कंपनी की शोषणकारी नीतियाँ व उनका विरोध Class 8 इतिहास Chapter 8 Important Question Answer – हमारा भारत III HBSE Solution

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कंपनी की शोषणकारी नीतियाँ व उनका विरोध Class 8 इतिहास Chapter 8 Important Question Answer


प्रश्न 1. कम्पनी राज में अकाल के कारण जानें।

उत्तर – कंपनी राज्य में अकाल के निम्नलिखित कारण थे —

  • कंपनी राज में सभी हस्तशिल्प उद्योगों का पतन हो गया जिसके कारण बहुत सारे लोगों का रोजगार छीन लिया।
  • कंपनी राज के कारण भारत में औद्योगिक क्रांति नहीं आ पाई।
  • कंपनी राज में बहुत सारी शोषणकारी नीतियां लोगों पर लागू की गई।
  • भारत से धर्म लगातार इंग्लैंड जाता रहा और इस धन निकाल के कारण भारत में अकाल की स्थिति उत्पन्न हुई।
  • कंपनी राज में भारत में अपनाई गई भू राजस्व नीतियां कृषकों के लिए विनाशकारी सिद्ध हुई।

प्रश्न 2. भारतीय शिल्पकारों एवं कारीगरों के अंग्रेज़ों से प्रतिरोध के मुख्य कारणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – भारतीय फिल्मकारों एवं कारीगरों ने अंग्रेजों से प्रतिरोध के निम्नलिखित कारण थे —

  • अंग्रेजों की शोषणकारी व्यापारिक नीतियों से लोग परेशान आ चुके थे।
  • 1769 ई. में कम्पनी ने बंगाल में कच्चे रेशम की पैदावार को बढ़ावा दिया परन्तु सिल्क से तैयार माल पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया जिसके कारण सारा मुनाफा कंपनी को हुआ।
  • कम्पनी के विभेदकारी कानूनों से भारतीय हस्तकलाएं नष्ट हो गई और इनका स्थान ब्रिटिश सामग्री ने ले लिया था।
  • लोगों के पास बिना व्यवसाय के धन की कमी होने लगी और भुखे मरने की नौबत आ गई।

प्रश्न 3. स्थाई बन्दोबस्त के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – स्थाई बंदोबस्त के गुण और दोषों का वर्णन निम्नलिखित है —

गुण दोष
  • स्थाई बंदोबस्त से कंपनी को बहुत लाभ हुआ।
  • कंपनी को निश्चित तारीख पर एक अच्छी धनराशि प्राप्त होती थी।
  • कंपनी का जमीन पर नियंत्रण बढ़ता जा रहा था।
  • स्थाई बंदोबस्त के कारण किसान कर्ज में डूब गए।
  • कंपनी को धन निश्चित तारीख तक देना ही पड़ता था।
  • कर समय पर न चुका पाने के कारण गैरहाजिर जमीदार वर्ग उत्पन्न हुआ

प्रश्न 4. स्थाई बंदोबस्त क्या था? इसे कब, कहां और किसने लागू किया?

उत्तर – 1786 ई. में इंग्लैण्ड का एक जमींदार लार्ड कार्नवालिस भारत में कम्पनी का गवर्नर जनरल बनकर आया। उसने कम्पनी की आय निश्चित करने के लिए 1790 ई. में दस वर्षीय बंदोबस्त करके जमींदारों को भूमि का स्वामी स्वीकार किया। इसके अन्तर्गत कर की मात्रा बहुत अधिक थी। जमींदारों को एक निश्चित तारीख तक एक तयशुदा भू-राजस्व जमा कराना होता था जिसे सूर्यास्त का नियम कहा जाता था और न दे पाने पर जमींदारी छिन जाती थी। 1793 में इस बंदोबस्त को स्थायी बंदोबस्त घोषित कर दिया। इसे बंगाल, बिहार, उड़ीसा, बनारस व उत्तरी मद्रास के कुछ जिलों अर्थात् ब्रिटिश भारत के 19 प्रतिशत भाग पर लागू किया गया था। जमींदार को भूमि का स्वामी मान लिया गया। भूमिकर में 9/10 हिस्सा कम्पनी का व 1/10 हिस्सा जमींदार का रखा गया।


प्रश्न 5. रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या थी? इसे कब, कहां और किसने लागू किया?

उत्तर – 1820 ई. में सर थामस मुनरो ने मद्रास प्रेजीडेंसी में भूमि कर की जो व्यवस्था लागू की, उसे ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ कहा जाता है। इसे रैय्यतवाड़ी व्यवस्था इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस व्यवस्था में समझौता सीधा रैयतों अर्थात् किसानों के साथ किया गया न कि जमींदारों के साथ। दक्षिण भारत में वैसे भी बड़ी-बड़ी भूमियों वाले जमींदार नहीं थे। इस व्यवस्था के अन्तर्गत भू-राजस्व 40-55 प्रतिशत तक की मात्रा निश्चित की गई। भूमि कर न दे सकने वाले किसानों की भूमि को नीलाम किया जा सकता था। इस व्यवस्था को मद्रास के तुरंत बाद बंबई, असम, सिंध, कुर्ग, बरार, अंडमान निकोबार इत्यादि ब्रिटिश भारत के लगभग 51 प्रतिशत भाग पर लागू किया गया।


प्रश्न 6. महालवाड़ी व्यवस्था क्या थी? इसे कहां-कहां पर लागू किया था?

उत्तर – भारत में यह व्यवस्था संयुक्त प्रांत के कुछ भाग, मध्य प्रांत तथा पंजाब में अर्थात् ब्रिटिश भारत के लगभग 30 प्रतिशत भाग पर लागू की गई। महालवाड़ी व्यवस्था ‘महाल’ अर्थात् सम्पूर्ण गाँव के साथ सामूहिक रूप से की जाती थी। इसे गाँव के अनुसार व्यवस्था भी कहा जाता था। इस प्रणाली में कम्पनी ने जमींदार अथवा किसान से समझौता नहीं किया अपितु समूचे गाँव से सामूहिक रूप से समझौता किया। इस व्यवस्था में सारा गाँव अथवा उनके प्रतिनिधि उस महाल अथवा गाँव के लिए निश्चित किए गये भूमि कर को अदा करने के लिए जिम्मेदार होता था। गाँव की ओर से मुखिया अथवा नम्बरदार समझौते पर हस्ताक्षर करते थे। इस व्यवस्था के प्रारम्भ में उपज का 2/3 भाग भूमि कर के रूप में निश्चित किया गया यद्यपि बाद में इसे घटाकर 1/2 निर्धारित कर दिया गया। भूमि का स्वामी सम्पूर्ण गाँव को माना गया। भारत में यह व्यवस्था संयुक्त प्रांत के कुछ भाग, मध्य प्रांत तथा पंजाब में अर्थात् ब्रिटिश भारत के लगभग 30 प्रतिशत भाग पर लागू की गई।


प्रश्न 7. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के खिलाफ किसानों के विद्रोह के क्या कारण थे?

उत्तर – ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अपनी आय में वृद्धि के लिए मालगुजारी संबंधी सुधारों ने भारत के ग्रामीण समाज को बुनियादी तौर पर प्रभावित और परिवर्तित किया। इस कर की उगाही के लिए किसानों पर विभिन्न प्रकार के अत्याचार किए जिससे भारत के अलग-अलग हिस्से के किसानों ने विद्रोह कर दिए। सभी विद्रोहों का कारण कम्पनी की अत्याचारपूर्ण शोषणकारी नीतियाँ थी। अपने आधुनिक संसाधनों से अंग्रेज़ इन विद्रोहों को दबाने में तो सफल रहे।

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