Class 11 Hindi Naitik Siksha BSEH Solution for Chapter 5 योग : कर्मसु कौशलम् Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 11 Hindi mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer, Word meaning, Vyakhya are available of नैतिक शिक्षा Book for HBSE.
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HBSE Class 11 Hindi Naitik Siksha Chapter 5 योग : कर्मसु कौशलम् / Yog kramsu koshlm Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 11th Book Solution.
योग : कर्मसु कौशलम् Class 11 Naitik Siksha Chapter 5 Question Answer
ज्ञानात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. गीता महाभारत के किस पर्व से उद्धृत है?
उत्तर – भीष्मपर्व से।
प्रश्न 2. गीता में कितने अध्याय व कितने श्लोक हैं ?
उत्तर – गीता में 18 अध्याय एवं 700 श्लोक हैं।
प्रश्न 3. योग किसे कहा गया है ?
उत्तर – आत्मा और परमात्मा को जोड़ देने वाली प्रक्रिया को योग कहा गया है।
प्रश्न 4. योगाभ्यास के दो मार्ग कौन से हैं ?
उत्तर – योगाभ्यास के दो मार्ग हैं- एक भौतिक और दूसरा आध्यात्मिक।
प्रश्न 5. मानसिक योग साधनाओं में तीन प्रमुख योग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – 1. ज्ञानयोग 2. कर्मयोग 3. भक्तियोग।
प्रश्न 6. महाभारत के रचयिता कौन हैं ?
उत्तर – वेद व्यास
भावात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. ज्ञानयोग के सम्बन्ध में सूफी सन्त रबिया का दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
उत्तर – सूफी सन्त रबिया अपनी ईश्वर भक्ति के लिए प्रसिद्ध थी। सूफी सन्त रबिया के अनुसार ज्ञानयोग का प्रकाश जब किसी के अन्तःकरण में आता है तो वह अपना सर्वस्व मानव कल्याण के लिए समर्पित करने लगता है।
प्रश्न 2. किस घटना से स्पष्ट होता है कि स्वामी विवेकानन्द कर्मयोगी थे ?
उत्तर – स्वामी विवेकानन्द ने अपनी साधना – उपासना छोड़ दी और कलकत्ता में फैले प्लेग के प्रकोप से लोगों को बचाने में जुट गए। इस घटना से पता चलता है कि स्वामी विवेकानंद कर्मयोगी थे।
प्रश्न 3. भक्तियोग का प्रमुख लक्ष्य क्या है ?
उत्तर – भगवान् से प्यार करना, परमात्मा की भक्ति करना, उस विराट् ब्रह्म एवं विश्व के हर मनुष्य से प्रेम करना। समाज एवं सांसारिक चेतना के रूप में हम ईश्वर की प्रतिमूर्ति देखते हैं। जब भी हमारे दिव्यचक्षु खुलेंगे तभी हमें ईश्वर के दर्शन हो पाएँगे और उनसे व अन्य मानवों से आत्मीयता, सद्भाव, सेवा और उदारता का प्यार भरा व्यवहार करने का मन करेगा। यही भक्तियोग का प्रमुख लक्ष्य है।