हम पंछी उन्मुक्त गगन के Class 7 Hindi Chapter 1 Summary – वसंत भाग 2 NCERT Solution

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हम पंछी उन्मुक्त गगन के Class 7 Hindi Summary


इस कविता में कवि पक्षियों का वर्णन करते हुए कहता है कि पक्षियों को खुले आसमान में आजादी से उड़ना बहुत अच्छा लगता है। पक्षी पिंजरे के अंदर गा भी नहीं सकते और ना ही उड़ सकते हैं। यदि वे उड़ने की कोशिश करेंगे तो उनके प्रसन्नता से भरे पंख सोने की सलाखो से टकराकर टूट जाएगे। पक्षियों तो नदियो से बहते पानी पीने वाले हैं। पिंजरे में हम भूखे प्यासे मर जाएंगे | हमे पिंजरे में बंद सोने की कटोरी मे पानी पीने से अच्छा कड़वे नीम की निंबोली खाना लगता है। कवि कहता है कि पक्षी सोने की जंजीरों से बंदकर अपनी उड़ान भूल चुके हैं। अब तो वे बस पिंजरे में पड़े पड़े ही पेड़ों की सबसे ऊंची शाखाओं पर झूला झूलने का सपना देखते हैं।

पक्षी तो खुले आसमान में उड़ने की इच्छा रखते हैं। उड़ते हुए भी आसमान की सीमा को छूना चाहते हैं। वे अपनी चोंच से अनार रूपी आसमान के तारे चुगना चाहते हैं। कवि कहता है कि आसमान में उड़ रहे पक्षियों में आपस में होड़ लग जाती है। वे सभी आसमान की अनंत सीमा को छू लेना चाहते हैं। इस प्रयास में कई बार तो उन्हें सफलता मिल जाती है और कई बार आसमान में उड़ते उड़ते उनकी सांसो की डोर टूट जाती है।

अंत में कवि कह रहा है कि चाहे पक्षियों को घोंसला बनाने के लिए टहनी ना दो। यदि चाहो तो उनका आश्रम भी तोड़ डालो। लेकिन भगवान ने उन्हें उड़ने के लिए पंख दिए हैं इसीलिए उनकी परेशान उड़ान में बाधा ना डालो मतलब उन्हें आजादी से उड़ने दो।


 

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