बालगोबिन भगत Class 10 Hindi Chapter 8 Important Question Answer – क्षितिज भाग 2 NCERT Solution

NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Chapter 8  बालगोबिन भगत Important  Question Answer for HBSE. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.

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NCERT Solution of Class 10th Hindi Kshitij bhag 2/  क्षितिज भाग 2 Chapter 8 बालगोबिन भगत / Balgobin Bhagat Important Question And Answer ( महत्वपूर्ण प्रश्न ) Solution.

बालगोबिन भगत Class 10 Hindi Chapter 8 Important Question Answer


प्रश्न 1. बालगोबिन भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी? Most Important

उत्तर – बालगोबिन भगत के परिवार में उसके पुत्र और पुत्रवधू के अतिरिक्त कोई भी नहीं था। पुत्र की मृत्यु हो जाने के पश्चात बालगोबिन भगत ने अपनी पुत्रवधू को उसके घर भेजने का फैसला लिया परंतु उसकी पुत्रवधू उसे अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहती थी। वह उनकी सेवा करना अपना कर्तव्य समझती थी। बीमार पड़ने पर बालगोबिन भगत को पानी देने और भोजन करने वाला कोई नहीं था। इसीलिए भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहती थी।


प्रश्न 2. बालगोबिन भगत की कोई दो चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए। 

उत्तर – बालगोबिन भगत मंझौले कद के व्यक्ति थे। उनका रंग गोरा और बाल सफेद थे। वह लंबी दाढ़ी नहीं रखते थे उनके चेहरे पर सफेद बालों के कारण बहुत तेज लगता था। बालगोबिन भगत बहुत कम कपड़े पहनते थे। वे सर पर कनपटी टोपी व कमर पर एक लंगोटी पहनते थे। सर्दियों में वे काली कंबली ओढ़ लेते थे। तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला हमेशा उनके गले में होती थी।


प्रश्न 3. बालगोबिन भगत पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी बचपन से ही बाल गोविंद भगत को आदरणीय मानते आए हैं। बालगोबिन भगत एक तेली थे। उस समय तेली को समाज में अच्छा नहीं समझा जाता था। इन सब के बावजूद भी बालगोबिन भगत सबकी आस्था के कारण बने हुए थे। बालगोबिन भगत का स्वभाव साधु की तरह था। वे कबीर के भक्त थे। साधु की पहचान उनके पहनावे से नहीं बल्कि उनके व्यवहार से होती थी।  बालगोबिन भगत अपना सब कुछ भगवान की देन मानते हैं इसीलिए जब उनके खेत की पैदावार होती तब सारी पैदावार कबीर मठ में पहुंचा देते थे और बाद में जो प्रसाद के रूप में मिलता उसी से अपना निर्वाह करते थे। बालगोबिन भगत के पुत्र की मृत्यु के बाद उसने अपनी पुत्रवधू को उसके घर भेज दिया था। उसके सभी कार्य दूसरों के हित में थे। इस पाठ के माध्यम से लेखक हमें पाखंडी साधुओं से सावधान करता है और बताता है कि वास्तविक साधु तो वही होते हैं जो सभी का कल्याण चाहे और समाज हित में कार्य करें। और बुरी परंपराओं से समाज को बचाए रखें।


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