माता का आदर्श Class 9 नैतिक शिक्षा Chapter 16 Question Answer HBSE Solution

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HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 16 माता का आदर्श / Mata ka Aadarsh Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 9th Book Solution.

माता का आदर्श Class 9 Naitik Siksha Chapter 16 Question Answer


प्रश्न 1. युद्ध में पराजय का संजय के मन पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर – पराजय ने उसका साहस तोड़ दिया। वह निराश होकर घर में पड़ा रहा।


प्रश्न 2. मनुष्य के जीवन की सार्थकता किसमें है?

उत्तर – मनुष्य के जीवन की सार्थकता उसके कर्तव्य पथ पर चलने से हैं। जब साधुजन और मित्रगण उसके आश्रय में रहकर  जीविका प्राप्त करें, उसी मनुष्य का जीवन सार्थक है।


प्रश्न 3. यज्ञ, दान और भोग करने के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर – साहस और कर्त्तव्यपरायण होना।


प्रश्न 4. किस प्रकार के व्यक्तियों का जीवन व्यर्थ है?

उत्तर – समाज में जिसके महत्त्व की चर्चा नहीं होती या उत्तम पुरुष जिसे सत्कार के योग्य नहीं मानते, उस प्रकार के व्यक्तियों का जीवन व्यर्थ है।


प्रश्न 5. व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा अपयश क्या है?

उत्तर – अपने कर्तव्य से विमुख होकर जीवन जीना और कुल पर कलंक लगना व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा अपयश है।


प्रश्न 6. क्या संजय की माता विदुला राज्य, धन तथा दूसरे सुख भोग प्राप्त करने मात्र के लिए उसे युद्ध के लिए प्रोत्साहित कर रही थी?

उत्तर – नहीं, संजय की माता भी विदुला राज्य, धन तथा दूसरे सुख भोग प्राप्त करने मात्र के लिए उसे युद्ध के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रही थी। वह तो उसे क्षत्रिय कुल का कर्तव्य समझते हुए उसे प्रोत्साहित कर रही थी। वह चाहती थी कि संजय भी अपने कर्तव्य का और अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करें। युद्ध में विजय प्राप्त करें या युद्ध में प्राण त्याग कर योगियो के लिए दुर्लभ परम पद को प्राप्त हो।


प्रश्न 7. विदुला के उद्गारों से उसके चरित्र की किन विशेषताओं का पता चलता है?

उत्तर – विदुला के उद्गारों से उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताओं का पता चलता है –

  • विद्यालय के क्षत्राणी स्त्री थी। वह श्रेष्ठ क्षत्रिय कुल की कुलवधू और पत्नी थी।
  • विदुला क्षत्रिय धर्म को अपना परम धर्म समझने वाली स्त्री थी।

प्रश्न 8. कर्तव्यविमुख व्यक्ति को समाज किस दृष्टि से देखता है?

उत्तर – कर्तव्य विमुख व्यक्ति को समाज अपमान की दृष्टि से देखा है।


प्रश्न 9. कर्मपथ का त्याग करने पर मनुष्य की स्थिति कैसी हो जाती है?

उत्तर – कर्मपथ का त्याग कर मनुष्य इस लोक में अपमान सहे और मरने पर कर्तव्यभ्रष्ट लोगों की अधम गति प्राप्त करता है।


प्रश्न 10. पाठ के आधार पर बताओ, गीता में कृष्ण ने अर्जुन को क्या सीख दी थी ?

उत्तर – गीता में कृष्ण ने भी अर्जुन को यही सीख प्रदान की थी- तू युद्ध में मारा जाकर या तो स्वर्ग को प्राप्त होगा अथवा युद्ध में जीतकर पृथ्वी का राज्य भोगेगा।


प्रश्न 11. स्नेह और मोह में क्या अन्तर है? स्नेह को श्रेय और मोह को हेय दृष्टि से क्यों देखा जाता है?

उत्तर – स्नेह और मोह में एक बहुत बड़ा अंतर होता है। मनुष्य स्नेहा करने वाले व्यक्ति के लिए अपना सब कुछ त्यागते हुए उसकी उन्नति चाहता है। वह उसे सदाचारी, परिश्रमी और पराक्रमी बनाना चाहता है। इसके विपरीत मनुष्य जिससे मोह करता है वह उसे हमेशा अपने पास रखना चाहता है। और उसे  कर्तव्यभ्रष्ट करने से भी नहीं रोकता। इसीलिए स्नेह को श्रेय और मोह को हेय दृष्टि से देखा जाता है।


प्रश्न 12. अपने या अपने किसी परिचित के ऐसे अनुभव को शब्दबद्ध करो, जब गहन हताशा से उबरकर उद्देश्य को सिद्ध किया गया हो ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।


प्रश्न 13. ऐसे जीवन-चरित्रों या प्रसंगों का संकलन करो, जब लोगों ने अत्यन्त प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य का पालन किया हो।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।


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