Class | 10 |
Chapter | वास्तविक संख्याएं |
Subject | गणित |
Category | Important Questions |
Class 10 Math Chapter 1 Important Question Answer in Hindi
प्रश्न 1. 510 और 92 का HCF ज्ञात करें।
उत्तर – 510 और 92 के अभाज्य गुणनखंडन से हमें प्राप्त होता है:
510 = 2×3×5×17
92 = 22 ×23
इसलिए, इन दोनों पूर्णांकों का HCF = 2 है।
प्रश्न 2. सिद्ध कीजिए कि एक अपरिमेय संख्या है। Most Important
उत्तर – हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि एक परिमेय संख्या है।
अर्थात्, हम पूर्णांक a और b(≠0) इस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं कि = =
मान लीजिए कि a और b में 1 के अलावा कोई अन्य उभयनिष्ठ गुणनखंड है, तो हम उभयनिष्ठ गुणनखंड से भाग दे सकते हैं, और मान सकते हैं कि a और b सहअभाज्य हैं।
अतः b = a
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर, और पुनर्व्यवस्थित करने पर, हमें 5b2 = a2 प्राप्त होता है
इसलिए, a2, 5 से विभाज्य है, इसलिए a भी 5 से विभाज्य है।
तो, हम कुछ पूर्णांक c के लिए a = 5c लिख सकते हैं।
a का मान प्रतिस्थापित करने पर हमें 5b2 = 25c2 अर्थात् b2 = 5c2 प्राप्त होता है।
इसका मतलब है कि b2, 5 से विभाज्य है, और इसलिए b भी 5 से विभाज्य है।
इसलिए, a और b का उभयनिष्ठ गुणनखंड कम से कम 5 है।
परंतु इससे इस तथ्य का विरोधभास प्राप्त होता है कि a और b में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है।
यह विरोधभास हमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने एक त्राुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि एक परिमेय संख्या है।
अतः, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 3. सिद्ध कीजिए कि एक अपरिमेय संख्या है। Most Important
उत्तर – हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि एक परिमेय संख्या है।
अर्थात्, हम पूर्णांक a और b(≠0) इस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं कि = =
मान लीजिए कि a और b में 1 के अलावा कोई अन्य उभयनिष्ठ गुणनखंड है, तो हम उभयनिष्ठ गुणनखंड से भाग दे सकते हैं, और मान सकते हैं कि a और b सहअभाज्य हैं।
अतः b = a
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर, और पुनर्व्यवस्थित करने पर, हमें 3b2 = a2 प्राप्त होता है
इसलिए, a2, 3 से विभाज्य है, इसलिए a भी 3 से विभाज्य है।
तो, हम कुछ पूर्णांक c के लिए a = 3c लिख सकते हैं।
a का मान प्रतिस्थापित करने पर हमें 3b2 = 9c2 अर्थात् b2 = 3c2 प्राप्त होता है।
इसका मतलब है कि b2, 3 से विभाज्य है, और इसलिए b भी 3 से विभाज्य है।
इसलिए, a और b का उभयनिष्ठ गुणनखंड कम से कम 3 है।
परंतु इससे इस तथ्य का विरोधभास प्राप्त होता है कि a और b में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है।
यह विरोधभास हमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने एक त्राुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि एक परिमेय संख्या है।
अतः, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 4. सिद्ध कीजिए कि एक अपरिमेय संख्या है।
उत्तर – हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि एक परिमेय संख्या है।
अर्थात्, हम पूर्णांक a और b(≠0) इस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं कि = =
मान लीजिए कि a और b में 1 के अलावा कोई अन्य उभयनिष्ठ गुणनखंड है, तो हम उभयनिष्ठ गुणनखंड से भाग दे सकते हैं, और मान सकते हैं कि a और b सहअभाज्य हैं।
अतः b = a
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर, और पुनर्व्यवस्थित करने पर, हमें 2b2 = a2 प्राप्त होता है
इसलिए, a2, 5 से विभाज्य है, इसलिए a भी 2 से विभाज्य है।
तो, हम कुछ पूर्णांक c के लिए a = 2c लिख सकते हैं।
a का मान प्रतिस्थापित करने पर हमें 2b2 = 4c2 अर्थात् b2 = 2c2 प्राप्त होता है।
इसका मतलब है कि b2, 2 से विभाज्य है, और इसलिए b भी 2 से विभाज्य है।
इसलिए, a और b का उभयनिष्ठ गुणनखंड कम से कम 2 है।
परंतु इससे इस तथ्य का विरोधभास प्राप्त होता है कि a और b में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है।
यह विरोधभास हमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने एक त्राुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि एक परिमेय संख्या है।
अतः, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 5. सिद्ध कीजिए कि एक अपरिमेय संख्या है। Most Important
उत्तर – हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि एक परिमेय संख्या है।
अर्थात्, हम पूर्णांक a और b(≠0) इस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं कि = =
पुनर्व्यवस्थित करने पर, हमें = प्राप्त होगा।
चूँकि 3, a और b पूर्णांक हैं, इसलिए एक परिमेय संख्या होगी।इसलिए भी एक परिमेय संख्या होगी।
परंतु इससे इस तथ्य का विरोधभास प्राप्त होता है कि एक अपरिमेय संख्या है।
अतः, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 6. दर्शाइए कि एक अपरिमेय संख्या है ।
उत्तर – हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि एक परिमेय संख्या है।
अर्थात्, हम पूर्णांक a और b(≠0) इस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं कि = =
हमें प्राप्त होगा।
पुनर्व्यवस्थित करने पर, प्राप्त होगा।
चूँकि a और b पूर्णांक हैं, इसलिए एक परिमेय संख्या होगी। इसलिए भी एक परिमेय संख्या होगी।
परंतु इससे इस तथ्य का विरोधभास प्राप्त होता है कि एक अपरिमेय संख्या है।
यह विरोधभास हमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने एक त्राुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि एक परिमेय संख्या है।
अतः, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 7. दर्शाइए कि 7+ एक अपरिमेय संख्या है।
उत्तर – हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि 7 + एक परिमेय संख्या है।
अर्थात्, हम पूर्णांक a और b(≠0) इस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं कि 7 + =
हमें प्राप्त होगा।
पुनर्व्यवस्थित करने पर, प्राप्त होगा।
चूँकि a और b पूर्णांक हैं, इसलिए एक परिमेय संख्या होगी। इसलिए भी एक परिमेय संख्या होगी।
परंतु इससे इस तथ्य का विरोधभास प्राप्त होता है कि एक अपरिमेय संख्या है।
यह विरोधभास हमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने एक त्राुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि 7 + एक परिमेय संख्या है।
अतः, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि 7 + एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 8. सिद्ध कीजिए कि एक अपरिमेय संख्या है।
उत्तर – एक अपरिमेय संख्या है.
जैसा कि हम जानते हैं कि एक परिमेय और एक अपरिमेय संख्या का योग अपरिमेय होता है।
प्रश्न 9. संख्या 3825 को अभाज्य गुणनखण्डों के गुणनफल के रूप में व्यक्त कीजिए।
उत्तर – 3825 के अभाज्य गुणनखंड है :
3825 = 3 × 3 × 5 × 5 × 17
= 32 × 52 × 17