NCERT Class 6 Hindi बाल राम कथा Dandak Van mein das varash / दंडक वन में 10 वर्ष Chapter 6 Summary for Preparation of Exams and chapter understandings. Here we Provide Class 6 Hindi Question Answer, Important Questions, MCQ and Path ka Sar for Various State Boards like CBSE, Haryana Boards and Other baords. bal ram katha class 6 summary Chapter 6 solution Pdf download available soon.
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NCERT Class 6 Hindi बाल राम कथा / Bal Ram Katha Chapter 6 Dandak Van mein das varash / दंडक वन में 10 वर्ष Summary / पाठ का सार Solution.
दंडक वन में 10 वर्ष Class 6 Hindi Chapter 6 Summary
पाठ का सार
चित्रकूट से भरत अयोध्या लौट गए तो चित्रकूट में पहले जैसी शांति छा गई। राम ने विचार किया कि चित्रकूट अयोध्या से केवल चार दिन की दूरी पर है इसलिए यहाँ अयोध्यावासियों का आना-जाना लगा रह सकता है। उन्होंने वहाँ से दंडक वन जाने का निर्णय किया। अत्रि मुनि से विदा लेकर उन्होंने चित्रकूट छोड़ दिया। दंडकारण्य घना वन था। यहाँ के तपस्वियों को राक्षस तंग करते रहते थे। मुनियों ने राम का स्वागत करते हुए उन्हें मायावी राक्षसों से उनकी रक्षा करने के लिए कहा। सीता नहीं चाहती थी कि राम अकारण राक्षसों का वध करें। राम ने उन्हें समझाया कि मुनियों की साधना में विघ्न डालने वाले मायावी राक्षसों का विनाश करना उचित है।
राम, लक्ष्मण और सीता दंडकारण्य में दस वर्षों तक रहे। क्षरभंग मुनि के आशत्रम में उन्होंने ऋषियों के कंकालों का ढेर देखा। इन ऋषियों को राक्षसों ने मार दिया था। सुतीक्ष्ण मुनि ने भी राम को राक्षसों के अत्याचारों की कथाएँ सुनाई और अगस्त्य ऋषि से मिलने की सलाह दी। पंचवटी जाते हुए राम की भेंट जटायु से हुई। वह राजा दशरथ का मित्र था। उसने राम को वन में सहायता देने का वचन दिया। पंचवटी में लक्ष्मण ने सुंदर कुटिया बनाई। राम-लक्ष्मण ऋषियों के आश्रमों पर आक्रमण करने वाले राक्षसों का संहार भी करते रहे। अब वहाँ तपस्वियों के लिए शांतिपूर्ण वातावरण था।
एक दिन राम, लक्ष्मण और सीता कुटिया के बाहर बैठे हुए थे कि वहाँ लंका के राजा रावण की बहन शूर्पणखा ने मायावी रूप धारण कर राम से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। राम ने उसे कहा कि उनका विवाह हो चुका है और मेरी पत्नी मेरे साथ है। राम के मना करने पर वह लक्ष्मण के पास जाकर यही अनुरोध करती है तो वे भी इनकार कर देते हैं और उसे राम के पास भेज देते हैं। राम और लक्ष्मण के बीच भागते-भागते उसे क्रोध आ जाता है और वह सीता को मारना चाहती है। तभी लक्ष्मण तलवार से उसके नाक-कान काट देते हैं और वह खून से लथपथ रोती हुई अपने सौतेले भाइयों खर जाती है। और दूषण के पास
शूर्पणखा की दुर्दशा देखकर और उसकी इस दशा का कारण जान कर खर-दूषण क्रोध से भर गए। खर-दूषण ने पहले तो चौदह राक्षसों को राम से बदला लेने के लिए भेजा परंतु उनके मारे जाने पर स्वयं सेना लेकर राम से युद्ध करने पहुँचे और मारे गए। कुछ राक्षस जान बचा कर भाग गए। इनमें से अकंपन नामक राक्षस ने रावण को सारी घटना बता कर सीता का अपहरण करने की सलाह दी। रावण सीता हरण के लिए चला तो रास्ते में उसे मारीच मिला। मारीच ने रावण को ऐसा न करने की सलाह दी क्योंकि उसके अनुसार ऐसा करना विनाश को आमंत्रण देना होगा। वह राम की शक्ति से परिचित था रावण मारीच की बात मानकर चुपचाप लंका लौट गया।
शूर्पणखा विलाप करते हुए रावण के पास पहुँचकर उसे अपना दुखड़ा सुनाती है और राम-लक्ष्मण की वीरता की प्रशंसा करते हुए सीता की सुंदरता का वर्णन भी करती है। वह उसे कहती है कि वह तो सीता को उसके लिए लाना चाहती थी पर लक्ष्मण ने उस के नाक-कान काट दिए। उसने रावण को उनसे बदला लेने के लिए ललकारा। रावण फिर मारीच के पास जाकर उसे लेकर पंचवटी जाता है। वहाँ जाकर मारीच मायावी सोने के हिरण रूप धारण कर राम, लक्ष्मण और सीता की कुटिया के पास घूमने लगता है। रावण एक तपस्वी का वेश बनाकर एक पेड़ के पीछे छिप जाता है। सीता उस सोने के हिरण पर मुग्ध होकर राम को उसे पकड़ लाने के लिए कहती है। राम-लक्ष्मण को वन में सोने के हिरण के होने पर संदेह था परंतु सीता के लिए राम सोने का हिरण लेने चले जाते हैं और लक्ष्मण को सीता को अकेला न छोड़ने का आदेश दे जाते हैं।