(i) कविता के बहाने (ii) बात सीधी थी पर Class 12 Hindi Summary – आरोह भाग 2 NCERT Solution

NCERT Solution of Class 12 Hindi आरोह भाग 2 (i) कविता के बहाने (ii) बात सीधी थी पर Summary  for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board,  Up Board, RBSE and Some other state Boards. We Provides all Classes पाठ का सार, अभ्यास के प्रश्न उत्तर और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर , MCQ for score Higher in Exams.

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NCERT Solution of Class 12th Hindi Aroh Bhag 2 /  आरोह भाग 2 (i) कविता के बहाने (ii) बात सीधी थी पर / Kavita ke Bahane Baat Sidhi thi par Kavita ( कविता ) Summary Solution.

(i) कविता के बहाने (ii) बात सीधी थी पर Class 12 Hindi Chapter 3 Summary


‘कविता के बहाने’ कविता का सार

‘कविता के बहाने’ कविता ‘कुंवर नारायण’ द्वारा रचित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने कविता की शक्ति का वर्णन किया है। इस कविता में बताया गया है कि कविता का क्षेत्र सीमित नहीं है। कविता तो हमारे भूतकाल, वर्तमान और भविष्य से जुड़ी हुई है। कवि ने कविता की तुलना पहले एक चिड़िया से की है। कवि बताते हैं कि चिड़िया तो इधर-उधर उड़ कर वापस आ जाती है परंतु जब कविता उड़ान भरती है तो वह सारे संसार में उड़ान भरती है। उसके लिए ना कोई देश है और ना ही कोई विदेश। सब कुछ एक समान है। इसीलिए चिड़िया कविता की उड़ान के बारे में क्या जाने।

फिर कवि ने कविता की तुलना फूलों से की है। फूलों का खिलना तो कुछ समय के लिए होता है। फिर वह मुरझा कर अपनी खुशबू नष्ट कर लेते हैं। परंतु कविता के शब्दों की खुशबू अनंत है जब वह एक बार खिलती है तो कभी न खत्म होने वाली खुशबू बन जाती है।

आखिरी में कवि ने कविता को छोटे बच्चे के समान बताया है। जैसे बच्चे अलग अलग खेल खेलते हैं और आनंदित होते हैं उसी प्रकार कविता शब्दों के साथ खेल खेलती है। जिसे पढ़कर पूरी दुनिया आनंद लेती है। जैसे छोटे बच्चे सभी घरों को एक समान कर देते हैं उसी प्रकार कविता भी सभी समाज के वर्गों के लिए एक समान है। कविता कभी ऊंच-नीच, अमीरी गरीबी नहीं देखती है। कवि ने कविता की अपार शक्ति का व्याख्यान किया है। जिसमें बताया है कि कविता तो समाज में लोगों को जोड़ने का काम करती है।


‘बात सीधी थी पर’ कविता का सार

‘बात सीधी थी पर’ कविता के रचयिता ‘कुंवर नारायण’ है। इस कविता में कवि ने भाषा को सरलता से प्रयोग करने के महत्व को समझाया है। कवि कहता है कि सीधी बात करनी चाहिए। यदि हम भाषा के चक्कर में फेर-बदल करते हैं इस से बात और अधिक पेचीदा हो जाती है। इसीलिए हमें भाषा के जाल में फस कर जितना हो सके, बात को सरल और स्पष्ट रखने का प्रयास करना चाहिए।

कवि कहता है कि मेरे मन में एक सीधी सरल सी बात थी जिसे मैं कहना चाहता था। परंतु मैंने सोचा कि इसके लिए बढ़िया सी भाषा का प्रयोग करूं। इससे बात की सरलता खो गई और बात पेचिदा हो गई। ऐसा ही होता है जब हम कुछ कहने के लिए घुमावदार भाषा का सहारा लेते हैं तो बात अधिक उलझ जाती है और अपना अर्थ खो बैठती है।

फिर कभी कहता है कि मैं मुश्किल को धैर्य से समझे बिना उसे पेंच की तरह कसने लगा और अंत में पेंच की चूड़ी खो बैठा। अर्थात कवि अपनी आसान सी बात को स्पष्ट करने के लिए घुमावदार शब्दों के जाल में फस गया और वह इतना गहरा फस गया कि उससे बाहर नहीं आ पाया और भाव खत्म हो गया। इसीलिए कभी कहता है कि बात को अधिक उलझाना नहीं चाहिए। जितना हो सके उतना सरल रखना चाहिए। कविता का निष्कर्ष यह है कि हमें अपनी बात को व्यक्त करने के लिए हमेशा सरल और सहज भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए।


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