NCERT Class 10 Hindi Chapter 10 ek kahani yeh bhe Mannu Bhandari Lekhak Jivan Parichay ( मन्नू भंडारी लेखक जीवन परिचय ) of Kshitij Bhag 2 / क्षितिज भाग 2. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.
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NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Chapter 10 Lakhnavi Andaz lekhak Mannu Bhandari / एक कहानी यह भी – मन्नू भंडारी लेखक जीवन परिचय / Lekhak Jivan Parichay for Exams.
मन्नू भंडारी जीवन परिचय Class 10 Hindi एक कहानी यह भी
लेखिका परिचय :- श्रीमती मन्नू भंडारी का नाम आधुनिक कथाकारों, उपन्यासकारों एवं नाटककारों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। इनका जन्म 2 अप्रैल, 1931 को मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में हुआ। उनका मूल नाम महेंद्र कुमारी था। इनका बचपन अजमेर में व्यतीत हुआ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इन्होंने एम०ए० (हिंदी) की परीक्षा पास की। हिन्दी में एम.ए. परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने पहले दिल्ली में फिर कलकत्ता में अध्यापन कार्य किया। दिल्ली के मिरांडा हाऊस से सेवानिवृत्त होने के बाद वे दिल्ली में स्वतंत्र लेखन कर रही हैं। कलकत्ता रहते हुए ही इनका विवाह सन् 1959 में श्री राजेंद्र यादव से हुआ।
साहित्यिक रचनाएँ – श्रीमती मन्नू भंडारी ने विविध विधाओं की रचना पर अपनी लेखनी सफलतापूर्वक चलाई है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) कहानी संग्रह- ‘तीन निगाहों की तस्वीर’, ‘एक प्लेट सैलाब’, ‘त्रिशंकु’, ‘यही सच है’, ‘मैं हार गई’, ‘आँखों देखा झूठ जादि।
(ii) उपन्यास ‘महाभोज’, ‘आपका बंटी’, ‘एक इंच मुस्कान’, ‘स्वामी’
(iii) नाटक- ‘बिना दीवारों के पर
साहित्यिक विशेषताएँ – इनकी कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे जिंदगी को सीधे समझने और जाँचने वाली, बेबाक और प्रेरणादायी है श्रीमती मन्नू भंडारी की कहानियों के कथानक रोचक, जिज्ञासा से युक्त, सरल एवं मौलिक हैं।मन्नू भंडारी ने अपनी कहानी तथा उपन्यासों में सम-सामयिक समस्याओं को उठाने का प्रयास किया है उन्होंने गली सड़ी परंपराओं, रूढ़ियों के प्रति विद्रोह के स्वर को मुखरित किया है। लेखिका ने आज के पारिवारिक जीवन के अतिरिक्त नारी जीवन से जुड़े विभिन्न प्रश्नों पर भी प्रकाश डाला है।
भाषा-शैली– मन्नू भंडारी ने अपनी रचनाओं में सहज, सरल हिन्दी भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने प्रायः वर्णनात्मक, संवादात्मक शैलियों का प्रयोग किया । उनके वाक्य छोटे-छोटे परन्तु सटीक होते हैं। उनके संवाद बड़े संक्षिप्त तथा पात्रानुकूल हैं। इससे स्पष्ट होता है कि उनका भाषा पर पूर्ण अधिकार रहा है।