कैमरे में बंद अपाहिज Class 12 Hindi सप्रसंग व्याख्या / Vyakhya – आरोह भाग 2 NCERT Solution

NCERT Solution of Class 12 Hindi आरोह भाग 2 कैमरे में बंद अपाहिज सप्रसंग व्याख्या  for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board,  Up Board, RBSE and Some other state Boards. We Provides all Classes पाठ का सार, अभ्यास के प्रश्न उत्तर और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर , MCQ for score Higher in Exams.

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NCERT Solution of Class 12th Hindi Aroh Bhag 2 /  आरोह भाग 2 कैमरे में बंद अपाहिज / Camera mein Bandh Apahij Kavita ( कविता ) Vyakhya / सप्रसंग व्याख्या Solution.

कैमरे में बंद अपाहिज Class 12 Hindi Chapter 4 सप्रसंग व्याख्या


1. हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं ?
तो आप क्यों अपाहिज हैं ?
आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा
देता है ?
(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दुःख क्या है
जल्दी बताइए वह दुःख बताइए
बता नहीं पाएगा

शब्दार्थ –  दुर्बल – कमजोर। अपाहिज – शारीरिक रूप से कमजोर।

प्रसंग –  प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 में संकलित ‘रघुवीर सहाय’ द्वारा रचित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसमें कवि ने वर्णन किया है कि शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति से टेलीविजन कैमरे के सामने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए किस प्रकार के सवाल पूछे जाएंगे।

व्याख्या –  कवि स्पष्ट करता है कि हम टेलीविजन पर अपने को समर्थ शक्तिमान बताएंगे तथा अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एक शारीरिक कमजोर व्यक्ति को दूरदर्शन कैमरे के सामने लाएंगे। उसे बंद कमरे में बिठाकर कई संवेदनहीन प्रश्न पूछेंगे। हम पूछेंगे कि क्या आप अपाहिज हैं? यदि है तो क्यों हैं? आपकी शारीरिक कमजोरी आपको कष्ट देती होगी? तो आपको यह कमजोरी दुख देती है फिर उसके समक्ष अपने कैमरे को बड़ा करके दिखाते हैं ताकि उसे बड़ा दिखाया जा सके। फिर इसी तरह उससे पूछेंगे कि आप हमें अपना दुख बताएंगे, जल्दी बताएं। कवि कहता है कि इस प्रकार टेलीविजन कैमरे के सामने शारीरिक दुर्बलता से युक्त व्यक्ति से अनेक प्रश्न पूछे जाएंगे लेकिन वह अपने दुखों को बता नहीं पाएगा। वह अपनी संवेदना को इनके समक्ष नहीं रख पाएगा।

काव्य-सौंदर्य –

  • इस काव्यांश में कवि ने सिनेमा जगत तथा उन असमर्थ व्यक्तियों पर रहेंगे किया है जो अपनी विकलांगता को बेचना चाहते हैं।
  • खड़ी बोली भाषा सरल और सहज है।
  • मुक्तक छंद का प्रयोग हुआ है।

2. सोचिए
बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता है
(हम खुद इशारे से बताएंगे कि क्या ऐसा ?)
सोचिए
बताइए थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे ?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का
करते हैं ?
यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा।

शब्दार्थ – रोचक – मजेदार। इंतजार – प्रतीक्षा।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 में संकलित ‘रघुवीर सहाय’ द्वारा रचित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसमें कवि ने उन शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के प्रति गहन संवेदना प्रकट की है जिनसे टेलीविजन कैमरे के समक्ष दूरदर्शन वाले अनेक प्रश्न करते हैं।

व्याख्या – कवि स्पष्ट करता है कि टेलीविजन कैमरे के सामने बैठे शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति से पूछेंगे कि सोच कर बताइए कि आपको अपाहिज होकर कैसा लग रहा है? बार-बार पूछ कर कैमरे वाले इशारा करके उसको अपाहिज होकर बताते हैं कि उसे ऐसा लगता है। बार-बार उस अपाहिज से ऐसे ही सवाल करते हैं? बार-बार कोशिश करने की सिफारिश करते हैं कि वह कैसा महसूस कर रहा है। कभी दूरदर्शन वालों पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि टेलीविजन कैमरे वाले ऐसे अपाहिज की भावनाओं को नहीं समझते और अपने कार्यक्रम को अत्यधिक मनोरंजन पूर्ण बनाने के लिए बार-बार अपाहिज व्यक्ति से प्रश्न पूछ पूछ कर उसे रुला देते हैं और फिर दर्शकगण भी मनोरंजन करने के लिए उस अपाहिज व्यक्ति के रोने की प्रतीक्षा करते हैं। इस पंक्ति का बहाव है कि सिनेमा जगत अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए किसी अपाहिज को अपने कैमरे के सामने प्रस्तुत करता है तथा बार-बार उससे संवेदनशील प्रश्न पूछता है। उसे अवसर खोने का डर दिखाकर उसकी आत्मा को दर्शकों के सामने खोलने का प्रयास करता है।

काव्य-सौंदर्य –

  • कवि ने अपाहिज व्यक्ति के प्रति गहन संवेदना प्रकट की है।
  • बिंब योजना सार्थक और सटीक है।
  • भाषा सरल व सहज है।

3. फिर हम परदे पर दिखलाएंगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)

शब्दार्थ – कसमसाहट – बेचैनी। फूली हुई आंख – आंसुओं से भरी आंख।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 में संकलित ‘रघुवीर सहाय’ द्वारा रचित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसमें कवि ने अपाहिज व्यक्ति की बेचैनी का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है।

व्याख्या – कवि कहता है कि हम टेलीविजन कैमरे के समक्ष अनेक प्रश्न पूछ कर शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति को रुला देंगे। जब वह व्यक्ति रोने लगेगा हम कैमरे को उसकी आंसुओं से भरी आंखों की तस्वीर दर्शकों के सामने प्रस्तुत करेंगे। कभी का भाव है कि टेलीविजन कैमरे वाले अपने कार्यक्रम की सफलता के लिए किसी अपाहिज व्यक्ति की आंसुओं से भरी आंखों के साथ-साथ होठों पर आई बेचैनी को भी बड़ी से बड़ी तस्वीर द्वारा दिखलाएंगे ताकि दर्शक शारीरिक कमजोरी की पीड़ा, वेदना को समझ सके तथा महसूस कर सकें।

काव्य-सौंदर्य –

  • शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति की बेचैनी का चित्रण हुआ है।
  • भाषा सरल व सहज है।
  • तत्सम तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग है।

4. एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
आप और वह दोनों
(कैमरा)
बस करो
नहीं हुआ रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है)
अब मुस्कुराएंगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई)
धन्यवाद।

शब्दार्थ – धीरज – धैर्य। संघ – साथ।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक आरोह भाग 2 में संकलित ‘रघुवीर सहाय’ द्वारा रचित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसमें कवि ने शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति के प्रति संवेदना का चित्रण प्रस्तुत किया है।

व्याख्या – कवि कहता है कि टेलीविजन कैमरे के सामने कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले बार-बार अपाहिज को दिखाते हैं। वे दर्शकगण से विनती करते हैं कि आप कुछ समय प्रतीक्षा करिए और प्रयास करके आपके समझ अपाहिज की पीड़ा को दिखाएंगे। वे कहते हैं कि हम इस तरह से इस अपाहिज की वंदना का चित्रण दिखाएंगे जिससे कि आप दर्शक तथा वह अपाहिज दोनों एक साथ रोने लग जाए। कवि कहता है कि दूरदर्शन पर यह बताया जाता है कि आप दर्शकगण सामाजिक भावना के उद्देश्य से परिपूर्ण कार्यक्रम देख रहे थे लेकिन किन्ही कारणों से थोड़ी कमी रह गई, जिससे हम पूरा नहीं दिखा पाए। फिर वे धन्यवाद बोल कर अपने कार्यक्रम को समाप्त कर लेंगे। व्यंग्य के माध्यम से कवि ने ऐसे अपाहिज व्यक्ति की ओर संकेत किया है जो अपनी वंदना को बेचना चाहता है।

काव्य-सौंदर्य –

  • खड़ी बोली भाषा सरल और सहज है।
  • मुक्तक छंद का प्रयोग हैं।
  • भीम योजना सार्थक एवं सटीक हैं।

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