HBSE Class 12 नैतिक शिक्षा Chapter 13 लौहपुरुष सरदार वल्लभभई पटेल Explain Solution

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HBSE Class 12 Naitik Siksha Chapter 13 लौहपुरुष सरदार वल्लभभई पटेल / Lohpurush sardar vallabhbhai patel Explain for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 12th Book Solution.

लौहपुरुष सरदार वल्लभभई पटेल Class 12 Naitik Siksha Chapter 13 Explain


भारतभूमि ऋषि मुनियों एवं महापुरुषों की भूमि है। इस धरा पर ऐसे-ऐसे देशभक्तों ने जन्म लिया जिनकी त्याग तपस्या एवं धैर्यपूर्ण गाथाओं को सुनकर हम गर्व महसूस करते हैं। किसी कवि के अनुसार विपत्ति के समय धैर्य एवं उन्नति के समय क्षमाशील होना दैवी गुण है। वर्तमान काल में चारों तरफ बच्चों से लेकर वृद्धों तक धैर्य का अभाव ही दृष्टिगोचर होता है। धैर्य के अभाव में व्यक्ति अनुशासनहीनता एवं अधिक उतावलेपन के कारण अकस्मात् दुर्घटना का शिकार होता है।

महापुरुषों के धैर्यपूर्ण चरित्रों के माध्यम से विशेषतः युवा पीढी को धैर्यशाली बनाने की नितान्त आवश्यकता है। मानव को नारियल के फल की भाँति अन्दर से विनम्र एवं बाहर से कठोर होना चाहिए।

महापुरुषों की श्रृंखला में लौहपुरुष सरदार पटेल की सहिष्णुता एवं कर्त्तव्यपरायणता मानव जाति के लिए प्रेरणा स्रोत है। इनका जीवन विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी एवं अनुकरणीय है।

प्रारम्भ से ही सरदार पटेल अपने कष्टों को चुपके से पी जाना जानते थे। एक बार की बात है कि जब वे अदालत में किसी केस की पैरवी कर रहे थे तब उन्हें तार से अपनी पत्नी के निधन का समाचार मिला। केस हत्या का था और वे अभियुक्त की ओर से गवाह से जिरह कर रहे थे। जरा सी असावधानी से अभियुक्त को प्राण दण्ड की सजा हो सकती थी। उन्होंने तार देखा और चेहरे पर शिकन लाए बिना उसे जेब के हवाले कर दिया और अन्त तक अपने कार्य में संलग्न रहे।

शाम को अदालत उठने पर साथियों द्वारा तार के विषय में पूछने पर उन्होंने तार की बात बताई तो वे सभी उनकी कर्त्तव्य परायणता और सहिष्णुता पर स्तब्ध रह गए। पटेल की इस कर्त्तव्य निष्ठा एवं धैर्य को देखकर लोगों ने प्रश्न किया कि आप तार को पढ़कर भी विचलित क्यों नहीं हुए ?

लौहपुरुष का उत्तर था कि- मेरी पत्नी तो इस संसार से चली गई, वापिस नहीं आ सकती परन्तु अदालत में केस की पैरवी के दौरान यदि मैं धैर्य खो बैठता तो केस प्रभावित हो सकता था। यहाँ तक कि अभियुक्त को मृत्युदण्ड भी हो सकता था। अतः मैंने अपनी सहिष्णुता के साथ कर्त्तव्य एवं धर्म की अनुपालना की।


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