संस्कृति – भदंत आनंद कौसल्यायन लेखक जीवन परिचय Class 10 Hindi – क्षितिज भाग 2 NCERT Solution

NCERT Class 10 Hindi Chapter 10 Kanskriti Bhdant anand koslyayan Lekhak Jivan Parichay  ( भदंत आनंद कौसल्यायन लेखक जीवन परिचय ) of Kshitij Bhag 2 / क्षितिज भाग 2. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.

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NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Chapter 12 Kanskriti lekhak Bhdant anand koslyayan / संस्कृति – भदंत आनंद कौसल्यायन लेखक जीवन परिचय / Lekhak Jivan Parichay for Exams.

भदंत आनंद कौसल्यायन जीवन परिचय Class 10 Hindi संस्कृति


जीवन परिचय :- भदंत आनंद कौसल्यायन एक सुप्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु एवं हिंदी के महान प्रचारक-प्रसारक थे। उनका जन्म हरियाणा के जनपद अंबाला के सुहाना गाँव में सन् 1905 ई. में हुआ। आरम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने बौद्ध धर्म में दीक्षा ले ली। कुछ समय तक वे गाँधी जी के साथ वर्धा में रहे। बौद्ध धर्म के कार्यों के साथ-साथ उन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य की निरंतर सेवा की है।1988 में इनका देहान्त हो गया।


साहित्यिक रचनाएँ – भदंत आनंद कौसल्यायन की 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनमें से अधिकांश संस्मरण और रेखाचित्र हैं, उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-
‘भिक्षु के पत्र’, ‘जो भूल न सका’, ‘आह। ऐसी दरिद्रता’, ‘बहानेबाजी’, ‘यदि बाबा न होते’, ‘रेल का टिकट’ तथा ‘कहाँ, क्या देखा’।


साहित्यिक विशेषताएँ – कौसल्यायन जी ने अपने साहित्य में गाँधीवादी दृष्टिकोण का उल्लेख किया है। उनके साहित्य में मानवीय आचार-व्यवहार, यात्रा संस्मरण, गाँधी जी के महत्त्वपूर्ण संस्मरण रहे हैं। उनके साहित्य विषय-वर्णन की ताज़गी देखते ही बनती है। उनके संपूर्ण साहित्य में मानवतावाद का स्वर मुखरित हुआ है। उन्होंने अपने यात्रा-वर्णनों में विभिन्न देशों तथा यहाँ की संस्कृतियों पर समुचित प्रकाश डाला है।


भाषा-शैली – वदंत आनन्द कौसल्यायन की भाषा सहज, सरल तथा प्रवाहमयी हिन्दी भाषा है। उनकी भाषा में तत्सम् तथा तद्भव शब्दों के साथ-साथ देशज तथा उर्दू के शब्दों का सुन्दर प्रयोग हुआ है। सहज तथा सरल भाषा होने के कारण उनके भाव पाठक को स्वतः स्पष्ट हो जाते हैं। उनकी भाषा को जन भाषा कहना भी उचित होगा।उन्होंने प्राय: वर्णनात्मक, संवादात्मक तथा अकाव्य-कथात्मक शैलियों का ही प्रयोग किया है।


 

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