HBSE Class 12 नैतिक शिक्षा Chapter 19 पारस्परिक सद्भावना Question Answer Solution

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पारस्परिक सद्भावना Class 12 Naitik Siksha Chapter 19 Question Answer


आओ विचार करें –


प्रश्न 1. इस श्लोक का भावार्थ क्या है ?

उत्तर –  तुम्हारे द्वारा सम्पन्न किए गए यज्ञों से देवता प्रसन्न होंगे और मनष्यों और देवताओं के मध्य सहयोग के परिणामस्वरूप सभी को सुख समृद्धि प्राप्त होगी।


प्रश्न 2. देवता का अर्थ क्या है तथा अध्यापक और माता पिता को क्यों देवतुल्य माना जाता है?

उत्तर –  देवता का वैचारिक अर्थ है जो देता है, जैसे सूर्य, चन्द्रमा वायु धरती, वरूण, अग्नि आदि देवता-सब दे रहे हैं। अध्यापक हमें शिक्षा देते हैं, हमारे जीवन को अच्छा बनाने में प्रयासरत रहते हैं। माता-पिता जन्म देते हैं, हमारा लालन-पालन करते हैं। स्वयं कठिनाइयाँ सहकर भी हमें आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं-इसीलिए हमारे लिए अध्यापक और माता पिता देवतुल्य हैं ।


प्रश्न 3. अध्यापकों के प्रति क्या कर्तव्य है और उसका लाभ क्या है ?

उत्तर – अध्यापकों का सम्मान, उनके प्रति विनम्रता का भाव हमारी अच्छी शिक्षा और अच्छे जीवन में उन्नति का बहुत बड़ा सम्बल बनेगा।


प्रश्न 4. माता पिता के प्रति कैसा पारस्परिक सद्भाव हो ?

उत्तर – माता-पिता के साथ भी पारस्परिक सूझबूझ बनी रहे। उनका स्नेहभाव हो, अच्छी बात है, लेकिन साथ ही आप भी निश्चय करें कि हमें उनकी परेशानी का नहीं, प्रसन्नता का कारण बनना है।


प्रश्न 5. प्राकृतिक सन्तुलन और प्रदूषण मुक्ति के लिये यह श्लोक कैसे उपयोगी है ?

उत्तर – आज प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रकृति असन्तुलित हो रही है। इसमें हम सहयोगी भूमिका बनायें जहाँ भी हो, स्वच्छता का ध्यान रखें। जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो, गन्दगी फैले, ऐसा कुछ न करें। प्रकृति बहुत कुछ दे रही है, हम केवल लेने के भाव अर्थात् अपने स्वार्थ, अपने सुख के लिये ही जब जीव हत्या, दूसरे प्राणियों को कष्ट या प्राकृतिक संसाधनों का शोषण अथवा दुरुपयोग करते है। तो ही समस्यायें बढ़ती हैं प्राकृतिक असन्तुलन होता है।


प्रश्न 6. इस गीता प्रेरणा के द्वारा हम कैसे राष्ट्र गौरव बढ़ाने में सहयोगी हो सकते हैं ?

उत्तर – देश की माटी ने हमें बहुत कुछ दिया है, हम भी अच्छे नागरिक बन कर राष्ट्र का गौरव बढ़ायें। नगर सुन्दर बनें, यह अच्छा है, लेकिन नागरिक अच्छे सुसंस्कारित बनें यह आवश्यक है।


प्रश्न 7. ईश्वर के प्रति कृतज्ञता क्यों आवश्यक है तथा इसका क्या लाभ है ?

उत्तर – जीवन और जीवन में सब कुछ ईश्वर का दिया हुआ है। शरीर की बनावट देखें या संचालन सबके पीछे ईश्वरीय चेतना शक्ति स्पष्ट अनुभव होगी। ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का भाव बनायें। इससे अपना मन भी शान्त सन्तुष्ट होगा तथा ईश्वरीय प्रसन्नता का लाभ भी स्वाभाविक मिलेगा।


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