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Champa Kale Kale Akshar Nahi Chinti Class 11 Hindi Summary Chapter 1
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती कविता का सार
कवि त्रिलोचन द्वारा रचित यह कविता धरती नामक संग्रह में संकलित है। इसमें कवि ने निरक्षर लड़की चंपा के माध्यम से पलायनवादी प्रवृत्ति का निरूपण किया है तो पूर्वी प्रदेशों में एकाकीपन की पीड़ा झेल रही स्त्रियों की स्थिति को भी वर्णित किया है। कविता हमारी शिक्षा व्यवस्था के अंतर्विरोधों को भी स्पष्ट करती है। मनुष्य को आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए रोजगार की खोज में महानगरों का रुख करना पड़ता है जिससे परिवार टूटते हैं। चंपा इस विचारधारा का विरोध करती है। कवि ने इस कविता में वर्णित किया है कि चंपा निरक्षर होने के कारण उसे पढ़ता हुआ देखकर हैरान हो जाती है। वह समझ नहीं पाती कि काले-काले निशानों में से ये स्वर कैसे निकलते हैं। वह नटखट होने के कारण कभी कवि की कलम चुराती है तो कभी कागज़ गायब कर देती है। वह चरवाहे की बेटी है। अपना कार्य बड़ी कुशलता से निभाती है। कवि से पढ़ने-लिखने की सीख देता हुआ बताता है कि गांधी जी भी चाहते हैं कि सब पढ़ना-लिखना सीखें। परंतु चंपा को विश्वास नहीं होता। वह सोचती है कि गांधी जी घरों को तोड़ने वाली पढ़ाई को सीखने की बात कैसे कर सकते हैं। कवि उसे समझाता है कि शादी के बाद जब उसका पति कलकत्ता चला जाएगा तो वह उसको कैसे संदेश भेजेगी। उसके पत्र कैसे पढ़ेगी। यह सुनते ही चंपा का क्रोध फूट पड़ता है। वह निश्चय करती है कि वह विवाह नहीं करेगी। यदि विवाह हुआ तो पति को कहीं नहीं जाने देगी। अपने पास ही रखेगी। क्रोध को स्पष्ट करते हुए वह कहती है कि कलकत्ता पर वज्रपात हो जाए। कलकत्ता नष्ट हो जाए। न कलकत्ता रहेगा और न उसका पति वहाँ जाएगा। वह नहीं चाहती कि कोई भी घर के टूटने की पीड़ा को झेले ।