दक्षिण के राज्य: चालुक्य, पल्लव एवं चोल Class 7 इतिहास Chapter 2 Question Answer – हमारा भारत II HBSE Solution

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HBSE Class 7 इतिहास / History in hindi दक्षिण के राज्य: चालुक्य, पल्लव एवं चोल / Dakshin ke Rajya – Chalukya, pallav avam chol Question Answer for Haryana Board of chapter 2 in Hamara Bharat II Solution.

दक्षिण के राज्य: चालुक्य, पल्लव एवं चोल Class 7 इतिहास Chapter 2 Question Answer


सही उत्तर छांटें :


1. चालुक्यों और पल्लवों के बीच लम्बे समय तक चलने वाले संघर्ष का आरंभ किसने किया?
क) पुलकेशिन – II
ख) महेन्द्रवर्मन – ।
ग) नरसिंह वर्मन – ।
घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर – क) पुलकेशिन – II


2. कांची के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?
क) चालुक्य
ख) पल्लव
ग) वाकाटक
घ) सातवाहन

उत्तर – ख) पल्लव


3. माम्मलपुरम का दूसरा नाम है।
क) महाबलिपुरम
ख) उज्जयिनी
ग) मदुरै
घ) कल्याणी

उत्तर – क) महाबलिपुरम


4. निम्नलिखित में से किस शासक के पास एक शक्तिशाली नौसेना थी?
क) चोल
ख) पांड्य
ग) चेर
घ) पल्लव

उत्तर – क) चोल


5. ह्वेनसांग के कांची प्रवास के समय पल्लव शासक था
क) महेन्द्रवर्मन ।
ख) नरसिंह वर्मन – ।
ग) महेन्द्रवर्मन – II
घ) नरसिंह वर्मन – II

उत्तर – ख) नरसिंह वर्मन – ।


रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

  1. चोल शासक ________ अथवा _______ संप्रदाय के समर्थक थे।

  2. तोंडेयर को संस्कृत में __________ कहा गया है।

  3. __________ का लेखक रवि कीर्ति जैन था।

  4. ________ वेंगी वंश का सबसे शक्तिशाली शासक हुआ।

उत्तर – 1. शैव, वैष्णव, 2. पल्लव, 3. पुलकेशिन द्वितीय के अभिलेख, 4. विजयादित्य तृतीय।


उचित मिलान करो :

  1. पुलकेशिन द्वितीय
  2. पिष्टुपुर
  3. माम्मलपुरम के रथ मंदिर
  4. मत्तविलास प्रहसन
  5. गगैंकोण्डचोलपुरम
  • नरसिंह वर्मन
  • महेंद्रवर्मन प्रथम
  • राजेंद्र प्रथम
  • दक्षिण में कदंबों को परास्त किया
  • पूर्वी चालूक्यों की राजधानी

उत्तर

  1. पुलकेशिन द्वितीय
  2. पिष्टुपुर
  3. माम्मलपुरम के रथ मंदिर
  4. मत्तविलास प्रहसन
  5. गगैंकोण्डचोलपुरम
  • दक्षिण में कदंबों को परास्त किया
  • पूर्वी चालूक्यों की राजधानी
  • नरसिंह वर्मन
  • महेंद्रवर्मन प्रथम
  • राजेंद्र प्रथम

निम्नलिखित कथनों में सही (✓) अथवा गलत (X) का निशान लगाओ :

  1. चोल सम्राटों का शासन काल तमिल साहित्य का स्वर्णकाल था । (✓)

  2. सुदूर दक्षिण में पाषाण वास्तुकला का आरंभ चोल शासकों ने किया। (X)

  3. कोट्टम पल्लव प्रशासन की वह इकाई है जिसके अंतर्गत गांव का एक समूह होता है। (✓)

  4. विद्वान दंडी ने “दशकुमारचरितम” नामक काव्य ग्रंथ की रचना की। (✓)

  5. महान कवि भारवी विक्रमादित्य के दरबारी कवि थे। (X)


लघु प्रश्न :


प्रश्न 1. किस शासक ने वातापी किले का निर्माण करवाया ?

उत्तर – पुलकेशिन प्रथम ने वातापी के किले का निर्माण करवाया।


प्रश्न 2. चालुक्य काल के दौरान वास्तुकला के क्षेत्र में किस प्रकार का विकास हुआ? उदाहरण दें।

उत्तर – वास्तु कला के क्षेत्र में चालुक्यों के समय की एक मुख्य विशेषता पहाड़ों और चट्टानों को काटकर बड़े-बड़े मंदिरों का निर्माण था। उनके समय में विभिन्न हिंदू गुफा मंदिरों और चैत्य हालों का निर्माण किया गया। बादामी, ऐलोरा, ऐलीफंटा, औरंगाबाद, अंजता आदि में पर्वतों को काटकर सुन्दर मन्दिरों का निर्माण किया गया था।


प्रश्न 3. चालुक्य के कल्याणी वंश के एक शक्तिशाली राजा का नाम बताएं एवं उनकी किसी भी एक उपलब्धि का वर्णन करें।

उत्तर – चालुक्य के कल्याणी वंश के एक शक्तिशाली राजा तैल द्वितीय ने पांचाल प्रदेशों को अपने अधीन किया।


प्रश्न 4. पुलकेशिन द्वितीय की तीन उपलब्धियों का वर्णन करो ?

उत्तर

  1. पुलकेशिन द्वितीय ने दक्षिण में कदंबों, कोंकण के मौर्यो एवं उत्तर के गुर्जरों को परास्त किया।
  2. पुलकेशिन द्वितीय ने उत्तर भारत के महान सम्राट हर्षवर्धन को हराया।
  3. पुलकेशिन द्वितीय ने पूर्व में कलिंगों को परास्त किया।

प्रश्न 5. पल्लव काल में निर्मित मंदिरों की क्या विशेषताएं थी?

उत्तर – उन्होंने मंदिरों में विष्णु, शिव, ब्रह्मा, लक्ष्मी आदि हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों को प्रतिष्ठित किया।


आइए विचार करें :


प्रश्न 1. चोल काल की आर्थिक, धार्मिक एवं साहित्यिक दशा के बारे संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

उत्तर – आर्थिक स्थिति : चोल शासन में प्रजा सुखी व संपन्न थी । चोल शासकों ने कृषि की वृद्धि के लिए सिंचाई की अच्छी व्यवस्था की थी जो राज्य की आय और प्रजा की समृद्धि का मुख्य आधार था। उनके समय में व्यापार और उद्योगों में भी प्रगति हुई थी। राजमार्गों की सुरक्षा का अच्छा प्रबंध था और एक शक्तिशाली नौसेना के कारण समुद्री मार्ग से विदेशी व्यापार में प्रगति हुई। उस समय विदेशों से भी व्यापार होता था। चोल साम्राज्य सामन्तीय अर्थव्यवस्था पर आधारित था।

धार्मिक स्थिति : चोल शासक शैव अथवा वैष्णव संप्रदाय के समर्थक थे। चोलों के समय में दक्षिण भारत में शैव और वैष्णव संप्रदाय का प्रसार हुआ। इस काल में मंदिरों का स्थान प्रमुख बन गया था। मंदिर धर्म, शिक्षा, कला और जन सेवा के केंद्र बन गए थे। इस कारण चोल शासकों ने अनेक मंदिरों का निर्माण किया।

साहित्य एवं कला : चोल सम्राटों का शासनकाल तमिल साहित्य का ‘स्वर्ण काल’ था। साहित्य के क्षेत्र में मुख्यतः काव्य ग्रंथों की रचना हुई। जैन विद्वान तिरुतक्कदेवर ने ‘जीवकचिंतामणि’, तोलामोलि ने ‘सूलामणि’ और कंबन ने ‘रामावतारम’ नामक ग्रंथ लिखे ।


प्रश्न 2. कांची के पल्लवों और बादामी के चालुक्यों के बारे में चर्चा करें।

उत्तर – कांची के पल्लव – दक्षिण भारत में पल्लवों की शुरुआत सातवाहन वंश के पतन के बाद हुई और उन्होंने कांची को अपनी पहली राजधानी बनाया। यहां उन्होंने प्रसिद्ध कैलाशनाथ मंदिर बनवाया। पल्लवों की राजधानी को बाहरी आक्रमणों से बचाने के लिए उन्हें कई बार युद्ध भी लड़ने पड़े।

बादामी के चालुक्य – बादामी के चालुक्यों ने छठी सदी के मध्य काल से लेकर आठवीं सदी के मध्य काल तक शासन किया। इस वंश का सबसे पहला शासक जयसिंह था । पुलकेशिन प्रथम ने वातापी के किले का निर्माण किया और उसे अपनी राजधानी बनाया। बादामी के चालुक्यों में शक्तिशाली शासक पुलकेशिन द्वितीय ने दक्षिण में कदंबों, कोंकण के मौर्यो एवं उत्तर के गुर्जरों को परास्त किया। उसने उत्तर भारत के महान सम्राट हर्षवर्धन को भी हराया था।


प्रश्न 3. चालुक्य एवं पल्लव शासकों द्वारा शिक्षा एवं साहित्य के विकास के लिए किए गए प्रयासों की तुलनात्मक व्याख्या करें।

उत्तर

शिक्षा व साहित्य के विकास में चालुक्यों के प्रयास : चालुक्य शासक शिक्षा एवं साहित्य के महान प्रेमी थे। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर विद्यालय एवं महाविद्यालयों का निर्माण करवाया तथा साहित्यकारों एवं लेखकों को अपने दरबार में संरक्षण दिया। चालुक्यों ने संस्कृत भाषा को अत्यधिक महत्व दिया। विल्हण का ‘विक्रमांकदेवचरित’ व सोमदेव सूरी को ‘वाक्यामृत’ इस युग में लिखे गए प्रमुख ग्रन्थ हैं।

शिक्षा एवं साहित्य के विकास में पल्लव के प्रयास : कांची के विश्वविद्यालय ने इस प्रगति में बहुत सहयोग दिया। पल्लव शासकों ने विद्वानों को आश्रय दिया। सम्राट सिंह विष्णु ने समकालीन विद्वान भारवि को अपने दरबार में आने हेतु आमंत्रित किया था तथा विद्वान दंडी को उसके राज्य में राजकीय संरक्षण प्राप्त हुआ था। पल्लव शासकों के समय में संस्कृत के अतिरिक्त तमिल साहित्य की भी प्रगति हुई। तमिल का ‘कुरल’ नामक ग्रन्थ इसी काल में लिखा गया था। पल्लवों द्वारा कांची के समीप एक मण्डप में महाभारत के नियमित पाठ का प्रबन्ध करवाया गया था।


प्रश्न 4. चोल के केंद्रीय और प्रांतीय शासन पर विश्लेषणात्मक टिप्पणी करें।

उत्तर – चोल शासक कुशल शासक प्रबन्धक थे। केंद्रीय शासन का प्रधान सम्राट होता था। चोल शासक निरंकुश होते हुए भी प्रजा की भलाई और सार्वजनिक हित के कार्य में लगे रहना अपना प्रमुख कर्त्तव्य मानते थे। सम्राट की सहायता के लिए विभिन्न मंत्री तथा अन्य बड़े पदाधिकारी होते थे।

चोलों ने सम्पूर्ण साम्राज्य को 6 प्रांतों में विभाजित किया । प्रान्त को मण्डलम तथा इसके अध्यक्ष को वायसराय कहा जाता था। मण्डलम का विभाजन कोट्टम अथवा वलनाडु में होता था तथा कोट्टम को आगे नाडु में विभाजित किया गया था। नाडु की सभा को नाट्टार कहा जाता था। जिसमें सभी गांवों व नगरों के प्रतिनिधि होते थे।


प्रश्न 5. पल्लव शासकों के काल में वास्तुकला का विकास किस प्रकार हुआ ? संक्षेप में लिखो ।

उत्तर – सुदूर दक्षिण में पाषाण वास्तुकला का आरंभ पल्लव शासकों ने किया था और उनके सरंक्षण में अनेक मंदिर पहाड़ों की चट्टानों को काटकर बनाए गए जिनमें विष्णु, शिव, ब्रह्मा तथा हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां प्रतिष्ठित की गई। मामल्लपुरम के शिव मंदिर, पांच पाण्डवों का मंदिर और वराह मंदिर इस समय की कला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। उनमें सुंदर मूर्तियां और चित्र बनवाए गए।


आओ करके देखें


प्रश्न 1. भारत के मानचित्र पर दक्षिण भारतीय राज्यों को उनकी राजधानी सहित अंकित करें ।

उत्तर

 


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