HBSE Class 11 नैतिक शिक्षा Chapter 16 छोटी-छोटी बातें Explain Solution

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छोटी-छोटी बातें Class 11 Naitik Siksha Chapter 16 Explain


मानव भगवान् की सर्वश्रेष्ठ रचना है किन्तु मानव को मानव बनाने के लिए वेद आदेश है- ‘मनुर्भव’। इस आदेश का पालन करना मनुष्य का नैतिक कर्त्तव्य है। मनुष्य बनने के साथ ही कार्य करने के साधनरूप इस शरीर को स्वच्छ व स्वस्थ रखना भी हमारा दायित्व है। यथा कवि शिरोमणि कालिदास कहते हैं- ‘शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्’ अर्थात् अपने कर्त्तव्य कर्मों (धर्मों) को करने का शरीर सर्वप्रथम साधन है। स्वस्थ शरीर के बिना कोई भी कार्य पूर्ण नहीं किया जा सकता। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छता को जीवन में अपनाना आवश्यक है। किसको, किससे स्वच्छ किया जाए, मनु ने इसकी बड़ी सुन्दर परिभाषा दी है।

अद्भिर्गात्राणि शुध्यन्ति, मनः सत्येन शुध्यति । 
विद्यातपोभ्यां भूतात्मा, बुद्धिर्ज्ञानेन शुध्यति ।।

पानी से शरीर शुद्ध होता है, मन सत्य से शुद्ध होता है, विद्या और तप से जीवात्मा शुद्ध होता है और बुद्धि ज्ञान से शुद्ध होती है। इस प्रकार सबकी स्वच्छता का अलग-अलग साधन है। हम यहाँ दैनिक जीवन में काम में आने वाली स्वच्छता सम्बन्धी व अन्य बातों पर विचार करेंगे।

  • अभिभावकों को बचपन से ही बच्चों में सफाई की आदत डाल देनी चाहिए। अपने कपड़े साफ रखना, नाखून काटकर रखना, अपना सब सामान सुव्यवस्थित रखना आदि ।
  • भोजन करने से पहले व बाद में, शौच जाने के बाद, मिट्टी व गोबर में काम करने के बाद साबुन से हाथ होने चाहिए। यात्रा करके आने के बाद भी हाथ धोने चाहिए। इससे संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है। इसके महत्त्व को ध्यान में रखते हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 5 अक्टूबर को ‘हैण्ड वाश डे’ मनाया जाता है।
  • हाथों को धोने के छः चरण होते हैं- हाथों को गीला कर साबुन लगाना, अन्दर की तरफ से दोनों हाथों को मसलना, पीछे से मसलना, अगुलियों के मध्य भाग को साफ करना, नाखूनों को साफ करना तथा सबके बाद पानी से हाथों को धो डालना । इससे हाथों और नाखूनों में सूक्ष्म जीवाणु (रोगाणुओं के वाहक) जमा नहीं हो पाते।
  • बर्तनों को राख या साबुन से साफ करना चाहिए।
  • घर की सफाई रखें, घर के आस-पास गन्दगी का ढेर न होने दें, किसी भी जगह खड़ा हुआ गन्दा या साफ पानी मच्छरों के पनपने में सहायक होता है, अतः पानी खड़ा न रहने दें। खड़ा होने की स्थिति में उस पर काला तेल या मिट्टी के तेल की बूँदें डाल दें, इससे मच्छरों का लारवा नष्ट हो जाता है और मच्छरों के पनपने की प्रक्रिया बाधित होती है।
  • घर के मुख्यद्वार पर पाय दान रखें, इससे बाहर से आने वाली गन्दगी अन्दर नहीं आ पाती गन्दे पानी के निकासी की नालियाँ ऊपर से बन्द होनी चाहिये ।
  • सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा न फैलायें, कूड़ा फैलाने वालों को रोकें । कभी-कभी स्वयं-सेवक के रूप में अन्य लोगों को भी साथ लेकर इनकी सफाई करें, सफाई के साथ-साथ इससे जन चेतना जागृत होगी।
  • आवारा पशुओं को सरकार द्वारा बनाये गये आश्रय स्थलों पर भेजने में सहयोग करें ताकि उन द्वारा किये गये मल-मूत्र से वातावरण दूषित न हो।
  • पशु शालाओं को साफ रखना आवश्यक है क्योंकि पशुओं में होने वाली बीमारियाँ मनुष्यों को प्रभावित करती हैं।
  • भोजन खाने या बनाने से पहले साबुन से हाथ साफ कर लेने चाहिए।
  • फलों और सब्जियों को धोकर प्रयोग करें, यदि सम्भव हो तो फलों को 7-8 घण्टे ठण्डे पानी में डालकर रखें। इससे उनपर छिड़के हुए कीटनाशकों का प्रभाव बहुत कम हो जाता है।
  • सड़क किनारे बिना ढके रखे हुए फलों की चाट, भोजन, गन्ने का रस, बहुत समय से रखा हुआ फलों का रस, बासी भोजन, चावल आदि के प्रयोग से बचना चाहिए, इनसे संक्रामक बीमारियाँ फैलने का खतरा अधिक मात्रा में होता है।
  • वर्षा के दिनों में पानी उबालकर छानकर या फिल्टर किया हुआ पीना स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है। अन्यथा इन दिनों में उल्टी-द टी-दस्त, हैजा, बुखार, टाईफाइड बुखार, आँखों की बीमारियाँ हो जाती हैं।
  • उल्टी-दस्त होने पर नमक चीनी के घोलवाला उबला हुआ पानी पीयें अथवा O.R.S. का घोल बनाकर पीयें। शरीर में पानी की मात्रा कम न होने दें।
  • भोज्य पदार्थों की सफाई बीमारियों से बचने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। दूध या दूध से बने पदार्थ, माँस, अण्डे, मछली, उबले हुए चावल आदि की बहुत सफाई रखनी चाहिए क्योंकि इनमें सूक्ष्म जीवाणु बहुत तेजी से पनपते हैं। जैसे दही जमाने के लिए हम दूध में थोड़ा सा दही मिला देते हैं, जो सारे दूध को 3 घण्टे में ही दही का रूप दे देता है। दूध को दही में बदलने वाले जीवाणु को Lacpobacillus कहते हैं। जिस गति से यह जीवाणु दूध को संक्रमित करता है उसी गति से अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीवाणु भोजन को संक्रमित करते हैं। अतः संक्रमित भोजन को खाने से बचें।
  • मटके या पानी के बरतन से पानी पीने के लिए डण्डी वाली लुटिया का प्रयोग करें। किसी को गिलास से पानी देते समय पानी में उँगली का स्पर्श न होने दें।
  • धुले हुए व साफ कपड़े पहनने से त्वचा के रोगों से बचा जा सकता है।
  • हर रोज स्नान करना चाहिए। गर्मी के मौसम में आवश्यकता पड़ने पर एक से अधिक बार भी नहाया जा सकता है, जिससे पसीने की दुर्गन्ध दूर हो जाती है और रोम छिद्र खुल जाते हैं।
  • मिरगी का दौरा पड़ने पर मुँह में पानी नहीं डालना चाहिए। सिर ऊँचा रखकर उसके हाथ पैर मसल कर उसे होश में लाने का प्रयत्न करना चाहिए।
  • हीमोग्लोबिन (रक्ताल्पता) कम होने पर आयरन भोजन पालक, बथुआ, गाजर आदि हरी सब्जियाँ, सेब, अनार, आँवला आदि फलों का प्रयोग करना चाहिए, इनके अभाव में आयरन की गोलियाँ खानी चाहिए।
  • खुले में शौच के लिए न जायें। घर में शौचालय का निर्माण करवायें, शौचालय की सफाई का पूर्णरूप से ध्यान रखें।

हमारी वर्तमान सरकार प्राथमिकता के स्तर पर स्वच्छता पर कार्य कर रही है। अतः सरकार ने ‘स्वच्छ भारत अभियान को बड़े उच्च स्तर पर प्रारम्भ किया है। इस अभियान के साथ सरकार ने समाज के अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिष्ठित नौ लोगों और संस्थाओं को जोड़ा। इसे गति देने के लिए इन पर जिम्मेवारी डाली गई कि ये सभी अलग-अलग 9-9 लोगों या संस्थाओं को उत्तरदायित्व सौंपे। इस प्रकार अब तक इस अभियान के साथ लाखों लोग व संस्थायें जुड़ चुकी हैं। आप भी इस अभियान के साथ जुड़िये तथा भारत को स्वच्छ बनाइये।

इसी अभियान के अन्तर्गत सरकार ने शौचालय निर्माण पर विशेष ध्यान दिया है। प्राइवेट कम्पनियों, पब्लिक सैक्टर अण्डर टेकिंग (P.S.U.S.) को भी सरकार ने इस कार्य में मदद करने का आहवान किया है। गैर सरकारी संस्थाओं (N.G.O.) को भी इस अभियान के साथ जोड़ने की वर्तमान सरकार की इच्छा है। इस विषय में 2 अक्टूबर, 2019 तक भारत सरकार का लक्ष्य इस प्रकार है.

  1. खुले में शौच जाना बन्द करना ।
  2. मैला ढोने की प्रथा को बन्द करना ।
  3. मैला खुली नालियों में बहाना बन्द करना।
  4. नागारिकों में इन सबके प्रति जागृति लाना ।
  5. कूड़ा-करकट डालने का सिस्टम (तन्त्र) बनाना ।

इन सबके प्रचार-प्रसार के लिए सरकार ने ‘स्वच्छ भारत’ साइट भी बनाई हुई है। क्यों न इस महान यज्ञ में अपनी-अपनी कुछ सेवाएं देकर आहुति डालें ।


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