HBSE Class 12 नैतिक शिक्षा Chapter 5 अष्टादश श्लोकी गीता Question Answer Solution

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HBSE Class 12 Naitik Siksha Chapter 5 अष्टादश श्लोकी गीता / Astdas sloki gita Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 12th Book Solution.

अष्टादश श्लोकी गीता Class 12 Naitik Siksha Chapter 5 Question Answer


ज्ञानात्मक प्रश्न


प्रश्न 1. गीता किस ग्रन्थ से ली गई है ?

उत्तर – महाभारत


प्रश्न 2. गीता में श्रीकृष्ण किसे उपदेश देते हैं?

उत्तर – अर्जुन को


प्रश्न 3. योग किसके दुःख का नाश करता है?

उत्तर – योग आहार-विहार, तथा सभी कर्मों में यथायोग्य चेष्टा करने वाले और यथायोग्य शयन करने तथा जागने वाले के दुःख का नाश करता है।


प्रश्न 4. मिथ्याचारी पुरुष के लक्षण क्या हैं?

उत्तर – जो मूढबुद्धि पुरुष समस्त इन्द्रियों को हठपूर्वक (ऊपर से) रोककर उन इन्द्रियों के भोगों को मन से चिन्तन करता रहता है, वह मिथ्याचारी अर्थात् पाखण्डी कहा जाता है।


प्रश्न 5. त्रिगुणमयी माया कैसी होती है?

उत्तर – त्रिगुणमयी माया बड़ी दुस्तर ( जिसे तैर कर पार करना मुश्किल हो ) होती है।


प्रश्न 6. सभी पापों से मुक्त कौन हो जाता है?

उत्तर – जो मुझे अजन्मा (जन्मरहित) और अनादि तथा लोकों का महान् ईश्वर रूप से जानता है, वह मनुष्यों में ज्ञानवान् पुरुष सभी पापों से मुक्त हो जाता है।


भावात्मक प्रश्न


प्रश्न 1. श्रद्धावान् लभते ज्ञानम् का भाव स्पष्ट करें।

उत्तर – श्रद्धावान् लभते ज्ञानम् का भाव – श्रद्धावान् पुरुष ज्ञान को प्राप्त करता है।


प्रश्न 2. ईश्वर के परमपद को कौन प्राप्त करते हैं ?

उत्तर – जिनका मान और मोह नष्ट हो गया है तथा आसक्तिरूप दोष जिन्होंने जीत लिया है और जिनकी नित्य स्थिति परमात्मा के स्वरूप में हैं तथा जिनकी कामना पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है, ऐसे ही सुख-दुःख नामक द्वन्द्वों से विमुक्त ज्ञानीजन उस अविनाशी परमपद को प्राप्त करते हैं।


प्रश्न 3. मुक्तभाव किसको प्राप्त होता है?

उत्तर –  जिसने इन्द्रियों, मन और बुद्धि पर विजय प्राप्त कर ली है ऐसा मोक्षपरायण मुनि इच्छा, भय और क्रोध से रहित हो जाता है, उसे ही मुक्तभाव प्राप्त होता है।


प्रश्न 4. शास्त्रविहित विधि को छोड़कर काम करने वाले को क्या हानि होती है ?

उत्तर – जो पुरुष शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करता है, वह न तो सिद्धि को, न परम गति को और न सुख को ही प्राप्त होता है।


प्रश्न 5. मानस तप से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – मन की प्रसन्नता, शान्त भाव, भगवत् चिन्तन करने का स्वभाव, मन का निग्रह और अन्तःकरण के भावों की भलीभाँति पवित्रता – ये सब मानस तप कहे जाते हैं।


 

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