HBSE Class 10 Hindi Important जीवन परिचय 2024 – क्षितिज भाग 2 Solution PDF

NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Important Jivan Parichay Question Answer solution with pdf. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, CBSE and HBSE Important Questions, Important Questions and old Question Papers for Students.

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HBSE ( Haryana Board ) Solution of Class 10th Hindi Kshitij bhag 2/ क्षितिज भाग 2 important जीवन परिचय /  jivan parichay Solution.

HBSE Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Important जीवन परिचय for 2023-2024



निम्नलिखित का जीवन परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए


Class 10 Hindi यशपाल जीवन परिचय Most Important


जीवन परिचय :- यशपाल हिंदी साहित्य के एक महान कथकार हैं। उनका जन्म 3 दिसम्बर, 1903 ई. को फिरोजपुर छावनी में हुआ। उन्होंने अपनी आरम्भिक शिक्षा गुरुकुल कांगड़ी में प्राप्त की। सन् 1921 के बाद वे सशस्त्र क्रान्ति के आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने लगे। धीरे-धीरे उनका झुकाव मार्क्सवाद की ओर होने लगा। दिल्ली में जब वे बंब बना रहे थे तो उनको गिरफ्तार कर लिया गया। 1936 को बरेली जेल में उन्होंने प्रकाशवती कपूर से विवाह कर लिया। एक साहित्यकार के रूप में उन्होंने हिंदी साहित्य की काफी सेवा की। सन् 1976 में इस महान साहित्यकार का देहान्त हो गया।

प्रमुख रचनाएँ – यशपाल जी की प्रमुख रचनाएँ हैं-
उपन्यास – दादा कामरेड, देशद्रोही, पार्टी कामरेड, अप्सरा का श्राप, झूठा सच।
कहानी संग्रह -पिंजरे की उड़ान, तर्क का तूफान, सच बोलने की भूल ।
नाटक – नशे की बात, रूप की परख गुडबाई दर्द दिल ।
व्यंग्य लेख – चक्कर क्लब ।
संस्मरण – सिंहावलोकन ।
निबन्ध – न्याय का संघर्ष, मार्क्सवाद, रामराज्य की कथा ।

साहित्यिक विशेषताएँ – मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित होने के कारण यशपाल जी ने अपने उपन्यासों तथा कहानियों में यथार्थ का वर्णन किया है। उन्होंने रूढ़ियों से ग्रस्त मध्यवर्गीय लोगों की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला है। कुछ उपन्यासों में यशपाल ने श्रमिक वर्ग के कष्टों और दुःखों का यथार्थ वर्णन किया है। ‘दिव्या’ नामक उपन्यास में उन्होंने पग-पग पर दलित नारी की करुण कथा का वर्णन किया है। उन्होंने अपने दृष्टिकोण के आधार पर समाज की गली सड़ी रूढ़ियां तथा विसंगतियों पर जम कर प्रहार किया है।

भाषा-शैली – यशपाल जी ने सहज, सरल तथा भावानुकूल हिंदी भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने अपने उपन्यासों तथा कहानियों में आम आदमी की भाषा का प्रयोग किया है। यही कारण है कि उनका साहित्य जन साधारण में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। उन्होंने प्रायः वर्णनात्मक, संवादात्मक तथा व्यंग्यात्मक शैलियों का प्रयोग किया। भाषा के बारे में यशपाल जी का बड़ा उदार दृष्टिकोण था। उन्होंने यथासंभव विषयानुसार उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का भी सफल प्रयोग किया है।


Class 10 Hindi मन्‍नू भण्डारी जीवन परिचय Most Important


लेखिका परिचय :- श्रीमती मन्नू भंडारी का नाम आधुनिक कथाकारों, उपन्यासकारों एवं नाटककारों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। इनका जन्म 2 अप्रैल, 1931 को मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में हुआ। उनका मूल नाम महेंद्र कुमारी था। इनका बचपन अजमेर में व्यतीत हुआ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इन्होंने एम०ए० (हिंदी) की परीक्षा पास की। हिन्दी में एम.ए. परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने पहले दिल्ली में फिर कलकत्ता में अध्यापन कार्य किया। दिल्ली के मिरांडा हाऊस से सेवानिवृत्त होने के बाद वे दिल्ली में स्वतंत्र लेखन कर रही हैं। कलकत्ता रहते हुए ही इनका विवाह सन् 1959 में श्री राजेंद्र यादव से हुआ। इनके पति राजेन्द्र यादव हिन्दी के एक प्रसिद्ध कहानीकार हैं। मन्नू भंडारी की कहानियों पर फिल्में भी बनी हैं और उनका नाट्य रूपांतर भी हुआ ।

साहित्यिक रचनाएँ – श्रीमती मन्नू भंडारी ने विविध विधाओं की रचना पर अपनी लेखनी सफलतापूर्वक चलाई है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) कहानी संग्रह- ‘तीन निगाहों की तस्वीर’, ‘एक प्लेट सैलाब’, ‘त्रिशंकु’, ‘यही सच है’, ‘मैं हार गई’, ‘आँखों देखा झूठ जादि।
(ii) उपन्यास ‘महाभोज’, ‘आपका बंटी’, ‘एक इंच मुस्कान’, ‘स्वामी’
(iii) नाटक- ‘बिना दीवारों के पर

साहित्यिक विशेषताएँ – इनकी कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे जिंदगी को सीधे समझने और जाँचने वाली, बेबाक और प्रेरणादायी है श्रीमती मन्नू भंडारी की कहानियों के कथानक रोचक, जिज्ञासा से युक्त, सरल एवं मौलिक हैं।मन्नू भंडारी ने अपनी कहानी तथा उपन्यासों में सम-सामयिक समस्याओं को उठाने का प्रयास किया है उन्होंने गली सड़ी परंपराओं, रूढ़ियों के प्रति विद्रोह के स्वर को मुखरित किया है। लेखिका ने आज के पारिवारिक जीवन के अतिरिक्त नारी जीवन से जुड़े विभिन्न प्रश्नों पर भी प्रकाश डाला है।

भाषा-शैली– मन्नू भंडारी ने अपनी रचनाओं में सहज, सरल हिन्दी भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने प्रायः वर्णनात्मक, संवादात्मक शैलियों का प्रयोग किया । उनके वाक्य छोटे-छोटे परन्तु सटीक होते हैं। उनके संवाद बड़े संक्षिप्त तथा पात्रानुकूल हैं। इससे स्पष्ट होता है कि उनका भाषा पर पूर्ण अधिकार रहा है।


Class 10 Hindi रामवृक्ष बेनीपुरी जीवन परिचय Most Important


सामान्य जीवन परिचय –
जन्म – 1899 ई० में
स्थान – बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गाँव में ।
जीवन – माता-पिता का निधन बचपन में ही हो जाने के कारण जीवन के आरंभिक वर्ष अभावों कठिनाइयों और संघर्षों में बीते। दसवीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे सन् 1920 में राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़ गए। कई बार जेल भी गए।
मृत्यु – 1968 ई० में।

साहित्यिक रचनाएं – उनका पूरा साहित्य बेनीपुरी रचनावली के आठ खंडों में प्रकाशित है। उनकी रचना यात्रा के महत्त्वपूर्ण पड़ाव हैं-

  • पतितों के देश में (उपन्यास)
  • चिता के फूल (कहानी)
  • माटी की मूरतें (रेखाचित्र)
  • पैरों में पंख बाँधकर (यात्रा-वृत्तांत)
  • जंजीरें और दीवारें (संस्मरण)

साहित्यिक विशेषताएं – उनकी रचनाओं में स्वाधीनता की चेतना, मनुष्यता की चिंता और इतिहास की युगानुरूप व्याख्या है। विशिष्ट शैलीकार होने के कारण उन्हें ‘कलम का जादूगर’ कहा जाता है। गद्य की विविध विधाओं में उनके लेखन को व्यापक प्रतिष्ठा मिली। बेनीपुर जी की भाषा सहज, सरल तथा साहित्यिक हिंदी भाषा है। उनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का मिश्रण देखा जा सकता है। उन्होंने प्राय अलंकृत भाषा का प्रयोग किया है और उनकी भाषा शैली भावुकता प्रधान है।

भाषा-शैली-

  • लेखक  की भाषा शैली सरल और सहज है।
  • लेखक ने तत्सम, तद्भव शब्दों का प्रयोग किया है।
  • रामवृक्ष बेनीपुरी ने प्रायः अंलकृत भाषा का प्रयोग किया है। उनकी शैली भावुकता प्रधान है। इस प्रकार की भाषा शैली संस्मरणों तथा रेखाचित्रों के लिए सर्वथा उचित होती है।

Class 10 Hindi स्वयं प्रकाश जीवन परिचय


सामान्य जीवन परिचय – स्वयं प्रकाश का जन्म सन् 1947 में मध्य प्रदेश के इंदौर नगर में हुआ। उन्होंने अपना बचपन राजस्थान में व्यतीत किया। आरंभिक अध्ययन पूरा करके मैकेनिकल इजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की और एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने लगे। उनके जीवन का अधिकांश समय राजस्थान में व्यतीत हुआ। कालांतर में अपनी इच्छा से सेवानिवृत्त होकर वे भोपाल चले आए। आजकल वे यहीं पर जीवन यापन कर रहे हैं और ‘वसधा’ नामक पत्रिका का संपादन कर रहे हैं। पहल सम्मान’ वनमाली पुरस्कार तथा राजस्थान अकादमी पुरस्कार से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।

साहित्यक रचनाएँ- स्वयं प्रकाश हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार हैं। उनके 13 कहानी-संग्रह तथा पाँच उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें उल्लेखनीय रचनाएँ हैं-
कहानी संग्रह- सूरज कब निकलेगा’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘आदमी जात का आदमी’ और ‘संधान’ उल्लेखनीय हैं।
प्रमुख उपन्यास- बीच में विनय, ईंधन।

साहित्यिक विशेषताएँ- स्वयं प्रकाश सामाजिक जीवन के कुशल चितेरे माने जाते हैं। उन्होंने अपनी कहानियों तथा उपन्यासों में वर्ग शोषण की समस्या को उठाया है। वे शोषकों तथा पूंजीपतियों के अत्याचारों का वर्णन करते हुए सर्वहारा वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं अपनी कुछ कहानियों में स्वयं प्रकाश कसबाई बोध का बड़ा ही सजीव वर्णन करते हैं। उन्होंने जातीय भेदभाव का विरोध करते हुए कहानियाँ लिखी हैं। देशभक्ति की नारेबाजी के स्थान पर वे सामान्य मानव के आचरण में वे देश प्रेम को देखना चाहते हैं उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक तथा राजनैतिक समस्याओं को भी उठाया है।

भाषा-शैली-

  • लेखक स्वयं प्रकाश की भाषा शैली सरल और सहज है।
  • लेखक ने तत्सम, तद्भव, उर्दू, फारसी और अंग्रेजी के शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया है।

Class 10 Hindi यतीन्द्र मिश्र जीवन परिचय


जीवन परिचय :- यतीन्द्र मिश्र ने साहित्य और कला के संवर्द्धन में काफी योगदान दिया है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर में सन् 1977 ई. में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय से मिश्र जी ने एम.ए. हिन्दी की उपाधि प्राप्त की। सन् 1999 ई. से ‘बिमला देवी फाउन्डेशन’ नामक सांस्कृतिक न्यास का संचालन रहे हैं। यह संस्थान साहित्य तथा कला के विकास की तरफ विशेष ध्यान दे रहा है। यतीन्द्र मिश्र ने ‘भारतभूषण अग्रवाल कविता सम्मान’, ‘हेमन्त स्मृति कविता पुरस्कार’, ‘ऋतुराज’ आदि पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है। वे स्वतन्त्र लेखन कर रहे हैं ‘सहित’ नामक अर्धवार्षिक पत्रिका का संपादन भी कर रहे हैं।

साहित्यिक रचनाएँ – मिश्र जी के तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ये हैं-यदा-कदा, अयोध्या तथा अन्य कविताएँ, ड्योढ़ी पर आलाप। उन्होंने शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन और व्यक्तित्व पर गिरिजा नामक पुस्तक लिखी है। उन्होंने सुप्रसिद्ध कवि पर दो पुस्तकों की रचना की है और स्पिक मैके के लिए विरासत 2001 कार्यक्रम के लिए थाती नामक पत्रिका का सम्पादन भी किया है।

साहित्यिक विशेषताएँ – यतीन्द्र मिश्र ने अपनी साहित्यिक रचनाओं में संस्कृति के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला है। संगीत तथा अन्य ललित कलाओं को वे समाज से जोड़ते दिखाई देते हैं। विशेषकर विभिन्न कलाकारों तथा उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालने में मिश्र जी को विशेष सफलता प्राप्त हुई है। जहाँ तक उनकी काव्य रचनाओं का प्रश्न है, इनमें वे विभिन्न सामाजिक समस्याओं का चित्रण करते। हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने समाज को बड़ी निकटता से देखा है।

भाषा-शैली – यतीन्द्र मिश्र ने प्रायः सहज, सरल तथा प्रवाहमयी साहित्यिक हिन्दी भाषा का प्रयोग किया है। उनका शब्द चयन तथा वाक्य विन्यास प्रसंगानुकूल तथा भावानुकूल है। क्योंकि उनकी रचनाओं में भावुकता तथा सुगमता का अनूठा मिश्रण है। इसलिए प्रायः वे भावानात्मक शैली का ही प्रयोग करते हैं। संस्कृत के तत्सम शब्दों के अतिरिक्त वे उर्दू तथा लोक भाषा के शब्दों का मिश्रण करते हैं। कहीं-कहीं उन्होंने सूक्तियों तथा मुहावरों का भी प्रयोग किया है।


 

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