NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 बालगोबिन भगत पाठ का सार / Summary. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.
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NCERT Solution of Class 10th Hindi Kshitij bhag 2/ क्षितिज भाग 2 Balgobin Bhagat / बालगोबिन भगत Summary / पाठ का सार Solution.
बालगोबिन भगत Class 10 Hindi पाठ का सार ( Summary )
बालगोबिन भगत रामवृक्ष बेनीपुरी का एक प्रसिद्ध रेखाचित्र है। इसमें लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि कोई व्यक्ति मानवीय गुणों के आधार पर सन्यासी हो सकता है। इस पाठ में लेखक ने बालगोबिन भगत का चरित्र चित्रण किया है।
बालगोबिन भगत मझोले कद के गोरे चिट्टे आदमी थे जिनकी आयु 60 से ऊपर थी। वह कपड़े बिल्कुल कम पहनते थे कमर में एक लंगोटी और सिर में कबीरपंथियो की सी कनफटी टोपी और जाड़े में एक काली कमली ऊपर से ओढ़ लेते थे। बालगोबिन भगत साधु नहीं थे बल्कि वह तो गृहस्थ थे। उनका एक बेटा और एक पतोहू था। यद्यपि वह साधु नहीं थे लेकिन वे साधुओं जैसा जीवन व्यतीत करते थे। समय के बड़े पक्के थे। कबीर को साहब मानते थे उन्ही के गीत गाते थे। वह कभी झूठ नहीं बोलते थे और किसी से भी पूछे बिना उनकी किसी चीज को छूते नहीं थे। उनके खेत से जो कुछ पैदा होता, उसे ले जाकर कबीरपंथी मठ में जमा कर देते और वहां से प्रसाद के रूप में जो भी मिलता उसे घर लाकर उसी से अपने घर का गुजर-बसर करते थे।
आषाढ़ की रिमझिम में जब समूचा गांव धान की रोपाई के लिए खेतों में होता था तब बालगोबिन भगत संगीत गाते थे। उनके संगीत से बच्चे खेलते हुए झूम उठते, मेड पर खड़ी औरतों के होंठ कांप उठते थे, वे गुनगुनाने लगती है। बालगोबिन भगत का संगीत किसी जादू से कम नहीं था। भादों की अंधेरी रातों में वे अक्सर खजड़ी बजाया करते थे। कातिक आया नहीं की, बालगोबिन भगत की प्रभातिया शुरू हो जाती थी और जो फागुन तक चलती थी। वे सुबह सवेरे उठकर 2 मील दूर नदी स्नान को जाते थे। बालगोबिन भगत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखने को मिला जब उनका इकलौता बेटा मर गया। तब उन्होंने शोक मनाने की बजाय उत्सव मनाया और कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन हुआ है यह तो एक शुभ घड़ी है। उन्होंने पतोहू से ही अपने बेटे को आग दिलवाई और उसके बाद पतोहू को उसके भाइयों को बुलाकर उसके साथ भेज दिया।
बालगोबिन भगत हर वर्ष गंगा स्नान को जाया करते थे जो कि 30 कोस पर थी। वह घर से ही खाकर चलते और फिर घर पर ही लौट कर खाते थे रास्ते पर खजड़ी बजाते, गाते, जहां प्यास लगती, पानी पी लेते। किंतु इस बार जब वह गंगा स्नान करके लौटे तो उनकी तबीयत खराब हो गई और उनकी मृत्यु हो गई। आखरी संध्या जब उन्होंने गाया तो उनकी आवाज बिखरी हुई थी और सुबह आते-आते उनके गीत सुनाई नहीं दे रहे थे और वह इस संसार को छोड़कर जा चुके थे।