(i) छोटा मेरा खेत (ii) बगुलों के पंख Class 12 Hindi Summary – आरोह भाग 2 NCERT Solution

NCERT Solution of Class 12 Hindi आरोह भाग 2 (i) छोटा मेरा खेत (ii) बगुलों के पंख Summary  for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board,  Up Board, RBSE and Some other state Boards. We Provides all Classes पाठ का सार, अभ्यास के प्रश्न उत्तर और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर , MCQ for score Higher in Exams.

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NCERT Solution of Class 12th Hindi Aroh Bhag 2 /  आरोह भाग 2 (i) छोटा मेरा खेत (ii) बगुलों के पंख / Chota mera khet Bagulo ke pankh Kavita ( कविता ) Summary Solution.

(i) छोटा मेरा खेत (ii) बगुलों के पंख Class 12 Hindi Chapter 9 Summary


‘छोटा मेरा खेत’ कविता का सार

‘छोटा मेरा खेत’ कविता ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा लिखित रोचक व आकर्षक कविता है। यह उनके काव्य संग्रह ‘निशीथ’ में से ली गई है। कवि का मानना है कि किसी भी कविता का जन्म सरल नहीं होता है। उसका जन्म किसी अज्ञात प्रेरणा से किसी विशेष क्षण में ही होता है। जब कभी बड़े मनोयोग से यह त्याग कर तन्मयता पूर्वक विचार करता है तभी कविता का जन्म होता है। मानव मन में उत्पन्न होने वाले भाव हमेशा एक समान नहीं रहते हैं। वे पल-पल बदलते रहते हैं। वे तो जीवन की आपाधापी से उत्पन्न विचारों में से स्वयं निकलते हैं और कवि के ह्रदय को कविता रचने की प्रेरणा दे जाते हैं। वह सदा हर स्थिति में ज्यों का त्यों बना रहता है। कविता रूपी कमल चिरंजीवी और सार्थक होती है जो शब्दों के अंकुरण से स्वरूप ग्रहण करते ही अलौकिक रस समाज को प्रदान करने लगती है। कवि स्पष्ट कहते हैं कि खेत में पैदा अनाज तो कुछ समय पश्चात समाप्त हो जाता है लेकिन साहित्य से जिस रस धारा की प्राप्ति होती है वह अनंतकाल तक समाप्त नहीं होता है।


‘बगुलों के पंख’ कविता का सार

‘बगुलोंं के पंख’ कविता ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित उनके सुप्रसिद्ध काव्य संग्रह ‘निशीथ’ से ली गई है। इस कविता में कवि ने आकाश में उड़ते पक्षियों के सौंदर्य में चित्रात्मक वर्णन के साथ साथ उनका अपने मन पर पड़ने वाले अटूट प्रभाव का भी सजीव चित्रण किया है। यह प्रकृति सौंदर्य से परिपूर्ण कविता है। आकाश में बगुलोंं की पंक्तियां बनी हुई है। वह कवि की आंखें चुरा ले जा रही है अर्थात कवि उनकी ओर ही अपनी नजरें टिकाए हुए हैं। काले काले बादलों की छाया पर शाम के समय सफेद रंग के शरीर तैरते दिखाई दे रहे हैं। कवि प्राकृतिक सभा में खुद को डूबा हुआ अनुभव करता है और उसी में ही खुद को व्यस्त रखना चाहता है।


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