आत्म परिचय, एक गीत Class 12 Hindi Question Answer – आरोह भाग 2

NCERT Class 12th Hindi आरोह भाग 2 Chapter 1 (i) आत्म परिचय (ii) एक गीत  Question Answer Solution for CBSE, HBSE, RBSE and Up Board and all other State Boards. class 1 to 12th all Subject Solutions are available on Website with Notes, Summary, Question Answer, Important Questions, Old Question Papers for Students.

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(i) Atmaparichay (ii) Ek Geet Class 12 Hindi Chapter 1 Question Answer

पाठ 1 – (i) आत्म परिचय (ii) एक गीत पद्य भाग प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1. कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर “मैं कभी जग का ध्यान किया करता हूँ।” विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है ?

उत्तर – प्रस्तुत कविता में एक ओर जग से अभिप्राय है यह संसार। संसार भी कैसा अपूर्ण। दूसरी तरफ जीवन का भार से आशय है- समाज, परिवार व सगे संबंधियों द्वारा बनाए गए उत्तरदायित्व, बंधन, प्यार प्रेम। समाज में रहने वाले साधारण जन इस अपूर्ण संसार में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपना जीवन यापन करता है। कवि हरिवंशराय बच्चन जी जैसे प्रेमी हृदय व्यक्ति जिसके हृदय में प्रेम रूपी सागर भरा हुआ है वह स्वयं संसार द्वारा निर्मित झूठे आडंबरों, धोखे, झूठ, छल कपट, ईर्ष्या द्वेष की जरा भी परवाह नहीं करता है और अपने प्रेम रस से लगातार सारे संसार को सराबोर करता हुआ अपने मनमौजी स्वभाव व मस्त अंदाज के साथ इस संसार में अपना जीवन यापन किए जा रहा है।


प्रश्न 2. जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं-ऐसा क्यों कहा होगा ?

उत्तर – दाना शब्द का शाब्दिक अर्थ है – लोभ, लालच, मोह-माया, ऐश्वर्य, धन दौलत आदि। दूसरी तरफ नादान से अभिप्राय है भोले भाले और सरल विचारधारा वाले व्यक्ति। प्रस्तुत कविता में कहा भी गया है जहां दाना होता है वहीं पर नादान इंसान भी मौजूद रहते हैं। अर्थात कहने का भाव यह है कि नादान इंसान जल्दी ही मोह माया के जाल में फंस जाते हैं। जबकि समझदार व्यक्ति मोह माया के चक्कर में नहीं फंसते। वह सांसारिक विषय वासना से ऊपर उठकर बड़ी समझदारी से अपना जीवन इस संसार में गुजारते हैं। इसीलिए कवि ने ऐसा कहा होगा कि जहां पर दाना रहते हैं, वही नादान भी होते हैं।


प्रश्न 3, ‘मैं और, और जग और कहाँ का नाता’ पंव्ति में और शब्द की विशेषता बताइए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में ‘ और ‘ शब्द को तीन बार प्रयोग किया है परंतु भिन्न-भिन्न अर्थों में। अगर हम अलंकार की बात करें तो यहां पर एक शब्द का एक से ज्यादा बार और भिन्न भिन्न अर्थों के कारण यमक अलंकार सिद्ध होता है। यहां ‘और’ शब्द के दो अर्थ निकलते हैं। पहला अर्थ है — अन्य, अलग, दूसरा (व्यक्ति)। लेकिन दूसरा अर्थ बोध कराता है – ‘तथा’ का। कहने का भाव यह है कि कवि तथा संसार में रहने वाले व्यक्ति दोनों अलग अलग विचारधारा वाले हैं। कभी और सांसारिक व्यक्तियों की सोच में बहुत ज्यादा अंतर है। कभी अपने मन की सुनता है और खुलकर कहता है कि यह संसार तो उन्हीं की गाता है जो संसार की गाते हैं।


प्रश्न 4, शीतल वाणी में आग के होने का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर – ‘शीतल वाणी’ का अभिप्राय यह है कि कवि का स्वर और स्वभाव कोमल है। परंतु कवि के मन में प्रेम की भी तीव्र लालसा है। प्रस्तुत पंक्ति में आग से अभिप्राय है- कवि की आंतरिक पीड़ा। कभी अपनी प्रिया से ( पत्नी ) वियोग होने पर उस विरह वेदना को अपने हृदय में दबाए फिर रहा है। अत: जहां कवि के मन के मनोभावों की वाणी शीतल है वही संसार के अपूर्ण पक्ष को देखकर विराग और क्रोध के भाव जाग जाते हैं। यही वियोग, विराट और क्रोध उनके हृदय में लगातार छाया रहता है। जिससे कवि के ह्रदय में शीतल वाणी में आग के भाव भर  जाते हैं।


प्रश्न 5, बच्चे किस बात की. आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे ?

उत्तर – नीड़ो से अभिप्राय है घोसले। प्रस्तुत कविता में कवि ने चिड़िया के बच्चों का संध्या के समय अपने माता-पिता के आने और उनसे मिलने की उत्सुकता, बेचैनी, आतुरता का बड़ा ही मनोहारी चित्र अंकित किया है। चिड़िया के बच्चे आशा भरे भावों से अपनी गर्दन उचका उचका कर नीड़ो से झांक रहे होंगे। वे सोच रहे होंगे कि उनके लिए दाना पानी व भोजन लेकर आने वाले उनके माता-पिता लौटकर कब आएंगे? कब उनकी मां उनको लाड प्यार करेगी? कब उनको भोजन कराकर उनकी भूख शांत करेगी? इस प्रकार के स्नेह, प्रेम के भावों से भर कर अपने नीड़ो से आशापूर्ण नेत्रों से झांक रहे होंगे।


प्रश्न 6. दिन जल्दी-जल्दी ढलता है की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है ?

उत्तर – दिन का जल्दी जल्दी ढलना हमें बताता है कि समय परिवर्तनशील है जो सतत् ( लगातार ) बदलता रहता है। समय कभी भी किसी की भी प्रतीक्षा नहीं करता। कवि कहता है कि मानव जीवन क्षणभंगुर है। अर्थात छोटा सा है। कब समाप्त हो जाए किसी को भी नहीं पता चलता है। अत: कभी हमें सचेत करते हुए कहता है कि मनुष्य को अपने लक्ष्य को अति शीघ्रता से प्राप्त कर लेना चाहिए। मनुष्य को इस प्रकार से अपनी मंजिल तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए कि वह कम से कम समय में अपने लक्ष्य को पूर्ण विश्वास के साथ प्राप्त करें। कहा भी गया है कि जो समय को आलस में नष्ट करता है एक दिन समय भी उसे नष्ट कर देता है। समय अमूल्य है, इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए।


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