Class | 12 |
Subject | Hindi |
Book | अभिव्यक्ति और माध्यम |
Category | Important Questions |
कैसे बनता है रेडियो नाटक Class 12 Hindi Important Question Answer
प्रश्न 1. आमतौर पर रेडियो नाटक की अवधि कितनी होती है ? Most Important
उत्तर – 15 से 30 मिनट
प्रश्न 2. रेडियो नाटक लिखने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। Most Important
या
रेडियो नाटक लिखने की प्रक्रिया का विश्लेषण कीजिए।
या
रेडियो नाटक लिखने की प्रक्रिया का विवेचन कीजिए ।
या
रेडियो नाटक की कहानी में किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?
उत्तर – रेडियो नाटक लिखते समय रेडियो नाटक की कहानी में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है :
- रेडियो नाटक की कहानी केवल एक ही घटना पर आधारित नहीं होनी चाहिए। एक ही घटना पर घट रही कहानी से कहानी उबाऊ हो जाती है और सुनने वाले कहानी का सारा मजा खो बैठते हैं।
- सामान्य रूप से रेडियो नाटक की अवधि 15 से 30 मिनट तक हो सकती है। 15 मिनट से कम समय की कहानी या 30 मिनट से अधिक समय की कहानी सुनने वालों के लिए उबाल हो सकती है।
- रेडियो नाटक में पात्रों की संख्याएं सीमित होनी चाहिए। अधिक पात्र करने से कहानी उलझ सकती है। सामान्य रेडियो नाटक में 5 या 6 से अधिक पात्र नहीं होने चाहिए।
प्रश्न 3. दृश्य-श्रव्य माध्यमों की तुलना में श्रव्य- माध्यमों की क्या सीमाएँ हैं ? इन सीमाओं को किस तरह पूरा किया जा सकता है ? Most Important
उत्तर – दृश्य श्रव्य माध्यमों की तुलना में श्रव्य माध्यम की अनेक सीमाएं हैं जो इस प्रकार है–
- दृश्य श्रव्य माध्यम में हम नाटक को अपनी आंखों से देख भी सकते हैं और पात्रों के संवादों को सुन भी सकते हैं किंतु श्रव्य माध्यम में हम केवल सुन सकते हैं उसे देख नहीं सकते।
- दृश्य श्रव्य माध्यमों में हम पत्रों के हाव भाव देखकर उनकी दशा का अनुमान लगा सकते हैं किंतु श्रव्य माध्यम में हम ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते।
- दृश्य श्रव्य माध्यमों में मंच तथा पात्रों के वस्त्रों की शोभा और उसके सौंदर्य को देख सकते हैं किंतु श्रव्य माध्यम में हम इनकी केवल कल्पना कर सकते हैं।
- दृश्य श्रव्य माध्यमों में किसी भी दृश्य तथा वातावरण को देखकर उसका आनंद उठा सकते हैं किंतु श्रव्य माध्यम में प्रत्येक की स्थिति को केवल ध्वनियों के माध्यम से ही समझ सकते हैं।
- दृश्य श्रव्य माध्यम की तुलना में श्रव्य माध्यम में वातावरण की सृष्टि पत्रों के संवादों से की जाती है। समय की सूचना तथा पात्रों के चरित्र का उद्घाटन भी संवादों के माध्यम से ही होता है।
श्रव्य माध्यम की सीमाओं को ध्वनि माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है।
प्रश्न 4. रेडियो नाटक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर – रेडियो नाटक में ध्वनि प्रभाव और संवादों का विशेष महत्व है जो इस प्रकार है–
- रेडियो नाटक में पात्रों से संबंधित सभी जानकारियां संवादों के माध्यम से मिलती है।
- पात्रों की चारित्रिक विशेषताएं संवादों के द्वारा ही उजागर होती है।
- नाटक का पूरा कथानक संवादों पर ही आधारित होता है।
- इसमें ध्वनि प्रभावों और संवादों के माध्यम से ही कथा को श्रोताओं तक पहुंचाया जाता है।
- संवादों के माध्यम से ही रेडियो नाटक का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
- संवादों के द्वारा ही श्रोताओं को संदेश दिया जाता है।