के नीचे न जाने कितने जीवन-इतिहास रचे जाते हैं पर ये व्यंग्य से भरे होने के कारण पीड़ा को प्रकट करते हैं। क्या इन्हें सुन कर सुख पाया जा सकता है ? मेरा जीवन तो खाली गागर के समान व्यर्थ है, अभावग्रस्त है। इस संसार में व्यक्ति स्वार्थ भरा जीवन जीते हैं। वे दूसरों के सुखों को छीनकर स्वयं सुखी होना चाहते हैं। यह जीवन की विडंबना है। कवि दूसरों के धोखे और अपनी पीड़ा की कहानी नहीं सुनाना चाहता। वह नहीं समझता कि उसके पास दूसरों को सुनाने के लिए कोई मीठी बातें हैं। उसे अपने जीवन में सुख प्रदान करने वाली मीठी-अच्छी बातें दिखाई नहीं देतीं। उसे प्राप्त होने वाले सुख तो आधे रास्ते से ही दूर हो जाते हैं। उसकी यादें तो थके हुए यात्री के समान हैं जिसमें कहीं सुखद यादें नहीं हैं। कोई भी उसके मन में छिपी दुःख भरी बातों को क्यों जानना चाहेगा। उसके छोटे-से जीवन में कोई बड़ी उपलब्धियां नहीं हैं। इसलिए कवि अपनी कहानियां न सुनाकर केवल दूसरों की बातें सुनना चाहता है। वह चुप रहना चाहता है। कवि को अपनी आत्मकथा भोली-भाली और सीधी-सादी प्रतीत होती है। उसके हृदय में छिपी हुई पीड़ाएं मौन-भाव से थक कर सो गई थीं जिन्हें कवि जगाना उचित नहीं समझता। वह नहीं चाहता कि कोई उसके जीवन के कष्टों को जाने।