हर्षवर्धन और तत्कालीन समाज Class 7 इतिहास Chapter 1 Important Question Answer – हमारा भारत II HBSE Solution

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हर्षवर्धन और तत्कालीन समाज Class 7 इतिहास Chapter 1 Important Question Answer


प्रश्न 1. हर्षचरित क्या है और यह किसने लिखा?

उत्तर ‌– हर्षचरित् एक ग्रंथ है जिसकी रचना बाणभट्ट ने की थी।


प्रश्न 2. राज्याभिषेक के बाद राजा हर्षवर्धन ने सबसे पहले क्या कार्य किया? इस कार्य में उनकी सहायता किसने की?

उत्तर ‌- राज्यभिषेक के पश्चात हर्षवर्धन ने सबसे पहले उसकी बहन राज्यश्री को ढूंढा जो कारागार से भाग विद्यांचल के जंगलों में चली गई थी। हर्षवर्धन ने दिवाकरमित्र नामक बौद्ध सन्यासी की सहायता से उसे खोज कर महल बुला लिया।


प्रश्न 3. हर्षवर्धन साम्राज्य में आय और व्यय के स्त्रोत क्या थे?

उत्तर ‌- आय के स्त्रोत –
आय का मुख्य साधन भू-राजस्व था। यह कुल उपज का 1/6 भाग लिया जाता था। इसे ‘भाग’ या ‘उद्रंग’ कहा जाता था। प्रजा स्वेच्छा से राजा को जो उपहार देती थी। वह ‘बलि’ कहलाता था। इसके अतिरिक्त चुंगी कर, बिक्री कर, वन कर आदि थे।

व्यय के स्त्रोत –

  1. दान देना – हर्षवर्धन एक दानवीर सम्राट था। उसने नालंदा विश्वविद्यालय को 200 गांव दान कर दिए।
  2. प्रजा हितकारी कार्य – हर्षवर्धन आय से चिकित्सालय, विश्रामगृह, सड़के, पुल-निर्माण, शिक्षा का प्रबंध और पानी के प्रबंध का खर्च उठाया था।
  3. वेतन – हर्षवर्धन के शासन में सेनापति से लेकर साधारण सिपाही को अपने गुजारे के लिए पर्याप्त वेतन दिया जाता था।
  4. सेना पर खर्च – मैं अपनी सेना के लिए अस्त्र-शस्त्र, कवच, कुंडल, घोड़े तथा हाथियों का प्रबंध अपनी आय से ही करता था।
  5. राज परिवार पर खर्च – राज परिवार की जरूरत की वस्तुएं तथा महल की मरम्मत का खर्च भी यहीं से जाता था

प्रश्न 4. हर्षवर्धन की प्रमुख विजय कौन सी है? किन्ही दो का वर्णन करें।

उत्तर ‌- हर्षवर्धन की प्रमुख विजय-
1. गौड़ प्रदेश की विजय
2. वल्लभी की विजय
3. पांच प्रदेशों की विजय
4. कामरूप की विजय
5. सिंध की विजय
6. कश्मीर की विजय
7. नेपाल की विजय
8. गंजम विजय

दो विजय का वर्णन-

1. गौड़ प्रदेश की विजय – गौड़ का शासक शशांक हर्ष का सबसे बड़ा शत्रु था। वह शैव मत को मानता था और बौद्ध मत का घोर विरोधी था। हर्ष ने भंडी को सेना के साथ गौड़ पर आक्रमण करने के लिए भेजा परंतु वह पूर्ण रूप से सफल ना हो पाए। बाद में हर्ष ने कामरूप के राजा ‘भास्करवर्मन’ से संधि करके शशांक को बुरी तरह से पराजित किया।

2. वल्लभी की विजय – हर्षवर्धन के समय में वल्लभी एक शक्तिशाली एवं संपन्न राज्य था। 630 ई. में हर्षवर्धन ने एक विशाल सेना के साथ वल्लभी पर आक्रमण कर दिया। जिस युद्ध में वहां के शासक ध्रुवसेन द्वितीय की सेना पराजित हुई और वह वहां से युद्ध छोड़कर भाग गया। बाद में भड़ौच के राजा दद्दा द्वितीय ने उन दोनों की संधि करवा दी और ध्रुवसेन ने हर्ष की अधीनता स्वीकार कर ली।


प्रश्न 5. गंजम विजय का वर्णन करें।

उत्तर ‌- हर्ष की अंतिम विजय उड़ीसा की थी। शुरुआती कुछ आक्रमण सफल नहीं हो पाए परंतु 643 ई. में वह इस पर विजय प्राप्त करने में सफल रहा। इस समय पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु हो चुकी थी जो उसका समकालीन शासक था। बाद में हर्ष ने उड़ीसा के 80 नगरों को स्थानीय बौद्ध मंदिरों को दान में दे दिया।


प्रश्न 6. हर्षवर्धन का साम्राज्य का विस्तार कहां तक था?

उत्तर ‌- हर्षवर्धन ने अपनी सेना के दम पर एक विशाल साम्राज्य की नींव रखी जो उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में विंध्याचल तक, पूर्व में कामरूप से लेकर पश्चिम में अरब सागर तक फैला था।


प्रश्न 7. हर्षवर्धन के समय लोगो का भोजन कैसा था?

उत्तर ‌- उस समय के लोग सादा भोजन करते थे। लोग गेहूं, चावल, घी, दूध, दही, गुड़, शक्कर, सरसों का तेल आदि उनके भोजन के मुख्य अंग थे। प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं होता था। कुछ लोग मांसाहारी भी थे। दालें, सब्जियां और फलों का प्रयोग भी किया जाता था।


प्रश्न 8. हर्षवर्धन के चरित्र की क्या विशेषताएँ थी?

उत्तर ‌- 

  1. कुशल शासन प्रबंधक एवं महान सेनापति – उसने अपने शासन को प्रांत जिलों में गांव में बांट रखा था। वह प्रजा का हाल जानने के लिए राज्य का भ्रमण भी करता था। अपनी सेना और रणनीति से उसने उत्तर भारत के बहुत सारे राजाओं को हराया।
  2. प्रजा प्रेमी – वह अपनी जनता से बहुत प्रेम करता था। वह अपने राजकोष में से एक निश्चित मात्रा में धन, प्रजा कल्याण के लिए, चिकित्सालय, विद्यालयों, भवनों, सड़कों इत्यादि पर खर्च किया करता था।
  3. परिवार प्रेमी – वह अपने परिवार से बहुत प्रेम करता था। जब उसके भाई राज्यवर्धन की धोखे से हत्या की गई तो उसने उसका बदला लिया और साथ ही अपनी बहन को ढूंढ निकाला।
  4. महान दानी – हर्षवर्धन एक बहुत बड़ा दानी था। वह प्रत्येक पांच वर्ष के बाद प्रयाग सम्मेलन में भरपूर दान किया करता था।
  5. धार्मिक सहनशील – हर्ष आरंभ में शैव मत का अनुयाई था लेकिन बाद में वह बौद्ध धर्म को मानने लगा। प्रयाग सभा में उसने पहले दिन बुध की, दूसरे दिन सूर्य की और तीसरे दिन शिव की उपासना की। उसके राज्य में सभी धर्मों के लोग रहते थे।
  6. बौद्ध धर्म का प्रचारक – हर्षवर्धन ने अपने दूतों को धर्म प्रचार के लिए विदेशों तक भेज दिया। उसने नालंदा विश्वविद्यालय को 200 गांव दान दे दिए क्योंकि उसमें बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाती थी।
  7. विद्वानों का संरक्षण – हर्षवर्धन ने अपने दरबार में अनेक साहित्यिक और बौद्ध विद्वानों को स्थान दे रखा था। उसके दरबार में बाणभट, दिवाकर, मयूर, जयसेन, एवं भास जैसे विद्वान रहते थे।
  8. नाटककार सम्राट, कला एवं साहित्य को संरक्षण – हर्षवर्धन स्वयं एक नाटककार एवं विद्वान शासक था। उसने तीन नाटकों ‘रत्नावली’, ‘नागानंद’ व ‘प्रियदर्शिका’ की रचना की। उसने बाणभट्ट जैसे महान साहित्यकार को संरक्षण दिया जिसने ‘हर्षचरित्र’ एवं ‘कादम्बरी’ जैसे ग्रंथों की रचना की। उसके दरबार में जयसेन ने योग, शास्त्र, वेद, ज्योतिष, भूगोल, गणित व चिकित्सा विषयों पर लिखा।
  9. शिक्षा का संरक्षक – हर्ष के समय में नालंदा विश्वविद्यालय सर्वाधिक प्रसिद्ध था। हर्ष ने 200 कर मुक्त गांव नालंदा विश्वविद्यालय को खर्च चलाने के लिए दान किए थे।

 

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