NCERT Solution of Class 12 Hindi आरोह भाग 2 (i) कवितावली (ii) लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप Question Answer for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board, Up Board, RBSE and Some other state Boards. We Provides all Classes पाठ का सार, अभ्यास के प्रश्न उत्तर और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर , MCQ for score Higher in Exams.
Also Read: – Class 12 Hindi आरोह भाग 2 NCERT Solution
- Also Read – Class 12 Hindi आरोह भाग 2 Solution in Videos
- Also Read – Class 12 Hindi अभिव्यक्ति और माध्यम Solution in Videos
- Also Read – Class 12 Hindi वितान भाग 2 Solution in Videos
NCERT Solution of Class 12th Hindi Aroh Bhag 2 / आरोह भाग 2 (i) कवितावली (ii) लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप / kavitawali, lakshman murcha aur ram ka vilap Kavita ( कविता ) Question Answer Solution.
(i) कवितावली (ii) लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप Class 12 Hindi Chapter 7 Question Answer
प्रश्न 1. कवितावली के उद्धृत छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है ।
उत्तर – तुलसीदास को अपने युग में भी समाज में भुखमरी और गरीबी का बोलबाला था। उस समय भुखमरी के कारण किसान अपनी भूख मिटाने के लिए अपने बच्चों को ही बेच दिया करते थे। मनुष्य के पास उचित साधन नहीं हैं जिससे वह व्यापार कर सके और अपनी आजीविका चला सकें। तुलसीदास ने अपने युग की आर्थिक विषमता ही नहीं समाज में फैली बुराइयों का भी चित्रण किया है।
प्रश्न 2. पेट की आग का शमन ईश्वर ( राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है-तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर – कवि का भाव है कि पेट की आग का शमन ईश्वर भक्ति का मेघ ही कर सकता है। तुलसीदास का यह भाव आज के युग में सत्य है। यदि भक्त अपनी निष्ठा और पूर्ण भाव के साथ भगवान की भक्ति करता है तो ईश्वर अपने भगत की पेट की भूख का निवारण ही नहीं करते बल्कि उसके जीवन का उद्धार भी करते हैं।
प्रश्न 3. तुलसी ने यह कहने की ज़रूरत क्यों समझी?
धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूत कहौ, जोलहा कहौ कोऊ/काहू की बेटी से बेटी न बव्याहब, काहू की जाति बिगार न सोऊ। इस सवैया में काहू के बेटा सों बेटी न ब्याहब कहते तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आता ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने ऐसा इसीलिए कहा है क्योंकि भारतीय समाज में पुरुष प्रधान है। वह विवाह के पश्चात बेटी अपना परिवार छोड़कर अपने पति के घर जाकर बस जाती है किंतु यह बिल्कुल विपरीत बात कह दी है। बेटा विवाह के बाद बेटी के घर जाए। वह यह भारतीय समाज की परंपरा के विरोधी है। पुरुष की जगह स्त्री का वर्चस्व है।
प्रश्न 4. धूत कहौ…वाले छंद में ऊपर से सरल व निरीह दिखलाई पड़ने वाले तुलसी की भीतरी असलियत एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर – तुलसीदास जी स्वाभिमानी व्यक्ति हैं इस बात से हम पूर्ण रूप से सहमत हैं। जन्म के बाद उनकी जीवन यात्रा अत्यंत कठिनाइयों में व्यतीत हुई। जन्म देते ही उनके मां-बाप ने उनको त्याग दिया था। शादी के बाद उनकी पत्नी रत्नावली ने उनको फटकार दिया। इसके बाद वह सन्यासी बन गए और कभी भी वापस अपनी पत्नी के पास नहीं गए। भगवान राम की भक्ति में लीन होकर अपना पूरा जीवन उन्होंने व्यतीत किया। वे समाज में फैली रूढ़िवदी बुराइयों का विरोध करते रहे।
प्रश्न 5. व्याख्या करें
(क) मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता।
जौं जनतेऊँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेऊँ नहिं ओहू॥
उत्तर – कवि का भाव है कि वह लक्ष्मण को संबोधित करते हुए कहते हैं। मैं तुम्हारी महानता का कहां तक बखान करूं। तुमने तो मेरी भलाई के लिए माता-पिता को भी छोड़ दिया और मेरे साथ जंगलों की सर्दी, गर्मी और आंधियों को भी सहा है। यदि मैं यह जानता कि 1 में भाई का भी योग होगा तो मैं पिताजी के वचनों को ही नहीं मानता और ना ही यहां कभी वन में आता।
(ख) जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही॥
उत्तर – श्री राम जी को भाई के बिना अपना जीवन ठीक वैसा लगता है जैसे पंखों के बिना पक्षी बहुत असहाय होते हैं तथा मणि के बिना सांप बिल्कुल कमजोर होता है।
(ग) माँगि के खैबो, मसीत को सोइबो, लैबो को एकु न दैवो को दोऊ॥
उत्तर – उन्हें समाज में जातिवाद से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि वह तो मांग कर खा लेते हैं, मस्जिद में जाकर सो जाते हैं और अपनी ही धुन में मस्त रहते हैं। उन्हें दुनिया से ना तो कुछ लेना है और ना ही दुनिया को कुछ देना है।
(घ) ऊँचे नीचे करम, धरम-अधरम करि, पेट को ही पचत, बेचत बेटा-बेटकी॥
उत्तर – लोग उचित अनुचित कार्य करने से भी नहीं हिचकिचाते हैं। धर्म अधर्म के अनेक कार्य करते हैं। यहां तक कि अपने इस पेट को भरने के लिए वे अपने बेटा और बेटी को भी बेच डालते हैं।
प्रश्न 6. भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। क्या आप इससे सहमत हैं? तर्क पूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर – श्रीराम ने अनेक तरह के सोच विचार और चिंतन करके अपने भाई लक्ष्मण की मृत्यु के शौक को दबा लिया। तभी उनके कमल रूपी सुंदर आंखों से आंसू बहने लगे। श्रीराम अत्यंत दुखी होकर फूट-फूट कर रोने लगे। श्रीराम तो लक्ष्मी पति निर्गुण, निराकार, अजर, अमर परमेश्वर है किंतु फिर भी वे एक सामान्य मनुष्य की तरह विलाप कर रहे हैं। वे ऐसा करके मानवीय जीवन में अपने भक्तों पर कृपा दिखा रहे हैं। अतः भ्रातृशोक में राम की स्थिति एक सामान्य मनुष्य की भांति हो गई है।
प्रश्न 7. शोक ग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है?
उत्तर – राम जी और वानर सेना समूह परेशान था परन्तु उसी समय हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आ गए। उनके आने से ऐसा प्रतीत हुआ जैसे करुण रस में वीर रस प्रकट हो गया हो।
प्रश्न 8. “जैहऊँ अवध कवन मुहुँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाई गँवाई॥ बरु अपजस सहतेंउ जग माहीं। नारि हानि विसेष छति नाहिं ॥”
भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप-वचन में स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित है ?
उत्तर – राम जी ने अपने भाई की तुलना में नारी को विशेष महत्त्व नहीं दिया था और उनकी क्षति को भाई की क्षति की अपेक्षा कम माना था। वस्तुतः राम ने यह टिप्पणी दुख और कष्ट के समय की थी। जिससे उनका अपने भाई के प्रति प्रेम भाव प्रकट हुआ है। समाज में स्त्री को पुरुष की अपेक्षा अभी भी कम महत्व दिया जाता है। उसे कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।