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HBSE Class 12 Naitik Siksha Chapter 16 स्वच्छता / Swachta Explain for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 12th Book Solution.
स्वच्छता Class 12 Naitik Siksha Chapter 16 Explain
स्वच्छता हम सब के स्वस्थ जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है। प्राचीन काल से ही हमारे देश में स्वच्छता को अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान मिला है। हमारे ऋषि मुनियों ने भी आन्तरिक एवं बाह्य सभी प्रकार की शुद्धि अर्थात् स्वच्छता पर विचार करने का संकेत दिया है। यथा-योगसूत्र सबसे पहले ‘शौच, सन्तोष तप स्वाध्याय ईश्वर प्रणिधानानि नियमाः’ सूत्र के अन्तर्गत शौच अर्थात् स्वच्छता पर विचार करता है। स्वच्छता (शुद्धि) दो प्रकार की होती है- बाह्य शुद्धि एवं आन्तरिक शुद्धि अपने आसपास के स्थान, खानपान व धनोपार्जन को पवित्र एवं शुद्ध रखना बाह्य शुद्धि है तथा मन, बुद्धि और अन्तःकरण को विद्या, सत्संग, स्वाध्याय, सत्य भाषण व धर्माचरण से पवित्र रखना आन्तरिक शुद्धि है। ये दोनों प्रकार की शुद्धियाँ हमारे सम्पूर्ण जीवन को पवित्र बना देती हैं। आन्तरिक शुद्धि पर हमारे ऋषि मुनियों ने मन्थन करते हुए अनेक शास्त्र लिखे हैं किन्तु हम यहाँ बाह्य शुद्धि के एक अंग स्वच्छता पर विचार कर रहे हैं।
स्वच्छ व्यक्ति मन से प्रसन्न रहता है। स्वच्छता से आस-पास का वातावरण खुशनुमा रहता है। मनुष्य का व्यक्तित्व निखर जाता है। वह अपने नित्य कर्मों को ठीक प्रकार से कर पाता है। स्वस्थ रहने के लिए भी स्वच्छ रहना अति आवश्यक है। स्वच्छ व्यक्ति उत्साह से परिपूर्ण रहता है। यदि स्वच्छता को जीवन में अपना लिया जाए तो अनकूल पर्यावरण में स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।
अस्वच्छता से हानियाँ
अस्वच्छ व्यक्ति के आस-पास कोई नहीं रहना चाहता। वह दूसरों की नजरों से गिर जाता है तथा रोगग्रस्त होकर अपने जीवन की गति को शिथिल (धीमा कर देता है। अस्वच्छता परस्पर सौहार्द-भाव में बाधा डालती है। अस्वच्छता से पर्यावरण प्रदूषित होने से अनेक प्रकार की बीमारियाँ जन्म लेतीं हैं, जिन पर यहाँ विचार किया जा रहा है
अस्वच्छता से अनेक प्रकार के बैक्टीरिया जन्म लेते हैं, यथा —
1. स्टेफाइलोकोकस (Staphylococcus)
त्वचा की बीमारियाँ, आँखों का आना अर्थात् आँखों का लाल होना, गला खराब होना, मुँह से लार गिरना यह बैक्टीरिया मनुष्यों के मल में भी पाया जाता है। इससे फूड प्वाइजनिंग हो सकती है।
2. सल्मानेला (Salmonella)
यह जीवाणु मनुष्य व जानवरों की आँतों व मल में पाया जाता है। यह भोजन में सफाई न रखने से फैलता है। वमन, मरोड़, दस्त बुखार, सिर दर्द, कैंसर, यकृत (Liver) की बीमारियाँ भी इस जीवाणु के कारण होती हैं ।
3. क्लोस्ट्रीडियम (Clostridium)
यह बैक्टीरिया मिट्टी में, वातावरण में व पशुओं की आँत में पाया जाता है Botulin नामक Food Poisoning बीमारी होती है।
4. कैम्पाइलोबैक्टर (Campylobacter)
यह पशुओं में पाया जाने वाला बैक्टीरिया है, जो कुत्तों और मुर्गों में पाया जाता है। यह गन्दे भोजन व आसपास की गन्दगी से फैलता है, तथा कई बीमारियों का कारण बनता है।
- लैड और कैमिकल्स से भोजन जहरीला हो जाता है। जिसे खाने से मनुष्य व पशु दोनों ही बीमार हो जाते हैं। इधर उधर पड़े हुए भोजन व कूड़े में पड़े हुए पोलीथीन को खाने से अनेक गाएँ बीमार होकर मृत्यु प्राप्त हो जाती हैं। कूड़े से बीनकर भोजन खानेवाले भी अनेक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। को
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पानी की गन्दगी से भी विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं। गन्दा पानी त्वचा को प्रभावित करता है। त्वचा पर लाल-लाल चकत्ते, खुजली तथा अन्य बीमारियाँ हो जाती है। गन्दे पानी पर पैदा होने वाले मच्छर मलेरिया, चिकनगुनिया, आदि बुखार फैलाते हैं। गन्दे पानी से उल्टी दस्त, हैजा, पीलिया, बुखार, टाईफाइड आदि रोग होते हैं। इस प्रकार यह हानिकारक कीटाणुओं को फैलाने का स्रोत होता है।
बैक्टीरिया किस प्रकार फैलते हैं —
इनका विशेष कारण गन्दगी होती है, इसके साथ नमी तथा 37-38 डिग्री तापमान में नमीयुक्त भोजन में ये 20 मिनट में दुगुना हो जाते हैं।
जानिए बैक्टीरया के बढ़ने का तीन घंटे का चक्र
समय | जीवाणुओं की संख्या |
प्रारंभ | 100 |
20 मिनट | 200 |
40 मिनट | 400 |
1 घण्टा | 800 |
1 घण्टा 20 | 1600 |
1 घण्टा 40 मिनट | 3200 |
2 घण्टा | 6400 |
2 घण्टा 20 मिनट | 12800 |
2 घण्टा 40 मिनट | 25600 |
3 घण्टा | 51200 |
स्वच्छता से बचने व स्वच्छता को जीवन में अपनाने के उपाय
- सर्वप्रथम अभिभावकों व बालकों को बचपन से स्वच्छ रहने की आदत डालनी चाहिए। अपने सामान को सुव्यवस्थित रखना, शरीर के सभी अंगों को साफ रखना। अपने आस-पास के स्थान की सफाई, अपने बिस्तर की सफाई का ध्यान रखना सिखाना चाहिए।
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स्वच्छता को अपनी आदत बनाना, पालतू पशुओं को साफ रखना, उन्हें बाँधने के स्थान पर सफाई रखना। उनके पीने के पानी को साफ रखना।
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दुधारू पशुओं से दूध निकालने के लिए काम आने वाले बर्तनों को स्वच्छ रखना, स्वच्छ भारत अभियान को दैनिक जीवन में शामिल करना ।
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स्वच्छता को जीवन में प्रथम वरीयता देना।
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अपने आस-पास के लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित करना ।
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घरों में सूखा-गीला (खाद्य पदार्थों का कूड़ा अलग-अलग कूडापात्रों में डाला जाए।
प्रत्येक भारतीय उपर्युक्त बिन्दुओं पर विचार करे स्वच्छता को अपने जीवन में महत्त्व देने से हमारी जनसंख्या का एक बड़ा भाग जो स्वच्छता के अभाव में अपने जीवन को खो देता है उसे बचाया जा सकता है। महात्मा गाँधी अपने आस-पास के लोगों को अपने व्यवहार द्वारा सफाई का सन्देश देते थे। भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी 2 अक्टूबर, 2014 को उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए भारत को स्वच्छ बनाने का अभियान प्रारम्भ किया है तथा 2019 में गान्धी जयन्ती तक भारत को पूर्ण रूप से स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हम सबका योगदान अत्यावश्यक है।