Class 11 and 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam NCERT Book Chapter Vibhinn madhyam ke liye lekhan / विभिन्न माध्यम के लिए लेखन Question Answer with PDF File download
Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam Question Answer
प्रश्न 1 नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर के लिए चार चार विकल्प दिए गए हैं। सटीक विकल्प पर ✓ का निशान लगाइए
क. इंटरनेट पत्रकारिता आजकल बहुत लोकप्रिय है क्योंकि
- इससे दृश्य एवं प्रिंट दोनों माध्यमों का लाभ मिलता है।
- इससे खबरें बहुत तीव्र गति से पहुंचाई जाती हैं।
- इससे खबरों की पुष्टि तत्काल होती है।
- इससे न केवल खबरों का संप्रेषण, पुष्टि, सत्यापन होता है बल्कि खबरों के बैकग्राउंड तैयार करने में तत्काल सहायता मिलती है।
उत्तर- ✓इससे न केवल खबरों का संप्रेषण, पुष्टि,सत्यापन होता है बल्कि खबरों के बैकग्राउंड तैयार करने में तत्काल सहायता मिलती है।
ख. टी० वी० पर प्रसारित खबरों में सबसे महत्वपूर्ण है
- विजुअल
- नेट
- बाइक
- उपर्युक्त सभी
उत्तर- उपर्युक्त सभी
ग. रेडियो समाचार की भाषा ऐसी हो
- जिसमें आम बोलचाल के शब्दों का प्रयोग हो
- जो समाचार वाचक आसानी से पढ़ सकें
- जिसमें आम बोलचाल की भाषा के साथ-साथ सटीक मुहावरों का इस्तेमाल हो
- जिसमें सामासिक और तत्सम शब्दों की बहुलता हो।
उत्तर- जिसमें आम बोलचाल की भाषा के साथ-साथ सटीक मुहावरों का इस्तेमाल हो।
प्रश्न 2 विभिन्न जनसंचार माध्यमों- प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट से जोड़ी पांच- पांच खूबियों और खामियों को लिखते हुए एक तालिका तैयार करें।
उत्तर-
जनसंचार माध्यम | खूबियां | खामियां |
प्रिंट |
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रेडियो |
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टेलिविजन |
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इंटरनेट |
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प्रश्न 3 इंटरनेट पत्रकारिता सूचनाओं को तत्काल उपलब्ध कराता है, परंतु इसके साथ ही उसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- इंटरनेट आज की पत्रकारिता का मुख्य आधार बन चुका है पर वह समाज के सारे वर्गों को अनेक आधारों पर विकृत भी कर रहा है। इसमें दुनिया भर के सभी अच्छे बुरे कार्य साफ स्पष्ट और विस्तार पूर्वक देखे और सुने जा सकते हैं। इसके कारण कच्ची बुद्धि का युवा वर्ग तेजी से अश्लीलता और नग्नता के दिशा में आगे बढ़ रहा है। उसके संस्कार विकृत होने लगे हैं। इससे अपराध जगत को नई दिशा प्राप्त हो रही है। अपराधी और आतंकवादी सरलता से सलाह मशवरा कर दुनिया के किसी भी कोने में आतंक फैलाने का कार्य कर रहे हैं। काले धन का लेनदेन सरल हो गया है, पुस्तक की अज्ञात की चोरी होने लगी है।
प्रश्न 4 श्रोता में पाठकों को बांधकर रखने की दृष्टि में प्रिंट माध्यम रेडियो और टेलीविजन में से सबसे सशक्त माध्यम कौन सा है? पक्ष विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर- प्रिंट माध्यम,रेडियो और टेलीविजन में से सबसे सशक्त माध्यम टेलीविजन है। इसके लिए साक्षर होने की भी आवश्यकता नहीं है। यह दृश्य -श्रव्य आधार पर टिका हुआ है। मानव मन पर जितना प्रभाव देखने से पड़ता है, उतना प्रभाव सुनने या पढ़ने से ही नहीं पड़ता। यह पल पल की घटना को दिखा देता है। मानव मन में वैसा ही करने को उस आता है जैसा यह स्क्रीन पर दिखाता है। इसके लिए किसी शब्दकोश या विचार विमर्श की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। इसका संप्रेषण अधिक प्रभावी होता है।
प्रश्न 5 पाठ में दिए गए चित्रों को ध्यान से देखें और इसके आधार पर टीवी के लिए तीन अर्थ पूर्ण संक्षिप्त स्क्रिप्ट लिखे।
उत्तर-
- पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटकों की भीड़ तो लग ही जाती है। वे वहां की जिलों को निहारते हैं। झीलों में नौकायन करते हैं। वे घंटों घूमते फिरते हैं पर जिस वातावरण में रह आनंद प्राप्त करते हैं उसकी स्वच्छता का जरा भी ध्यान नहीं रखते। वह नोका में झील की सैर करते हुए पानी में ही गंदगी फेंकते रहते हैं। वह कागज के टुकड़े, पॉलीथिन, खाने के टुकड़े आदि इधर-उधर बिखराते रहते हैं।वे यह भी नहीं सोचते कि यदि वे स्वयं साफ समझ झील के जल में नौका विहार करना चाहते हैं तो औरों के लिए गंदगी क्यों फैलाते हैं।
- जल हमारा जीवन है। इसके बिना हमारा जीवन रह ही नहीं सकता। पर हम है कि जब तक यह हमें आसानी से मिलता रहता है हम इसकी परवाह नहीं करते। घर, गली, मोहल्ले, स्कूल, कॉलेज आदि में व्यर्थ बहता पानी अक्सर दिखाई दे जाता है। लोग जल प्राप्त करने के लिए नल खोलते हैं पर जल ले लेने के बाद उसे बंद करना तो भूल ही जाते हैं। व्हिच लेते हैं कि उनका इसमें क्या नुकसान है। हमें सदा याद रखना चाहिए कि जल राष्ट्रीय संपत्ति से भी बढ़कर हैं। यह हमें जीवन प्रदान करता है। इसके बिना हम जी नहीं सकते। इसे व्यर्थ बहने से रोकना चाहिए। ऐसा करना आवश्यक ही नहीं अपितु अति आवश्यक है।
- कितना बोझ है पुस्तकों का इन छोटे-छोटे बच्चों के कंधों पर। किसी भी स्कूल के पास पल भर खड़े होकर देखो। जितना भार बच्चों का अपना नहीं होता, शायद उससे अधिक बोझ उनकी पीठ पर लगा होता है पुस्तकों के रूप में। बच्चों की पढ़ाई का आरंभ तो खेलकूद से होना चाहिए, न की भारी-भरकम पुस्तकों के बोझ से। अनेक विकसित देश तो उनकी पढ़ाई खिलौनों, नाचनी, गाने और खेलने कूदने से आरंभ करते हैं पर हमारे देश में स्कूल की शिक्षा के नाम पर पुस्तकें ही उन्हें परोसी जाती हैं। इससे उनके मन में भय उत्पन्न होता है। उनके शारीरिक विकास की राह में रुकावट पैदा होती है। सरकार को ऐसी शिक्षा नीति बनानी चाहिए किक छोटे बच्चों के कंधो पर टंगा बस्ता कुछ हल्का हो।
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