यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तारवादी नीतियाँ Class 8 इतिहास Chapter 7 Question Answer – हमारा भारत III HBSE Solution

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HBSE Class 8 इतिहास / History in hindi यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तारवादी नीतियाँ / Europian Ghuspaith tatha unki vistarvadi nitiyan Question Answer of chapter 7 in Hamara Bharat III Solution.

यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तारवादी नीतियाँ Class 8 इतिहास Chapter 7 Question Answer


आओ याद करें

  1. भारत में आने वाली सर्वप्रथम यूरोपीय शक्ति पुर्तगाली थे।

  2. 1510 ई. में पुर्तगालियों ने गोवा पर अधिकार किया।

  3. पुर्तगालियों ने ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स द्वितीय के साथ राजकुमारी कैथरीन का विवाह किया और मुंबई को दहेज में दिया था।

  4. अंग्रेजों ने 1760 ई. में वांडीवाश के निर्णायक युद्ध में फ्रांसीसियों को हराया था।

  5. बंगाल के नवाब मीर कासिम ने अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थानांतरित की थी।

  6. मैसूर के हैदर अली ने स्वतंत्र राज्य की स्थापना की उसकी 1782 ई. में मृत्यु हो गई।

  7. वेलेजली ने सहायक संधि द्वारा हैदराबाद, अवध, मैसूर, कर्नाटक एवं मराठों को कंपनी के अधीन किया।

  8. डलहौजी ने लैप्स की नीति के तहत सतारा, नागपुर, झांसी, संभलपुर, जयपुर, उदयपुर को अंग्रेजी साम्राज्य में विलय किया।


रिक्त स्थान भरो :

  1. मराठा शासक के प्रधानमंत्री को _______ कहा जाता था।

  2. मैसूर राज्य पहले ______ साम्राज्य का एक अंग था।

  3. हम _______ के नागरिकों को अंग्रेज़ कहते हैं।

  4. सबसे पहले भारत छोड़कर जाने वाली यूरोपियन शक्ति ________ थी।

  5. झाँसी को ______ की नीति के अंतर्गत ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया गया था।

उत्तर 1. पेशवा, 2. विजयनगर, 3. ब्रिटेन, 4. डच, 5. लैप्स


उचित मिलान कीजिए

  1. बक्सर का युद्ध
  2. प्लासी की लड़ाई
  3. मराठा सरदार
  4. मैसूर का राजवंश
  5. निर्णायक फ्रांसीसी हार
  • नाना फड़नवीस
  • मीर कासिम
  • वाडियार
  • वांडीवाश
  • सिराजुद्दौला

उत्तर

  1. बक्सर का युद्ध
  2. प्लासी की लड़ाई
  3. मराठा सरदार
  4. मैसूर का राजवंश
  5. निर्णायक फ्रांसीसी हार
  • मीर कासिम
  • सिराजुद्दौला
  • नाना फड़नवीस
  • वाडियार
  • वांडीवाश

आओ विचार करें :


प्रश्न 1. यूरोपीय शक्तियों के आगमन से पहले भारत के विदेशी व्यापार की क्या स्थिति थी?

उत्तर –  यूरोपीय शक्तियों के आगमन से पहले यूरोपीय देशों में भारतीय सामान की आपूर्ति मुख्यत: लाल सागर और भूमध्य सागर के मार्ग से की जाती थी। थोड़ा बहुत व्यापार स्थल मार्ग से भी होता था जो अफगानिस्तान तथा ईरान से होकर गुजरता था। इस समय तक भारतीय व्यापार पर अरब व्यापारियों का ही एकाधिकार था। पंद्रहवीं शताब्दी के मध्य में तुर्कों द्वारा पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप तथा मिस्र पर अधिकार कर लिया गया तथा इस मार्ग से होने वाले व्यापार में बाधाएं उत्पन्न करनी शुरू कर दी। इस प्रकार काफी समय से प्रचलित यह व्यापार मार्ग बंद हो गया। जिसके कारण व्यापारियों को नए रास्ते की तलाश करनी पड़ी।


प्रश्न 2. यूरोपीय शक्तियों द्वारा आरम्भ में तटीय क्षेत्रों में बस्तियां स्थापित करने के पीछे क्या कारण रहे होंगे?

उत्तर – यूरोपीय शक्तियों द्वारा आरंभ में तटीय क्षेत्रों में बस्तियां स्थापित करने के निम्नलिखित कारण थे—

  • समुद्री व्यापार पर एकाधिकार करना।
  • अपने विरोधियों को खत्म करना।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नियंत्रण करना।
  • अधिक से अधिक मुनाफा कमाना।
  • क्षेत्रीय विस्तार में सेना द्वारा आसानी से हमला कर पाना।

प्रश्न 3. भारतीय शासक संख्या, बल और स्थानीय परिवेश से परिचित होने के बावजूद भी यूरोपीय शक्तियों के विरुद्ध सफल नहीं रहे, कारणों पर चर्चा करें।

उत्तर – भारतीय शासक संख्या, बल और स्थानीय परिवेश से परिचित होने के बावजूद भी यूरोपीय शक्तियों के विरुद्ध सफल नहीं रहे, इसके निम्नलिखित कारण थे—

  • भारतीय शासकों के आपसी मतभेद एवं फूट।
  • अच्छी युद्ध रणनीति का न होना।
  • अपनों द्वारा धोखा दिया जाना।

प्रश्न 4. अंग्रेजों एवं मराठों के मध्य हुए युद्धों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – मराठे दक्षिण भारत में भारत के सभी राज्यों में से शक्तिशाली राजा के रूप में उभरे तथा दूसरी ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी यूरोपियन शक्तियों में सर्वश्रेष्ठ बनकर उभरी। अंग्रेज़ों और मराठों में भारत की सत्ता प्राप्त करने के लिए तीन युद्ध लड़े गए :

  1. पहला युद्ध ( 1785-92 ई.) :यह लगभग 7 वर्ष तक चला, लेकिन बिना किसी फैसले के समाप्त हो गया ।
  2. दूसरा युद्ध (1803-06 ई.) : नाना फड़नवीस की मृत्यु से पेशवा कमज़ोर हो चुका था और आपसी फूट तथा अंग्रेज़ों की कूटनीति के कारण इस युद्ध में पहले पेशवा उसके बाद सिंधिया, होल्कर, गायकवाड और भोंसले सभी पराजित हुए तथा कंपनी का विस्तार भारत के एक बड़े भू-भाग पर हो गया।
  3. तीसरा युद्ध (1817-18 ई.) : इस युद्ध में भी मराठे पराजित हुए। पूना को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला दिया गया। शेष मराठा राज्य छोटी-छोटी रियासतें बनकर रह गए और कंपनी के अधीन हो गए।

प्रश्न 5. भारत के इतिहास में प्लासी लड़ाई और बक्सर के युद्ध के महत्व का वर्णन कीजिए।

उत्तर – प्लासी की लड़ाई के बाद अंग्रेजों का भारत में प्रवेश हो चुका था उनका बंगाल के कुछ क्षेत्र पर अधिकार हो चुका था। इस युद्ध में बंगाल के नवयुवक नवाब सिराजुद्दौला के बीच बंगाल के प्लासी नामक स्थान पर यह लड़ाई लड़ी गई । यह लड़ाई नवाब की सैनिक दुर्बलता के कारण नहीं अपितु क्लाइव के षड्यंत्र और कूटनीति के कारण अंग्रेजों द्वारा जीती गई। बाद में, मीर जाफर बंगाल का नवाब बना लेकिन अंग्रेजों के षड्यंत्र के चलते उसे राज गद्दी से उतार कर मीरकासिम का नवाब बना दिया। मीर कासिम ने अंग्रेजी षड्यंत्र के कारण भागकर अवध के नवाब शुजाऊदौला के यहां शरण ली। उस समय वहां पर मुगल सम्राट शाह आलम भी आया हुआ था तीनों ने मिलकर कंपनी की सेना से 1764 ई. में बिहार में बक्सर नामक स्थान पर युद्ध लड़ा। इसमें कंपनी की सेना ने तीनों की सम्मिलित सेनाओं को पराजित किया तथा इलाहाबाद की संधि के द्वारा अंग्रेज़ों ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा से कर इकट्ठा करने का अधिकार प्राप्त कर लिया और बंगाल पर अंग्रेज़ों का पूर्ण प्रभुत्व स्थापित हो गया। बंगाल पर अधिकार करने के बाद अंग्रेजों का विस्तार धीरे-धीरे पूरे भारत में चला गया।


आओ करके देखें :


प्रश्न 1. भारत के पूर्वी तट पर दो पुर्तगाली बस्तियों को मानचित्र पर इंगित करते हुए इनके बारे में संक्षेप में लिखिए।

उत्तर

सूरत : यह पुर्तगालियों की बस्ती कपड़े के व्यापार से जुड़ गई। लगभग पूरे उत्तर भारत का व्यापार इसी बंदरगाह से होता था।

गोवा : यह पुर्तगालियों की बस्ती उस समय की एक बहुत अधिक प्रसिद्ध बंदरगाह थी जहां से हर एक वस्तु का व्यापार किया जाता था। इस बंदरगाह पर अधिकार करके उन्होंने इसे अपना प्रशासनिक केंद्र भी बनाया था।


प्रश्न 2. भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए अंग्रेजों को सहायक संधि और लैप्स की नीति जैसी नीतियों की जरूरत क्यों पड़ी? चर्चा कीजिये।

उत्तर – भारतीय शासक निडर और साहसी थे। वह अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए अंग्रेजों से संघर्ष करने लगे। अंग्रेज बिना युद्ध के रियासतें हथियाना चाहते थे। जिसके कारण उन्होंने सहायक संधि व लैप्स की नीति का इस्तेमाल किया था।


प्रश्न 3. सांस्कृतिक एवं नैतिक दृष्टि से भारतीयों और यूरोपियनों में आप क्या अंतर देखते हैं? सूची तैयार कर चर्चा कीजिए।

उत्तर – सांस्कृतिक एवं नैतिक दृष्टि से भारतीय लोग बहुत सारे धर्म और परंपराओं से जुड़े हुए थे। सभी धर्म के लोगों की अपनी अपनी मान्यताएं थी और अपने अपने विचार थे। यूरोपियन लोग भारत में धन कमाने के उद्देश्य से आए थे धीरे-धीरे उन्होंने अपनी संस्कृति, विचार और भाषा को भारत में फैलाना शुरू कर दिया था जिसका लोगों ने बहुत विरोध किया।


 

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