अपने मित्र बने, शत्रु नहीं Class 9 नैतिक शिक्षा Chapter 18 Question Answer HBSE Solution

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HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 18 अपने मित्र बने, शत्रु नहीं / Apne Mitr bne, Shatru nahi Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 9th Book Solution.

अपने मित्र बने, शत्रु नहीं Class 9 Naitik Siksha Chapter 18 Question Answer


प्रश्न 1. उक्त श्लोक का भावार्थ क्या है ?

उत्तर – अपने द्वारा अपना उद्धार करे, अपना पतन न करे, क्योंकि आप ही अपना मित्र है और आप ही अपना शत्रु है।


प्रश्न 2. हमें क्या निर्णय लेना है तथा कैसा आत्म निरीक्षण करना है ?

उत्तर – हमें अपना खुले मन से आत्म निरीक्षण करना है और यह निर्णय लेना है कि कुछ बनना है या बिगड़ना। अपने जीवन को ऊंचाइयों तक लेकर जाना है या पतन की ओर।


प्रश्न 3. गीता का यह श्लोक कैसे उपयोगी हो सकता है? क्या ऐसी गीता प्रेरणा किसी जाति वर्ग तक सीमित होनी चाहिए?

उत्तर – गीता का यह श्लोक हमारे जीवन में हमें अच्छा बनाने के लिए और अपने आत्म निरीक्षण के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। यह श्लोक किसी जाति वर्ग तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि है तो सभी के लिए है।


प्रश्न 4. जीवन की वास्तविक ऊँचाई, उत्थान या बड़प्पन क्या है ?

उत्तर – अच्छी पढाई, अच्छी संगति, अच्छा स्वभाव, अच्छी आदतें-अच्छा जीवन यही है जीवन का उत्थान एवं यही है शिक्षा का सही स्वरूप।


प्रश्न 5. कौन अपना मित्र है तथा कौन शत्रु ? हमें क्या बनना है ?

उत्तर – हम खुद ही अपने मित्र हैं और खुद ही अपने शत्रु हैं हमें  अपना मित्र बनना है।


प्रश्न 6. सत् परमात्मा से जुड़ने का क्या अर्थ है ?

उत्तर – सत् परमात्मा से जुड़ने का अर्थ है- सन्मार्ग पर आगे बढ़ना


प्रश्न 7. व्यक्तित्व के विकास का आधार अच्छे कर्म, अच्छी आदतें और चरित्र है। इस विषय में अपने विचार व्यक्त करो।

उत्तर – व्यक्तित्व के विकास का आधार हमारे जीवन में किए गए अच्छे कर्म हमारी अच्छी आदतें और हमारा चरित्र हैं इन्हीं की वजह से हमारा नाम लंबे समय तक चलता रहता है। लोग इन्हीं सभी चीजों के कारण हमें जानते हैं।


प्रश्न 8. सत्संगति सम्बन्धी कोई प्रसंग पढ़ो और उसके प्रभावों पर सहपाठियों से चर्चा करो।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।


प्रश्न 9. बुरी आदत से बढ़कर कोई शत्रु नहीं- इस विषय में कोई उदाहरण देकर अपना मत स्पष्ट करो।

उत्तर – बुरी आदत हमारा सबसे बड़ा दुश्मन होती है। जब हम किसी बुरी आदत में पड़ जाते हैं तो यह हमारे जीवन को पतन की ओर ले जाता है। उदाहरण के लिए अगर हम बुरी संगति में बैठने लग जाएं तो हम धीरे-धीरे अपने जीवन की सभी अच्छाइयों को खो देंगे और हम भी उनकी तरह बुरे ही बन जाएंगे। उस समय हर कोई हमसे नफरत करने लग जाएगा और हम इसी बुरी आदत के कारण अपने खुद के ही शत्रु बनते चले जाएंगे।


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