यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तारवादी नीतियाँ Class 8 इतिहास Chapter 7 Important Question Answer – हमारा भारत III HBSE Solution

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HBSE Class 8 इतिहास / History in hindi यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तारवादी नीतियाँ / Europian Ghuspaith tatha unki vistarvadi nitiyan Important Question Answer of chapter 7 in Hamara Bharat III Solution.

यूरोपियन घुसपैठ तथा उनकी विस्तारवादी नीतियाँ Class 8 इतिहास Chapter 7 Important Question Answer


प्रश्न 1. यूरोपीय शक्तियों के आगमन से पहले भारत के विदेशी व्यापार की क्या स्थिति थी?

उत्तर –  यूरोपीय शक्तियों के आगमन से पहले यूरोपीय देशों में भारतीय सामान की आपूर्ति मुख्यत: लाल सागर और भूमध्य सागर के मार्ग से की जाती थी। थोड़ा बहुत व्यापार स्थल मार्ग से भी होता था जो अफगानिस्तान तथा ईरान से होकर गुजरता था। इस समय तक भारतीय व्यापार पर अरब व्यापारियों का ही एकाधिकार था। पंद्रहवीं शताब्दी के मध्य में तुर्कों द्वारा पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप तथा मिस्र पर अधिकार कर लिया गया तथा इस मार्ग से होने वाले व्यापार में बाधाएं उत्पन्न करनी शुरू कर दी। इस प्रकार काफी समय से प्रचलित यह व्यापार मार्ग अवरुद्ध हो गया। यूरोपीय बाजारों में भारतीय सामान की माँग तथा इस व्यापार में अरबों के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए एक नए और सुरक्षित व्यापार मार्ग की आवश्यकता महसूस की जाने लगी।


प्रश्न 2. यूरोपीय शक्तियों द्वारा आरम्भ में तटीय क्षेत्रों में बस्तियां स्थापित करने के पीछे क्या कारण रहे होंगे?

उत्तर

यूरोपीय शक्तियों द्वारा आरंभ में तटीय क्षेत्रों में बस्तियां स्थापित करने के निम्नलिखित कारण थे—

  • समुद्री व्यापार पर एकाधिकार करना।
  • अपने विरोधियों को खत्म करना।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नियंत्रण करना।
  • अधिक से अधिक मुनाफा कमाना।
  • क्षेत्रीय विस्तार में सेना द्वारा आसानी से हमला कर पाना।

प्रश्न 3. आंग्ल मैसूर युद्धों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – मैसूर का राज्य महान विजयनगर साम्राज्य का अंग था विजयनगर के पतन के बाद मैसूर के वाडियार वंश के राजाओं ने अपना विस्तार किया। अठारहवीं शताब्दी के आरंभ में हैदर अली नामक एक वीर एवं साहसी सेनानायक ने नंजराज एवं देवराज नामक दोनों मंत्रियों की सत्ता समाप्त करके तथा वाडियार राजा को हटाकर मैसूर पर शासन करना शुरू कर दिया। अपनी विस्तारवादी नीति के कारण वह शीघ्र ही अंग्रेजों से उलझ गया। हैदर अली व उसके पुत्र टीपू सुल्तान ने अंग्रेज़ों से मैसूर के चार युद्ध लड़े।

क) पहला युद्ध ( 1767-69 ई.) : यह युद्ध हैदर अली और ब्रिटिश कंपनी के बीच लड़ा गया जिसमें हैदर अली का पलड़ा भारी रहा।

ख) दूसरा युद्ध (1780-84 ई.) : पहले हैदर अली ने इस युद्ध का नेतृत्व किया, किंतु बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो जाने के बाद उसके पुत्र टीपू सुल्तान ने इस युद्ध में मैसूर का नेतृत्व किया। यह युद्ध अनिर्णीत रहा।

ग) तीसरा युद्ध (1790-92 ई.) : इस युद्ध में टीपू सुल्तान बड़ी मुश्किल से अपनी स्वतंत्रता बचा पाने में सफल हुआ।

घ) चौथा युद्ध (1799 ई.) : इस युद्ध में टीपू सुल्तान वीरगति को प्राप्त हुआ और अंग्रेज़ों ने निर्णायक जीत हासिल की।


प्रश्न 4. अंग्रेजों एवं मराठों के मध्य हुए युद्धों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – मराठे दक्षिण भारत में भारत के सभी राज्यों में से शक्तिशाली राजा के रूप में उभरे तथा दूसरी ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी यूरोपियन शक्तियों में सर्वश्रेष्ठ बनकर उभरी। अंग्रेज़ों और मराठों में भारत की सत्ता प्राप्त करने के लिए तीन युद्ध लड़े गए :

  1. पहला युद्ध ( 1785-92 ई.) :यह लगभग 7 वर्ष तक चला, लेकिन बिना किसी फैसले के समाप्त हो गया ।
  2. दूसरा युद्ध (1803-06 ई.) : नाना फड़नवीस की मृत्यु से पेशवा कमज़ोर हो चुका था और आपसी फूट तथा अंग्रेज़ों की कूटनीति के कारण इस युद्ध में पहले पेशवा उसके बाद सिंधिया, होल्कर, गायकवाड और भोंसले सभी पराजित हुए तथा कंपनी का विस्तार भारत के एक बड़े भू-भाग पर हो गया।
  3. तीसरा युद्ध (1817-18 ई.) : इस युद्ध में भी मराठे पराजित हुए। पूना को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला दिया गया। शेष मराठा राज्य छोटी-छोटी रियासतें बनकर रह गए और कंपनी के अधीन हो गए।

प्रश्न 5. भारत के इतिहास में प्लासी लड़ाई और बक्सर के युद्ध के महत्व का वर्णन कीजिए।

उत्तर – प्लासी की लड़ाई के बाद अंग्रेजों का भारत में प्रवेश हो चुका था उनका बंगाल के कुछ क्षेत्र पर अधिकार हो चुका था। इस युद्ध में बंगाल के नवयुवक नवाब सिराजुद्दौला के बीच बंगाल के प्लासी नामक स्थान पर यह लड़ाई लड़ी गई । यह लड़ाई नवाब की सैनिक दुर्बलता के कारण नहीं अपितु क्लाइव के षड्यंत्र और कूटनीति के कारण अंग्रेजों द्वारा जीती गई। बाद में, मीर जाफर बंगाल का नवाब बना लेकिन अंग्रेजों के षड्यंत्र के चलते उसे राज गद्दी से उतार कर मीरकासिम का नवाब बना दिया। मीर कासिम ने अंग्रेजी षड्यंत्र के कारण भागकर अवध के नवाब शुजाऊदौला के यहां शरण ली। उस समय वहां पर मुगल सम्राट शाह आलम भी आया हुआ था तीनों ने मिलकर कंपनी की सेना से 1764 ई. में बिहार में बक्सर नामक स्थान पर युद्ध लड़ा। इसमें कंपनी की सेना ने तीनों की सम्मिलित सेनाओं को पराजित किया तथा इलाहाबाद की संधि के द्वारा अंग्रेज़ों ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा से कर इकट्ठा करने का अधिकार प्राप्त कर लिया और बंगाल पर अंग्रेज़ों का पूर्ण प्रभुत्व स्थापित हो गया। बंगाल पर अधिकार करने के बाद अंग्रेजों का विस्तार धीरे-धीरे पूरे भारत में चला गया।


प्रश्न 6.  प्लासी के युद्ध का वर्णन कीजिए।

उत्तर – 1757 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवयुवक नवाब सिराजुद्दौला के बीच बंगाल के प्लासी नामक स्थान पर यह लड़ाई लड़ी गई । यद्यपि नवाब की सेना अंग्रेज़ी सेना से बहुत बड़ी थी, परंतु अधिकांश सेना ने युद्ध में भाग ही नहीं लिया। सिराजुद्दौला के सेनानायकों में से मीर जाफर और राय दुर्लभ दोनों ने सिराजुद्दौला को धोखा दिया और युद्ध में भाग नहीं लिया। यह लड़ाई नवाब की सैनिक दुर्बलता के कारण नहीं अपितु क्लाइव के षड्यंत्र और कूटनीति के कारण अंग्रेजों द्वारा जीती गई। इस युद्ध के बाद अंग्रेज़ों ने मीर जाफर को बंगाल का नवाब बना दिया।


प्रश्न 7. बक्सर के युद्ध का वर्णन कीजिए। 

उत्तर – 1760 ई. में मीर जाफर के स्थान पर मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया गया किंतु मीर कासिम महत्वाकांक्षी था और वह अंग्रेज़ों के प्रभाव को ज्यादा दिन सहन नहीं कर सका। अंग्रेज़ों के प्रभुत्व से मुक्ति के लिए उसने अपनी राजधानी को मुर्शिदाबाद से बदलकर मुंगेर कर लिया। इससे नवाब और कंपनी के बीच तनाव उत्पन्न हुआ। तनाव के अधिक बढ़ने पर मीरकासिम ने भागकर अवध के नवाब शुजाऊदौला के यहां शरण ली। उस समय वहां पर मुगल सम्राट शाह आलम भी आया हुआ था तीनों ने मिलकर कंपनी की सेना से 1764 ई. में बिहार में बक्सर नामक स्थान पर युद्ध लड़ा। इसमें कंपनी की सेना ने तीनों की सम्मिलित सेनाओं को पराजित किया तथा इलाहाबाद की संधि के द्वारा अंग्रेज़ों ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा से कर इकट्ठा करने का अधिकार प्राप्त कर लिया और बंगाल पर अंग्रेज़ों का पूर्ण प्रभुत्व स्थापित हो गया।


प्रश्न 8. लैप्स की नीति का वर्णन कीजिए।

उत्तर – लैप्स की नीति के अनुसार कोई भी राजा बिना अंग्रेजों की अनुमति के बच्चा गोद नहीं ले सकता था। इस नीति के परिणाम स्वरूप अंग्रेजों ने बहुत सारे राजाओं के वंश खत्म करवा दिए क्योंकि उन्होंने किसी भी राजा को बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं दी। यह लैप्स की नीति लॉर्ड डलहौजी द्वारा लाई गई थी। इस प्रकार संतानहीन राज्यों जैसे सतारा, नागपुर, झांसी, संभलपुर, जयपुर तथा उदयपुर आदि को अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया गया।


 

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