NCERT Solution of Class 10 Hindi कृतिका भाग 2 Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक Question Answer for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board, Up Board, RBSE and Some other state Boards. We also Provides पाठ का सार और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर for score Higher in Exams.
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NCERT Solution of Class 10th Hindi Kritika bhag 2/ कृतिका भाग 2 chapter 2 George Pancham ki Naak Textual Question And Answer Solution.
जॉर्ज पंचम की नाक Class 10 Hindi प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है। वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है ?
उत्तर – हमारा देश चाहे पिछले अनेक वर्षों से स्वतंत्र हो चुका है पर यहां अभी भी मानसिक गुलामी का भाव विद्यमान है। सरकारी तंत्र अपने देश की मान-मर्यादा की रक्षा करने की अपेक्षा उन विदेशियों के तलवे चाटने की इच्छा करता है जिन्होंने लंबे समय तक देशवासियों को अपने पैरों तले कुचला था, परेशान किया था और देश भक्तों को अपने जुल्मों का शिकार बनाया था। सरकारी तंत्र की चिंता और बदहवासी का कोई कारण नहीं था पर फिर भी वह अकारण परेशान था। उसे अपनी, अपनी जनता और देश की मान-मर्यादा से अधिक चिंता उस पत्थर की नाक की थी जिसे आंदोलनकारियों ने अपने गुस्से का शिकार बना दिया था। इससे सरकारी तंत्र की अदूरदर्शिता, संकुचित सोच और जनता के पैसे के अपव्यय के साथ-साथ अखबारों में छपने की तीव्र इच्छा प्रकट होती है। उनकी गुलाम मानसिकता किसी भी दृष्टि से सराहनीय नहीं कही जा सकती।
प्रश्न 2. रानी एलिज़ाबेथ के दरज़ी की परेशानी का क्या कारण था ? उसकी परेशानी को किस प्रकार तर्क संगत ठहराएंगे ?
उत्तर – रानी एलिज़ाबेथ के दरज़ी की परेशानी का कारण रानी के द्वारा पहने जाने वाले वस्त्रों की विविधता, सुंदरता और आकर्षण था जो हमें हिंदुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर लोगों और सरकारों के बीच प्रकट करनी थी।
दरजी की परेशानी उसकी अपनी दृष्टि से तर्कसंगत थी । हर व्यक्ति अपने द्वारा किए गए कार्य को सर्वश्रेष्ठ रूप में प्रस्तुत करना चाहता है ताकि वह दूसरों के द्वारा की जाने वाली प्रशंसा को सहज रूप से बटोर सके। एलिज़ाबेथ उस देश की रानी थी जिसने उन देशों पर राज्य किया था जहाँ अब वह दौरे के लिए पधार रही थी। हर व्यक्ति की दृष्टि में पहली झलक शारीरिक सुंदरता और वेशभूषा की ही होती है और उसी से वह बाहर से आने वाले के बारे में अपने विचार बनाने लगता है इसलिए दरज़ी रानी के लिए अति सुंदर और उच्च स्तरीय वस्त्र तैयार करना चाहता था। उसकी
परेशानी तर्कसंगत और सार्थक है।
प्रश्न 3. ‘और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा’-नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे ?
उत्तर – जब रानी एलिज़ाबेथ ने तीन देशों की यात्रा में सबसे पहले हिंदुस्तान आने का निश्चय किया तो सरकार तो प्रसन्नता और उत्साह से भर उठी होगी। नयी दिल्ली की शोभा के माध्यम से सारे देश की झलक दिखा देने का भाव उत्पन्न हो गया होगा। नयी दिल्ली की वे सड़कें जो धूल-मिट्टी से भरी रहती हैं उन्हें अच्छी तरह साफ़ किया होगा, उन्हें संवारा गया होगा, उनकी टूट-फूट ठीक गई होगी। जगह-जगह बंदन वार और फूलों से सजे स्वागत द्वार लगाए गए होंगे। रानी के स्वागत में बड़े-बड़े बैनर और रंग-बिरंगे बोर्ड तैयार किए गए होंगे। सड़क किनारे उगे झाड़-झंखाड़ काटे गए होंगे और घास को संवारा गया होगा। न जाने कहां-कहां से ला कर फूल-पौधों के गमले सजा दिए गए होंगे।
प्रश्न 4. आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं ?
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है ?
उत्तर – (क) चर्चित हस्तियों के पहनावे, खान पान संबंधी आदतों आदि के बारे पत्र-पत्रिकाओं में छपे वर्णन से सामान्य लोग उन तथा कथित बड़े लोगों के निजी जीवन की शाब्दिक झलक तो पा सकते हैं जिनके बारे में वे न जाने क्या-क्या सोचते हैं। जिस जीवन को वे जी नहीं सकते, निकट से देख नहीं सकते उसकी शब्दों और तस्वीरों के माध्यम से उनकी जीवन-शैली का अहसास तो कर ही सकते हैं। इस प्रकार की पत्रकारिता में कुछ भी अनुचित नहीं है। पत्रकारिता का जो उद्देश्य है, वे पत्रों के माध्यम से वही पूरा करते हैं।
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता को केवल चर्चित हस्तियों के बारे में सतही जानकारी ही प्रदान नहीं करती बल्कि उन्हें भी उनकी तरह जीने की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। युवा वर्ग तो उनके जीवन-स्तर से शीघ्र प्रभावित हो कर वैसा ही करना चाहता है जैसा वे करते हैं। कभी-कभी ऐसा करते हुए वे ग़लत मार्ग की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं। अधिक धन न होने के कारण वे अनुचित तरीके से धन प्राप्त करने की चेष्टा करने लगते हैं और अपराध मार्ग की ओर बढ़ जाते हैं।
प्रश्न 5. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए ?
उत्तर – मूर्तिकार ने जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए सारे देश के पर्वतीय क्षेत्रों का भ्रमण किया। पत्थरों की खानों को देखा। इससे पहले पुरातत्व विभाग से यह जानने की भी कोशिश की थी मूर्ति कहां बनी, कब बनी और किस पत्थर से बनी। मूर्ति जैसा पत्थर प्राप्त न कर पाने के कारण देश भर के महापुरुषों की मूर्तियों की नाक उस मूर्ति पर लगाने का प्रयत्न किया लेकिन सभी मूर्तियों की नाक लंबी होने के कारण वह ऐसा कर नहीं पाया। उसने अपनी हिम्मत बनाए रखते हुए जॉर्ज पंचम की नाक की जगह देशवासियों में से किसी की जिंदा नाक लगाने का प्रस्ताव रखा जिसे स्वीकार कर लिया गया। उसने इंडिया गेट के पास तालाब को सुखा कर साफ़ किया। उसकी रवाब निकलवाई और उसमें ताजा पानी भरवाया ताकि जिंदा नाक लगने के बाद सूख न पाए।
प्रश्न 6. प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाइलें’ सब कुछ हजम कर चुकी हैं।’ ‘सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ ताका’। पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छांट कर लिखिए।
उत्तर –(क) शंख इंग्लैंड में बज रहा था, गूंज हिंदुस्तान में आ रही थी।
(ख) और देखते-देखते नयी दिल्ली का कायापलट होने लगा।
(ग) अगर यह नाक नहीं है तो हमारी भी नाक नहीं रह जाएगी।
(घ) दिमाग खरोंचे गए और यह तय किया गया कि हर हालत में इस नाक का होना बहुत ज़रूरी है।
(ङ) जैसे भी हो, यह काम होना है।
(च) इस मेहनत का फल हमें मिलेगा…आने वाला ज़माना खुशहाल होगा।
(छ) लाहनत है आपकी अक्ल पर ! विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं।
(ज) लेकिन बड़ी होशियारी से।
प्रश्न 7. नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभर कर आई है ? लिखिए।
अथवा
‘जार्ज पंचम की नाक’ पाठ का मूल भाव अथवा निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – वास्तव में ही नाम मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की द्योतक है। रानी एलिज़ाबेथ का चार सौ पौंड का हल्का नीला सूट उस की नाक-सम्मान और प्रतिष्ठा का द्योतक है तो दरजी की चिंता उसके नाक की प्रतिष्ठा को प्रकट करती है कि कहीं उसकी सिलाई-कढ़ाई रानी के स्तर से कुछ नीचे न रह जाए। अखबारों के नाक की प्रतिष्ठा इस बात में छिपी है कि कोई भी, कैसी भी खबर छपने से रह न जाए। रानी के इंग्लैंड में रहने वाले कुत्ते की भी फोटो समेत खबर हिंदुस्तान की जनता को अखबारों में दिख जानी चाहिए। सरकार की नाक तभी ऊँची रह सकती है जब सदा धूल-मिट्टी से भरी रहने वाली टूटी-फूटी सडकें विदेशियों के सामने जगमगाती दिखाई दें। आंदोलन करने वालों के नाक की ऊंचाई इसी बात पर टिकती है कि वे और कर सकें या न कर सके पर पत्थर की बनी जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक भला क्यों सही सलामत रह जाए। इससे लाभ होगा या हानि, उन्हें इस बात से कुछ लेना-देना नहीं है उन्होंने एक बार निर्णय कर लिया कि मूर्ति की नाक नहीं रहनी चाहिए तो वह नहीं रहेगी। देश के शुभचिंतकों ने एक बार ठान लिया कि मूर्ति की नई नाक लगानी है तो वह लगेगी क्योंकि अह उनके मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रश्न था। इसके लिए चाहे कितना भी धन व्यर्य करें, देश के महान् नेताओं की मूर्तियों की नाक हटवाएं या किसी जिंदा व्यक्ति की नाक ही क्यों न लगवाएं। मूर्तिकार की नाक इसी में ऊँची रहनी थी कि वह किसी भी प्रकार कैसी भी नाक मूर्ति को लगा दे। ऐसा न कर पाने पर उसकी नाक तो दाव पर लग जाती। लेखक ने अपनी व्यंग्य रचना में नाक को मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का द्योतक मान कर अपनी बात को स्पष्ट किया है कि सब का अहं उन्हें ऊँचे स्थान पर प्रतिष्ठित करना चाहता है। इसी से उनके नाक की ऊंचाई बनी रह सकती है।
प्रश्न 8. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि किसी भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस और संकेत करना चाहता है ?
उत्तर – जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता या बच्चे की नाक फिट न हो सकने की बात से लेखक ने यह संकेत किया कि सभी भारतीय अपनी मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा को सदा ध्यान में रखने वाले थे उन्होंने किसी दूसरे के देश की भूमि पर अपनी नाक स्थापित करने की कोशिश कभी नहीं की थी। इंग्लैंड की सत्ता ही ऐसी थी जो देश देश में अपनी नाक को प्रसैड कर अपना प्रभुत्व दिखाना चाहती थी पर इससे उनकी प्रतिष्ठा नहीं बढ़ी थी, चाहे राजनैतिक लाभ उन्हें प्राप्त हुए थे। भारतीय बच्चे भी देश के लिए मर मिटने को तैयार थे। वे देश की स्वतंत्रता चाहते थे ताकि उनकी नाक ऊँची हो और विदेशी सत्ता की नाक नीची हो।
प्रश्न 9. अख़बारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया ?
उत्तर – अख़बारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को केवल इतना ही प्रस्तुत किया कि नाक का मसला हल हो गया है और राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट के नाक लग रही है।
प्रश्न 10. “नयी दिल्ली में सब था……. चाहता है ? . सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना
उत्तर – लेखक इस माध्यम से कहना चाहता है कि देश की स्वतंत्रता के बाद नयी दिल्ली में अब सब कुछ था। केवल जॉर्ज पंचम का अभिमान और मानमर्यादा की ऊँची नाक यहाँ नहीं थी। अंग्रेज़ी राज्य के उनकी यहां तूती बोलती थी, उन्हीं का आदेश चलता था पर अब तो इंडिया गेट के निकट लगी उसकी मूर्ति की नाक भी शेष नहीं बची थी।
प्रश्न 11. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अख़बार चुप थे ?
उत्तर – जॉर्ज पंचम की मूर्ति को चालीस करोड़ भारतीयों में से किसी एक की जिंदा नाक लगाने का जिम्मा मूर्तिकार ने लिया था अखबारों में छप गया था कि उसे जिंदा नाक लगा दी गई। भारतवासियों को ऐसा लगा जैसे उन सबकी नाक कट गई। सबका घोर अपमान हुआ। आजाद देश में उस व्यक्ति की मूर्ति को जिंदा नाक लगाई गई जिसने सारे देश को गुलामी की बेड़ियों में जकड़ रखा था । इस अपमानजनक सुविचारित घटना के बाद अख़बार चुप थे। इस अपमान से पीड़ित होने के कारण उनके पास कहने के लिए कुछ भी शेष नहीं बचा था।