Class 11 and 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam NCERT Book Chapter Kaise kare kahani ka natya rupantaran / कैसे करे कहानी का नाट्य रूपांतरण Question Answer with PDF File download for CBSE and Other State Boards where NCERT Book is Followed.
Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam Question Answer
प्रश्न 1 कहानी और नाटक में क्या समानता होती है?
उत्तर— कहानी और नाटक में निम्नलिखित समानताएं होती हैं–
कहानी | नाटक |
|
|
प्रश्न 2 स्थान और समय का ध्यान में रखते हुए ‘दोपहर का भोजन’ कहानी को विभिन्न दृश्यों में विभाजित करें। किसी एक दृश्य का संवाद भी लिखे।
उत्तर— दोपहर का भोजन कहानी में पहला दृश्य सिद्धेश्वरी के घर की दयनीय दशा और टूटी खाट पर लेटा उसका सबसे छोटा बेटा। तुलसी दृश्य में सिद्धेश्वरी का बार-बार दरवाजे से एक गली में आते जाते को देखना। तीसरे दृश्य में थके हारे रामचंद्र का आकर हताश-सा बैठाना खाना खाना। मोहन के संबंध में बातचीत करना। अगले दृश्य में रामचंद्र का भोजन करके चले जाना और मोहन का खाना खाने के लिए आना। मां बेटे की बातचीत। मोहन भोजन करके जाता है। अगले दृश्य में चंद्रिका प्रसाद का परेशान मुद्रा में आना। भोजन करना। पति-पत्नी का वार्तालाप। अगले दृश्य में सीधेश्वरी का खाना खाने बैठना । सोए हुए पुत्र को देखना आधी रोटी उसके लिए रखना। अंतिम दृश्य में आंसू बहते हुए सिद्धेश्वरी का भोजन करना , घर में मक्खियों का भिनभिनाना और चंद्रिका प्रसाद का निश्चिंतापूर्वक सोना।
दृश्य 3
(रामचंद्र थका हारा घर में आता है। सिद्धेश्वरी उसके हाथ पर धुलवाती है। वह पटरा लेकर बैठ जाता है। चिन्ह भरी उसके सामने थाली में खाना लगा रख देती है।)
सिद्धेश्वरी–खाना खाओ बेटा! (रामचंद्र चुपचाप खाना खाने लगता है। सिद्धेश्वरी उसे पंखा जलने लगती है।)
सिद्धेश्वरी–दफ्तर में कोई बात हो गई है क्या?
रामचंद्र–नहीं तो, रोज जैसा ही था।
सिद्धेश्वरी–इतने चुप क्यों हो?
रामचंद्र–लाला काम इतना लेता है पर पैसे देते हुए मरता है।
सिद्धेश्वरी–कोई बात नहीं, जब तक कहीं और काम नहीं मिलता सहन करना ही पड़ेगा।
रामचंद्र–वह तो है ही। (सिद्धेश्वरी उसे और रोटी लेने के लिए कहती है पर वह सिर हिलाकर इंकार कर देता है। रामचंद्र हाथ धोकर बाहर निकल जाता है।)
प्रश्न 3 कहानी का नाट्य रूपांतरण में समानता का विशेष महत्व होता है। नीचे ईदगाह कहानी से संबंधित कुछ चित्र दिए जा रहे हैं। इन्हें देखकर संवाद लिखें।
उत्तर—
महमूद (पैसे गिनते हुए)-अरे, सुन। मेरे पास पूरे 12 पैसे हैं।
मोहसिन-और मेरे पास तो 15 है। तेरे पास कितने हैं, हामिद?
हामिद-अभी तो मेरे पास कुछ भी नहीं है। अभी जाता हूं घर, और ले कर आता हूं दादी जान से।
महमूद- हां, हां। भाग कर जा। ईदगाह जाना है। बहुत दूर है वह यहां से।
हामिद- ( कोटरी के दरवाजे से ) दादी जान। सब मेला देखने जा रहे हैं। मुझे भी पैसे दो। मैं भी मेला देखने जाऊंगा।
अमीना – (आंखें पहुंचते हुए ) बेटा इतनी दूर वहां कैसे जाएगा?
हामिद- ( उत्साहपूर्वक ) सबके साथ। सभी तो जा रहे हैं।
अमीना- ( बटवा खोलते हुए ) ले बेटा, 30 पैसे हैं। संभल कर जाना। सब एक साथ रहना।
हामिद- ( उत्साह में भरकर ) नहीं दादी हम इकट्ठे ही रहेंगे।
मोहसिन- अरे तेज तेज चलो। हमें वहां जल्दी पहुंचना है। अरे देख तो..……….।
महमूद-कितने मोटे मोटे आम लगे हैं इन पेड़ों पर।
हामिद-लीचीयां भी लगी है।
मोहसिन-तोड़े, इन्हें।
हामिद-अरे, नहीं। माली पिटेगा।
महमूद-देख तो इन्हें, कितनी बड़ी-बड़ी इमारतें हैं।
मोहसिन- हां। यह कॉलेज है और वह अदालत।कॉलेज में बड़े बड़े आदमी पढ़ते हैं और बड़ी बड़ी मूछों वाले।
हामिद-वह क्यों पढ़ते हैं अब तक? मेरे मदरसे में तो दो-तीन बड़े बड़े लड़के पढ़ते हैं। रोज मार खाते हैं। कॉलेज में भी बड़े बड़े लड़के मार ही खाते होंगे।
महमूद-कितनी भीड़ है यहां तो? लोगों के कपड़े देख। कितने सुंदर हैं। और..…….. इतनी मोटरें।
मोहसिन- ( चिल्लाकर ) ओ! सामने देखा। कितनी बड़ी ईदगाह।
हामिद-सब लोग कतारों में खड़े हैं। इतने लोग। सब सिजदे में झुक रहे हैं।
महमूद-आओ, गले मिलेंगे। नमाज के बाद सब गले मिलते हैं।
मोहसिन-हां, हां। आओ हम ही तुम भी।
महमूद-अब तो हम खिलौने खरीदेंगे।
मोहसिन -अरे, यह भिश्ती देख। झुकी हुई कमर है इसकी। इसकी मशक तो देख।
महमूद-मैं तो सिपाही लूंगा, बंदूक वाला। उसकी पगड़ी तो लाल है। खाकी वर्दी पहने हैं अरे नूरे तू क्या लेगा?
नूरा-मैं तो वकील लूंगा। काला चोला पहन रखा है उसने। हमीद, तू क्या लेगा?
हामिद-इनमें से कुछ भी नहीं। मिट्टी के ही तो बने हैं। गिरते ही चकनाचूर।
मोहसिन- अरे, यह तो अपने पैसे बचा रहा है।
सम्मी- हां, इसके पास कुल 30 ही तो पैसे हैं। क्या लेगा बेचारा उनसे। आओ, आओ। हम तो मिठाई खरीदेंगे।
हामिद- ( हाथ में चिमटा लिए हुए ) देखो, मैंने क्या खरीदा।
मोहसिन- ( हंसकर ) अरे, चिमटे का क्या करेगा? क्या इससे खेलेगा?
हामिद- ( चिमटा दिखाते हुए ) देखो तो सही। कितना मजबूत है। लोहे का बना है।
मोहसिन- तो क्या?
हामिद- ( चिमटा नीचे फेंकते हुए ) तू भी अपना भिश्ती नीचे से फेंक कर दिखा। टुकड़े टुकड़े हो जाएगा तेरा मिट्टी का खिलौना।
महमूद- तेरा चिमटा कोई खिलौना है।
हामिद-और क्या! यह कंधे पर रखने से बंदूक हैं। यह फकीरों का चिमटा भी है और मंजीरा भी।
सम्मी- अरे, मेरी खंजरी देख जरा।
हामिद- मेरा चिमटा तो तेरी खंजरी का जब चाहे पेट फाड़ दे। इसके सामने तो सिपाही भी मिट्टी की बंदूक छोड़कर भाग जाए।
मोहसिन- हां भाई, इसका चिमटा तो रुस्तम ए हिंद है।
महमूद-हामिद, तुम मेरा खिलौना ले लो और मुझे अपना चिमटा दे दो।
हामिद- न भाई। मैं तो यह अपनी दादी के लिए लाया हूं। रोटियां सेकते हुए उसकी उंगलियां जल जाती थी।
मोहसिन-बड़ा सयाना है, तू तो।
हामिद- ( दादी को चिमटा देते हुए ) लो दादी चिमटा। मेले से तुम्हारे लिए लाया हूं। अब तुम्हारी उंगलियां नहीं जला करेंगी। ( दादी हामिद को गले लगाते हैं। )
Download Kaise kare kahani ka natya rupantaran Question Answer in PDF