HBSE Class 12 नैतिक शिक्षा Chapter 15 तीन मछलियाँ Explain Solution

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तीन मछलियाँ Class 12 Naitik Siksha Chapter 15 Explain


एक सरोवर में तीन मछलियाँ रहती थीं। उनके नाम थे अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य। उनकी आपस में मित्रता तो थी पर तीनों का स्वभाव अलग-अलग था । अनागतविधाता नामक मछली अपने नाम के अनुरूप बड़ी समझदार थी, कुछ करने से पूर्व वह अच्छी तरह सोचविचार कर लेती थी तथा भविष्य में आने वाली समस्या या विपत्ति को भाँप कर उससे बचने का उपाय कर लेती थी।

प्रत्युत्पन्नमति नामक मछली बड़ी सूझ-बूझ वाली थी। संकट आने पर तुरन्त अपनी सूझ-बूझ से उससे बचने का रास्ता निकाल लेती थी। तीसरी मछली यद्भविष्य भाग्यवादी थी, वह सोचती थी कि भविष्य में जो होना है, होकर रहेगा, इसके लिए पहले से चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं।

एक दिन उस सरोवर के किनारे दो मछुआरे आए और आपस में बातें करने लगे कि इस सरोवर में ढेरों मछलियाँ हैं। हम कल यहीं आकर मछलियाँ पकड़ेंगे। उनकी बातें सुनकर अनागतविधाता मछली ने अपनी दोनों मित्र मछलियों से कहा कि समझदारी इसी में है कि हम सब आज रात में ही यह सरोवर छोड़कर नहर के रास्ते दूसरे सरोवर में चले जाएँ। दूसरी मछली ने भी समस्या की गम्भीरता को समझा पर सरोवर छोड़कर जाने की अपेक्षा वहीं रहकर बचने का कोई उपाय सोचने को कहा, जबकि तीसरी मछली यद्भविष्य ने कहा कि अभी से चिन्ता करने का क्या लाभ? जो होगा देखा जाएगा ।

अनागतविधाता मछली कोई मुसीबत मोल लेना नहीं चाहती थी। अतः वह उसी रात नहर के रास्ते दूसरे सरोवर में चली गई। अगले दिन मछुआरों ने उस सरोवर में जाल डाला। प्रत्युत्पन्नमति मछली ने आई हुई विपत्ति को भांप कर मरने का स्वांग रचा, वह ऐसी बन गई मानो मरी हुई हो। मछुआरे ने दूसरी मरी हुई मछलियों के साथ उसे भी निकाल कर सरोवर के किनारे फेंक दिया। वह रेंगती हुई पुनः तालाब में चली गई और बच गई।

भाग्य के भरोसे रहने वाली यद्भविष्य मछली जाल में फँस गई और अपने आप को छुड़ाने के लिए उछल कूद मचाने लगी किन्तु अन्त में मार दी गई। केवल भाग्य के भरोसे रहने वाले पुरुषार्थहीन व्यक्तियों का अन्त ऐसा ही होता है।


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