दिव्य चेतना पुरुष रामकृष्ण परमहंस Class 9 नैतिक शिक्षा Chapter 8 Important Question Answer HBSE Solution

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HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 8 दिव्य चेतना पुरुष रामकृष्ण परमहंस / Divya Chetna Purush Ramkrishna Pramhansh Important Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 9th Book Solution.

दिव्य चेतना पुरुष रामकृष्ण परमहंस Class 9 Naitik Siksha Chapter 8 Important Question Answer


प्रश्न 1. रामकृष्ण परमहंस के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताओ।

उत्तर – रामकृष्ण परमहंस के व्यक्तित्व की विशेषताएं निम्नलिखित हैं –

  • रामकृष्ण परमहंस बचपन से ही हंसमुख और नटखट थे।
  • उनका कंठ स्वर बहुत मधुर था।
  • संगीत और काव्य में उनकी विशेष रूचि थी।
  • वे सभी धर्मों का आदर करते थे।
  • उनमें नारी सुलभ माधुर्य व भावुकता थी।

प्रश्न 2. रामकृष्ण को बचपन में क्या शौक था ?

उत्तर – रामकृष्ण का कण्ठ स्वर बहुत मधुर था। वे श्रीकृष्ण के गाय चराने के गीत बड़ी मधुरता के साथ गाते थे। संगीत और काव्य में उनकी विशेष अनुरक्ति थी। देवी-देवताओं के अभिनय में उन्हें इतने आनन्द की अनुभूति होती थी कि उनकी अपनी सत्ता का लोप हो जाता था।


प्रश्न 3. उन्नीसवीं सदी में भारतीय समाज की जाति व्यवस्था कैसी थी ?

उत्तर – 19वीं सदी में भारतीय समाज में ब्राह्मण का शुद्र से दान लेना असंभव सा था।  उस समय जातीय भेदभाव बहुत अधिक था। जो भी ब्राह्मण शुद्र से दान लेता था उसे समाज से बहिष्कृत किया जा सकता था।


प्रश्न 4. किस घटना से पता चलता है कि रामकृष्ण बचपन से ही दृढ़ निश्चयी थे?

उत्तर – जब उनके गांव में एक धनी शूद्र ने उनसे आग्रह करके यह वचन ले लिया था कि यज्ञोपवीत के समय वह सबसे पहले उसी का दान स्वीकार करेंगे। जबकि उन दिनों किसी ब्राह्मण का शूद्र से दान लेने के कारण उसे समाज से बहिष्कृत भी किया जा सकता था। इन सब के बावजूद उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करते हुए उस धनी शूद्र से पहला दान स्वीकार किया। इस घटना से पता चलता है कि रामकृष्ण बचपन से ही दृढ़ निश्चयी थे।


प्रश्न 5. रामकृष्ण ने अपने शिष्यों को क्या सन्देश दिया ?

उत्तर – रामकृष्ण ने अपने शिष्यों को संदेश दिया कि मैंने हिंदू, मुसलमान, ईसाई सभी धर्मों का अनुशीलन किया है। मैंने देखा है कि उस एक भगवान की तरफ सबके कदम बढ़ रहे हैं यद्यपि उनके पथ अलग-अलग हैं।


प्रश्न 6. वेदान्त ज्ञान प्राप्त कर उनकी समझ किस प्रकार विकसित हुई ?

उत्तर – सन 1864 में एक वेदान्तिक पण्डित व साधक तोतापुरी ने उनको वेदान्त की शिक्षा दी। उनकी समझ में आ गया कि साकार और निराकार एक ही सत्ता है, यह वैसे ही एक है, जैसे- दूध और उसकी धवलता, हीरा और उसकी चमक अथवा सर्प और उसकी वक्रता। एक के बिना दूसरे का विचार ही असम्भव है। माँ और ब्रह्म दोनों एक ही हैं।


प्रश्न 7. शिकागो की धर्मसंसद से पूर्व भारत के धर्म-दर्शन और संस्कृति के बारे में यूरोपवासियों के क्या विचार थे?

उत्तर – शिकागो की धर्म संसद से पहले भारत के धर्म दर्शन और संस्कृति के बारे में यूरोप वासियों का मानना था कि भारतीय धर्म दर्शन बहुत पिछड़ा हुआ और तुच्छ है। परंतु स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो की धर्म-संसद में वेदान्त और भारतीय संस्कृति की तार्किक व्याख्या कर पूर्वाग्रही यूरोप व अन्य धर्मावलम्बियों के ज्ञान चक्षु खोल दिए थे।


 

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