HBSE Class 12 नैतिक शिक्षा Chapter 9 मदनलाल ढींगरा Important Question Answer Solution

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HBSE Class 12 Naitik Siksha Chapter 9 मदनलाल ढींगरा / Madanlal Dhingra Important Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 12th Book Solution.

मदनलाल ढींगरा Class 12 Naitik Siksha Chapter 9 Important Question Answer


प्रश्न 1. मदनलाल ढींगरा का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

उत्तर – मदनलाल ढींगरा का जन्म 1887 में अमृतसर में हुआ था।


प्रश्न 2. मदनलाल के पिता ने उनका नाम कॉलेज से क्यों कटवा दिया ? Most Important

उत्तर – कालेज की पढाई के दौरान मदनलाल ढींगरा का ध्यान भारत में अंग्रेज शासकों की क्रूरता की ओर गया। कालेज में गए उन्हें कुछ ही महीने बीते थे कि पिता के कानों में ये शिकायतें आने लगी कि मदनलाल अंग्रेजों से घृणा करता है और भारत में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध सिर उठाने वाले क्रान्तिकारियों में रुचि ले रहा है। इसीलिए मदनलाल के पिता ने मदनलाल का नाम कॉलेज से कटवा दिया।


प्रश्न 3. लन्दन के ‘इण्डिया हाउस’ में मदनलाल ढींगरा की मुलाकात किन-किन भारतीयों से हुई ?

उत्तर – लन्दन के ‘इण्डिया हाउस’ में मदनलाल ढींगरा की मुलाकात श्यामजी कृष्ण वर्मा, वीरसावरकर, महादेव वापट, वीरेन्द्र नाथ चट्टोपाध्याय, हरनाम सिंह अरोड़ा, वी.बी.एस. नैय्यर, गोविन्द, अमीन तथा गंडुरंग आदि क्रान्तिकारियों से हुई।


प्रश्न 4. कौन सी घटना ने मदनलाल के हृदय को झकझोर कर रख दिया ?

उत्तर – मदनलाल ने किसी अंग्रेज लड़की के साथ नृत्य करने की इच्छा व्यक्त की, परन्तु उसने मना कर दिया। मदनलाल को यह बात सहन नहीं हुई, उन्होंने अंग्रेज लड़कों से पूछ डाला- आखिर इसके पीछे क्या राज है ? हम भारतीय यहाँ पढ़ते हैं और आपका साथ चाहते हैं, इसमें बुरा क्या है? आप भी तो हमारी तरह ही युवा हैं। एक अंग्रेज लड़के ने झट जवाब दिया- नहीं, तुम हमारी तरह नहीं हो सकते। तुम गुलाम देश के नागारिक हो और हमारी तरह गोरे भी नहीं हो, इसलिए तुम हमारे साथ डाँस नहीं कर सकते। तुम लोग यहाँ आते ही क्यों हो? क्या तुम्हारे देश में स्कूल नहीं है? इस उत्तर ने मदनलाल के हृदय को झकझोर कर रख दिया।


प्रश्न 5. मदनलाल ढींगरा के मन में देश के प्रति क्या भाव था? Most Important

उत्तर – भारत को इस समय एक ही शिक्षा की आवश्यकता है, जो है- मरना सीखना। उसे सिखाने का केवल एक ढंग है- स्वयं मरना । ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है कि मैं बार-बार भारत माता की गोद में जन्म लूँ और उसी के उद्धार के लिए प्राण देता रहूँ और यह सिलसिला तब तक चलता रहे जब तक मेरा देश आजाद न हो जाए।” 17 अगस्त 1909 को भारत के इस महान् सपूत को जेल के अहाते में ही चुपचाप फाँसी पर लटका दिया गया।


 

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