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HBSE Class 12 Naitik Siksha Chapter 4 हवलदार अब्दुल हमीद / Havaldaar abdul hamed Explain for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 12th Book Solution.
हवलदार अब्दुल हमीद Class 12 Naitik Siksha Chapter 4 Explain
सन् 1965 में युद्ध की तैयारी में लगे हुए पाकिस्तान ने अमेरिका से पैटन टैंक लिए। उसे इस बात का घमण्ड था कि अमेरिकी पैटन टैंकों का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। उसे शायद ये मालूम नहीं था कि भारतीय सैनिकों के फौलादी सीने अद्वितीय क्षमता रखते हैं, जिनमें किसी भी टैंक से टकराने की हिम्मत है। सन् 1965 के भारत पाक युद्ध में यह बात सिद्ध भी हो गई।
कसूर क्षेत्र में पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में हमारे सैनिकों ने शत्रु के टैंकों से किए गए भारी आक्रमण को विफल ही नहीं किया बल्कि अपने पक्ष में भी कर लिया। हमारे सैनिकों ने शत्रु के 15 पैटन टैंकों पर कब्जा कर लिया और उससे भी अधिक टैंकों को नष्ट कर डाला और कसूर क्षेत्र की इस भूमि को पैटन टैंकों की कब्रगाह बना डाला। इस कारण से पाकिस्तान की प्रसिद्ध प्रथम आर्मड डिवीजन को मुँह की खानी पड़ी।
इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने बहुत ही वीरता दिखाई। व्यक्तिगत वीरता का हम यहाँ केवल एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। यह उदाहरण हवलदार अब्दुल हमीद का है। जिन्होंने सन् 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में असाधारण वीरता दिखाते हुए वीरगति प्राप्त की।
अब्दुल हमीद ने शत्रु के चार पैटन टैंकों को भारतीय कम्पनी की ओर आते हुए देखा। वे अपनी जीप एक टीले के पीछे ले गये और उन टैंकों के इतने पास पहुंच गए कि उन्हें अपनी बन्दूक का निशाना आसानी से बना सकें। नजदीकी मार से पहला टैंक नष्ट हो गया। दूसरे टैंक ने अपनी तोप की नाल अभी घुमाई ही थी कि उसे भी अब्दुल हमीद ने अपना निशाना बना डाला। तभी शत्रु की एक गोली से वह घायल हो गया। घायल अवस्था में भी उसने हार नहीं मानी और आगे बढ़ तीसरे टैंक को भी नष्ट कर डाला और चौथे टैंक की ओर निशाना साधा लेकिन इस टैंक के गोले से यह वीर सदा के लिए संसार से विदा हो गया। उसकी इस बहादुरी के कारण शत्रु के पैर उखड़ गए।
15 पैटन टैंकों के चालकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। पाकिस्तानी ब्रिगेडियर अपने कई सैनिकों सहित मारा गया। जिनके शवों को भारतीय सेना के द्वारा पूरे सैनिक सम्मान के साथ दफना दिया गया।
देश सेवा के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले शहीदों में अब्दुल हमीद का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाने योग्य है। ऐसे वीर सैनिक को हमारा शत-शत नमन ।
इस अद्वितीय साहस, शौर्य व पराक्रम के लिए हवलदार अब्दुल हमीद को सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र मरणोपरान्त प्रदान किया गया।
अब्दुल हमीद की शहादत ने यह सिद्ध कर दिया कि देश के लिए शहीद होने वाला न कोई हिन्दू है, न मुसलमान, न सिक्ख और न ईसाई। वह इन सब से ऊपर उठकर एक सच्चा भारतीय है, जो भारतीय सीमाओं की रक्षा करते हुए हँसते-हँसते अपने प्राणों की आहुति दे देता है।