राष्ट्रीय भक्ति आंदोलन Class 8 इतिहास Chapter 3 Question Answer – हमारा भारत III HBSE Solution

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HBSE Class 8 इतिहास / History in hindi राष्ट्रीय भक्ति आंदोलन / Rastariya Bhakti Andolan Question Answer for Haryana Board of chapter 3 in Hamara Bharat III Solution.

राष्ट्रीय भक्ति आंदोलन Class 8 इतिहास Chapter 3 Question Answer


आओ याद करें

  1. वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म 1017 ई. में चेन्नई के निकट श्रीपैरमबुदुर नामक स्थान पर हुआ।

  2. ‘गीत गोविंद’ के रचनाकार जयदेव बंगाल के शासक लक्ष्मण सेन के दरबार में प्रमुख रत्न थे।

  3. कबीर की रचनाओं का संकलन ‘बीजक’ नामक ग्रंथ में किया गया है।

  4. कृष्ण भक्त रसखान का वास्तविक नाम सैय्यद इब्राहिम था।

  5. दक्षिण भारत में अलवार वैष्णव संत व नयनार शैव संत थे।

  6. आदि गुरु शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की।

  7. संत चैतन्य महाप्रभु ने ‘कीर्तन’ की प्रथा को लोकप्रिय बनाया था।

  8. मुगल राजकुमार दारा शिकोह ने ‘उपनिषदों’ का फारसी भाषा में अनुवाद करवाया था।


रिक्त स्थान भरें :

  1. दक्षिण भारत के वैष्णव संत ______ थे।

  2. संत कबीर _______ भक्तिधारा के संत थे।

  3. धन्ना भगत का परिवार _______ के लिए प्रसिद्ध था।

  4. संत कवि रसखान का वास्तविक नाम ______ था।

  5. बंगाल में भक्ति धारा का प्रचार करने वाले प्रमुख संत _____ थे।

उत्तर 1. अलवार, 2. एकेश्वरवाद, 3. अतिथि सत्कार, 4. सैय्यद इब्राहिम, 5. जयदेव व चैतन्य महाप्रभु


उचित मिलान करें :

  1. नानक
  2. नामदेव
  3. धन्ना भगत
  4. चैतन्य
  5. कबीर
  • बंगाल
  • पंजाब
  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • राजस्थान

उत्तर

  1. नानक
  2. नामदेव
  3. धन्ना भगत
  4. चैतन्य
  5. कबीर
  • पंजाब
  • महाराष्ट्र
  • राजस्थान
  • बंगाल
  • उत्तर प्रदेश

आइए विचार करें :


प्रश्न 1. भक्ति आंदोलन किस प्रकार राष्ट्रव्यापी था?

उत्तर – मध्यकाल में समाज में व्याप्त दुर्बलताओं को दूर करने के लिए भक्ति आंदोलन चला। यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी था। 14वीं से 16वीं शताब्दी तक तो यह आंदोलन अपने चरम पर था। इस आंदोलन का सूत्रपात दक्षिण भारत में हुआ। वहाँ से यह संपूर्ण भारत में फैल गया। अनेक संतों ने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए भक्ति मार्ग का प्रचार-प्रसार किया। इन महापुरुषों में रामानुजाचार्य, नामदेव, जयदेव, चैतन्य महाप्रभु, रामानंद, संत कबीर, मीराबाई व गुरु नानक देव जैसे महापुरुष थे। बहुत सारे संतो के चलते यह भक्ति आंदोलन राष्ट्रव्यापी बन गया।


प्रश्न 2. कबीर तथा गुरु रविदास के जीवन से किस प्रकार श्रम के महत्व का संदेश मिलता है।

उत्तर – संत कबीर व रविदास ने सादगीपूर्ण भक्ति का प्रचार करते हुए भी अपने-अपने व्यवसाय को नहीं छोड़ा तथा श्रम के महत्व का संदेश दिया। कबीर ने जीवनभर कपड़ा बुना तथा रविदास ने जीवनभर अपना पुश्तैनी कार्य किया।


प्रश्न 3. क्या संतों ने समाज के सभी वर्गों के लिए मुक्ति का मार्ग खोल दिया?

उत्तर – हां, संतो ने समाज के सभी वर्गों के लिए मुक्ति का मार्ग खोल दिया था। संतों ने जाति प्रथा का विरोध किया। उनका मानना था कि समाज के सभी वर्गों के लोग ईश्वर भक्ति से ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। ईश्वर सबके लिए विद्यमान है जो उसकी सच्ची लग्न से भक्ति करेगा वही उसे प्राप्त कर लेगा। जात-पात ईश्वर द्वारा निर्मित नहीं है।


प्रश्न 4. सगुण तथा निर्गुण संत परम्परा में मुख्य अंतर क्या था? 

उत्तर –  निर्गुण भक्ति धारा के संत ईश्वर को निराकार मानते थे और मूर्ति पूजा के विरोधी थे। जबकि सगुण भक्ति धारा के संत ईश्वर को साकार मानते थे तथा मूर्ति पूजा में विश्वास रखते थे।


आओ करके देखें :


प्रश्न 1. क्या संत आज भी धार्मिक आडम्बरों से दूर है? पता लगाएं कि क्या वे आडम्बरों का सहारा लेते हैं?

उत्तर – नहीं, आज के समय में संत धार्मिक आडम्बरों से दूर नहीं है। वे धन के लालच में लोगों को अपने बंधन में फंसा लेते हैं। बहुत सारे लोगों से बुरे काम भी करवाए जाते हैं।


प्रश्न 2. क्या आज के संत भी सामाजिक समानता में विश्वास रखते हैं?

उत्तर – शायद हां, क्योंकि आज के समय में ज्यादातर लोग जिन संतों को अपना गुरु मानते हैं। वे समाज में जातीय भेदभाव को नहीं मानते। आधुनिक समय में सामाजिक समानता समाज में भी बढ़ चुकी है। सभी समाज एक दूसरे की इज्जत करते हैं।


 

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