Class 9 Hindi Naitik Siksha BSEH Solution for Chapter 15 बोध कथाएं Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 9 Hindi mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer, Word meaning, Vyakhya are available of नैतिक शिक्षा Book for HBSE.
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HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 15 बोध कथाएं / Bodh Kathayen Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 9th Book Solution.
बोध कथाएं Class 9 Naitik Siksha Chapter 15 Question Answer
प्रश्न 1. महात्मा बुद्ध की शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक कैसे हैं?
उत्तर – हम चाहे जो भी हों अथवा जहाँ भी रहें, हम सभी सुख चाहते हैं, दुःख नहीं। महात्मा बुद्ध ने सुझाया कि दुःख को दूर करने के लिए हमें यथासम्भव दूसरों की सहायता करनी चाहिए और यदि हम सहायता नहीं कर सकते तो कम से कम किसी को हानि भी न पहुँचाएँ। उनके द्वारा बताया गया यह ज्ञानमार्ग आज भी प्रासंगिक है।
प्रश्न 2. बुद्धदेव ने आपसी शत्रुता समाप्त करने के लिए क्या उपाय सुझाया ?
उत्तर – आपसी शत्रुता के बारे में बुद्ध ने कहा था, “वैर से वैर शान्त नहीं होता । अवैर से ही वैर शान्त होता है।”
प्रश्न 3. किस प्रकार की जीत स्थायी नहीं होती?
उत्तर – हिंसा द्वारा प्राप्त की गई जीत स्थायी नहीं होती क्योंकि उसे प्रतिहिंसा द्वारा हमेशा पलटे जाने का डर रहता है।
प्रश्न 4. महात्मा बुद्ध ने मानव मात्र के दुःख दूर करने के लिए किस मार्ग का प्रतिपादन किया?
उत्तर – उन्होंने मानव मात्र के दुःखों को कम करने के लिए पंचशील और अष्टांगिक मार्ग के जीवन दर्शन का प्रतिपादन किया था।
प्रश्न 5. सुख का असली रहस्य क्या है, पाठ में वर्णित घटना के आधार पर लिखो ।
उत्तर – पूरी लगन, मेहनत और प्रेम से अपने लक्ष्य को पूर्ण करने में लगा हुआ व्यक्ति ही सुख की प्राप्ति करता है।
प्रश्न 6. महात्मा बुद्ध ने बुढ़िया के उपहार को ही दोनों हाथों से क्यों स्वीकार किया ?
उत्तर – बुढ़िया ने अपने मुँह का कौर ही महात्मा बुद्ध को दे दिया। भले ही यह बुढ़िया निर्धन है लेकिन इसे सम्पत्ति की कोई लालसा नहीं है। यही कारण था कि महात्मा बुद्ध ने बुढ़िया के उपहार को दोनों हाथों से स्वीकार किया।
प्रश्न 7. शबरी द्वारा राम को दिए गए जूठे बेर और बुढ़िया द्वारा बुद्ध को दिया गया जूठा अनार, बहुमूल्य उपहारों से अधिक उत्कृष्ट क्यों है?
उत्तर – बहुत सारे धनी लोग अपने स्वामी या प्रभु को दान देते हैं जिससे उनके जीवन शैली पर कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन जिस प्रकार शबरी के झूठे बेर और बुढ़िया द्वारा बुद्ध को दिया गया झूठा अनार उनका बहुमूल्य पदार्थ था। उनके पास इसके अलावा कुछ भी नहीं था और वह इसे भी अपने स्वामी को दान कर रही थी। इसीलिए इन्हें बहुमूल्य उपहार से अधिक उत्कृष्ट कहा गया है।
प्रश्न 8. सच्ची लगन, मेहनत और प्रेम से लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है, विषय पर एक आलेख तैयार करो।
उत्तर – अगर हम सच्ची लगन मेहनत और प्रेम के साथ कार्य करते हैं तो हमें जीवन में सुख की अनुभूति होती हैं। खुशीपूर्वक किया गया यह कार्य हमारे जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित होता है।
प्रश्न 9. दान व उपहार सम्बन्धी ऐसे प्रंसगों को एकत्रित करो, जहाँ सामान्य वस्तु को रत्नों से भी मूल्यवान माना गया हो।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 10. ‘परिवेश का कूड़ा-कर्कट साफ करने से मन की बुराइयाँ भी साफ हो जाती हैं।’ यदि आपने भी कभी ऐसा अनुभव किया है तो चर्चा करो।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 11. अपने जीवन का कोई अनुभव बताओ, जब आपने उपहार में मिली किसी वस्तु को बहुत सँभालकर रखा हो ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 12. उपहार छोटा है या बड़ा, यह बात विशेष महत्त्व की नहीं है। महत्त्व है तो केवल उपहार देने वाले की भावना का इस तथ्य पर अध्यापक कक्षा में चर्चा कराएँ ।
उत्तर – उपहार छोटा हो या बड़ा, यह बात कोई विशेष महत्व नहीं रखती है। महत्व तो केवल उपहार देने वाले की भावनाओं का होता है। उपहार देते समय वह अपना क्या कुछ दान कर रहा है इसी बात पर सब निर्भर होता है।