सुहेलदेव एवं पृथ्वीराज चौहान Class 7 इतिहास Chapter 7 Important Question Answer – हमारा भारत II HBSE Solution

Class 7 इतिहास BSEH Solution for chapter 7 सुहेलदेव एवं पृथ्वीराज चौहान Important Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 7 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of  हमारा भारत II Book for HBSE.

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HBSE Class 7 इतिहास / History in hindi सुहेलदेव एवं पृथ्वीराज चौहान / Suheldev avam Prithviraj Chauhan Important Question Answer for Haryana Board of chapter 7 in Hamara Bharat II Solution.

सुहेलदेव एवं पृथ्वीराज चौहान Class 7 इतिहास Chapter 7 Important Question Answer


प्रश्न 1. राजा सुहेलदेव ने युद्ध में किसे हराया था तथा भारत सरकार ने उनके प्रति किस प्रकार सम्मान व्यक्त किया है?

उत्तर – राजा सुहेलदेव ने युद्ध में सालार मसूद को हराया था तथा भारत सरकार ने राजा सुहेलदेव पर डाक टिकट जारी करके उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया है।


प्रश्न 2. पृथ्वीराज चौहान कौन थे? उनके जीवन तथा कार्यों की जानकारी के मुख्य स्रोत क्या है?

उत्तर – पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1165 ई. में हुआ। यह अजमेर के शासक सोमेश्वर और कमला देवी के पुत्र थे। उनके जीवन तथा कार्यों की जानकारी के मुख्य स्रोत पृथ्वीराज विजय, हम्मीर महावाक्य और पृथ्वीराजरासो हैं।


प्रश्न 3. पृथ्वीराज चौहान का राज्य कहां तक फैला हुआ था? उनके राज्य का प्रशासनिक प्रबंधन किस प्रकार का था?

उत्तर – पृथ्वीराज चौहान का राज्य राजस्थान और हरियाणा तक फैला था। चौहान राज्य में शासन राजतन्त्रीय व्यवस्था के अन्तर्गत होता था। राजा राज्य का प्रधान होता था। राज्य की सभी शक्तियां उसमें निहित होती थी। वह राज्य का सबसे बड़ा कानून निर्माता, शासन प्रबन्धक, सेनापति व न्यायाधीश होता था। राजा शासन को चलाने के लिये युवराज, मन्त्री व बड़े पदाधिकारियों की सलाह लेते थे।


प्रश्न 4. राजा सुहेलदेव के प्रतिरोध की संक्षेप में व्याख्या करें।

उत्तर – अपने पिता प्रसेनजित की मृत्यु के बाद 1027 ई. में सुहेलदेव बहराइच राज्य के शासक बने। राजा सुहेलदेव ने अवध एवं उसके आसपास के विभिन्न क्षेत्रों को संगठित करके एक सुदृढ़ राज्य का निर्माण किया। राजा सुहेलदेव ने अपने पराक्रम एवं बुद्धिमता से राज्य की सीमाओं का विस्तार करते हुए गोरखपुर से सीतापुर, गोंडा, लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव व लखीमपुर तक फैलाया। जून 1034 ई. को सुहेलदेव के नेतृत्व में एक बड़ी सेना ने सालार मसूद की फौज पर आक्रमण किया। इस युद्ध में सालार मसूद अधिक देर तक न ठहर सका। सुहेलदेव के धनुष द्वारा छोड़ा गया एक विषबुझा बाण सालार मसूद के गले में आ लगा, जिससे उसका देहान्त हो गया।


प्रश्न 5. पृथ्वीराज चौहान द्वारा अपने साम्राज्य में स्थापित प्रशासनिक, आर्थिक और सामाजिक व्यवस्थाओं के बारे में संक्षेप में व्याख्या करें।

उत्तर

  1. प्रशासनिक व्यवस्था – चौहान राज्य में शासन राजतन्त्रीय व्यवस्था के अन्तर्गत होता था। राजा राज्य का प्रधान होता था। राज्य की सभी शक्तियां उसमें निहित होती थी। वह राज्य का सबसे बड़ा कानून निर्माता, शासन प्रबन्धक, सेनापति व न्यायाधीश होता था। राजा शासन को चलाने के लिये युवराज, मन्त्री व बड़े पदाधिकारियों की सलाह लेते थे।
  2. आर्थिक व्यवस्था – राज्य की अर्थिक व्यवस्था कृषि आधारित थी। इसके अतिरिक्त उद्योग भी उन्नत थे। कपड़ा, बर्तन, पत्थर की मूर्तियों से सम्बंधित उद्योग प्रमुख थे।
  3. सामाजिक व्यवस्था – दिल्ली व आस-पास के राजपूताना क्षेत्र में वर्णाश्रम समाज का मुख्य आधार था। इसके अतिरिक्त अनेक उपजातियां बन चुकी थी। उस समय सती प्रथा व जौहर प्रथा समाज में प्रचलित थी।

प्रश्न 6. तराइन के प्रथम युद्ध का वर्णन करें।

उत्तर 1191 ई. में मोहम्मद गौरी ने अपनी सैनिक तैयारी के साथ दिल्ली विजय की योजना बनाई। दिल्ली से 80 मील दूर मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के मध्य तराइन ( तरावड़ी) के स्थान पर घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में चौहान सेना ने अपनी पूरी ताकत दिखाई। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के भाई गोबिन्दराय ने मोहम्मद गौरी पर हमला करके उसे घायल कर दिया। युद्ध में गौरी की बुरी तरह से पराजय हुई। गौरी की सेना जान बचाने के लिए भाग खड़ी हुई।


प्रश्न 7. तराइन के द्वितीय युद्ध का वर्णन करें।

उत्तर – तराइन के प्रथम युद्ध में हारने के बाद मोहम्मद गौरी गज़नी लौट गया। परन्तु वह अपनी अपमानजनक पराजय को न भूल सका। मोहम्मद गौरी अपनी पिछली पराजय का बदला लेना व भारत में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता था। उसने अपनी सेना को एकत्रित करके 1192 ई. में भारत पर पुनः आक्रमण किया। गौरी की सेना में 120000 सैनिक थे। पृथ्वीराज को जब यह पता चला तो वह भी अपने अधीनस्थ राजाओं की सहायता से तराइन के मैदान में मुकाबला करने के लिए आ खड़ा हुआ। मोहम्मद गौरी ने रणनीति बनाकर सुबह-सुबह ही राजपूतों के शिविर पर हमला किया जिस समय सैनिक अपने नित्य कार्य से निवृत हो रहे थे। मोहम्मद गौरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान को पकड़ कर उसकी हत्या कर दी गई। इस विनाशक युद्ध के परिणामस्वरूप भारत में दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई।


प्रश्न 8. जून 1034 ई. में सुहेलदेव एवं सालार मसूद के मध्य लड़े गए युद्धों को निर्णायक युद्ध कैसे कह सकते हैं?
या
बहराइच के युद्ध का वर्णन करें।

उत्तर – जून 1034 ई. को सुहेलदेव के नेतृत्व में एक बड़ी सेना ने सालार मसूद की फौज पर आक्रमण किया। इस युद्ध में सालार मसूद अधिक देर तक न ठहर सका। सुहेलदेव के धनुष द्वारा छोड़ा गया एक विषबुझा बाण सालार मसूद के गले में आ लगा, जिससे उसका देहान्त हो गया। इसके दूसरे ही दिन शिविर की देख-भाल करने वाला सालार इब्राहिम भी बचे हुए सैनिकों के साथ मारा गया। सैयद मसूद को उसकी विशाल सेना के साथ समाप्त करने के बाद राजा सुहेलदेव ने विजय पर्व मनाया। 1034 ई. में तुर्क सेना की इस पराजय बाद लगभग 140 वर्षों तक किसी भी तुर्क सेनापति ने भारत को लूटने व यहां इस्लाम का प्रसार करने का साहस नहीं किया।


प्रश्न 9. पृथ्वीराजरासो‌ क्या है?

उत्तर – ‘पृथ्वीराजरासो’ ढाई हजार पृष्ठों का महाकाव्य है जिसमें एक लाख छंद व 69 समय (सर्ग या अध्याय) हैं। इसके रचयिता चन्दबरदाई थे वे पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे


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