Class 6 इतिहास NCERT Solution for chapter 1 सरस्वती-सिंधु सभ्यता Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 6 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of हमारा भारत II Book for HBSE.
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HBSE Class 6 इतिहास / History in hindi सरस्वती-सिंधु सभ्यता / saraswati sindhu sabhyata Question answer for Haryana Board of chapter 1 in Hamara Bharat 1 Solution.
सरस्वती-सिंधु सभ्यता Class 6 इतिहास Chapter 1 Question Answer
1. _________ ई. में दयाराम साहनी के नेतृत्व में हड़प्पा की खुदाई करवाई गई।
(क) 1992
(ख) 1923
(ग) 1921
(घ) 1920
उत्तर – (ग) 1921
2. बी.सी. का अर्थ है _______।
(क) बिफोर क्राइस्ट
(ख) बिफोर काॅमन
(ग) बिटवीन कॉमन
(घ) इन में से कोई नहीं
उत्तर – (क) बिफोर क्राइस्ट
3. निम्नलिखित में से किस की पूजा सरस्वती सिंधु सभ्यता में नहीं होती थी।
(क) शिव
(ख) विष्णु
(ग) पीपल
(घ) मातृदेवी
उत्तर – (ख) विष्णु
4. बहुमूल्य पत्थरों का आयात गुजरात, ईरान और _______ से किया जाता था।
(क) पाकिस्तान
(ख) अफगानिस्तान
(ग) भूटान
(घ) नेपाल
उत्तर – (ख) अफगानिस्तान
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
1. बालू में स्फटिक पत्थरों के चूर्ण को गोंद में मिलाकर _____ तैयार किया जाता है।
2. तांबा व टिन मिलाकर ___________ तैयार किया जाता है।
3. खुदाई में सबसे अधिक नगर _________ नदी घाटी में मिले हैं।
4. नगरों की बसावट के ______ भाग थे।
5. _______ नगर की खुदाई में बंदरगाह के अवशेष मिले हैं।
उत्तर – 1. फेयांस, 2. कांसा, 3. सरस्वती, 4. दो, 5. लोथल
उचित मिलान करो :
1. तांबा 2. सोना 3. टिन 4. बहुमूल्य पत्थर |
(क) गुजरात (ख) अफगानिस्तान (ग) राजस्थान (घ) कर्नाटक |
उत्तर –
1. तांबा
2. सोना 3. टिन 4. बहुमूल्य पत्थर |
(ग) राजस्थान
(घ) कर्नाटक (ख) अफगानिस्तान (क) गुजरात
|
निम्नलिखित कथनों में सही (✓)अथवा गलत (x) का निशान लगाइए:
- सरस्वती सिंधु सभ्यता में बैल और ऊंटों की सहायता से हल से कृषि की जाती थी (✓)
- अनेक मनके कार्नेलियन पत्थरों से बनाए गए थे (✓)
- धोलावीरा में बंदरगाह के अवशेष मिले हैं जहां से प्रमाणित होता है कि विदेशों से भी व्यापार होता था। (x)
- सरस्वती सिंधु सभ्यता का सबसे विस्तृत स्थान राखीगढ़ी गुरुग्राम में है। (x)
लघु प्रश्न :
प्रश्न 1. सरस्वती सिंधु सभ्यता के अवशेष कहां कहां से प्राप्त हुए हैं?
उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता के अवशेष बहुत से स्थानों से प्राप्त हुए हैं-
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
- चान्हूदड़ो
- मिताथल
- बनावली
- राखीगढ़ी
प्रश्न 2. नदियों का सभ्यता से क्या संबंध है?
उत्तर – नदियों का क्षेत्र बहुत अधिक उपजाऊ होता है। अच्छी खेती होने की वजह से बहुत सारी सभ्यताएं नदियों के किनारों के पास जाकर बस गई। जिससे उन्हें खाने के लिए अनाज और पीने के लिए पानी की सुविधाओं के लिए भटकना नहीं पड़ा। सरस्वती सिंधु सभ्यता भी ऐसी ही एक सभ्यता है।
प्रश्न 3. सरस्वती सिंधु सभ्यता के नगरों के बारे में लोगों को कैसे पता चला?
उत्तर – पहली बार हड़प्पा तब देखने को मिला। जब वहां रेल लाइन बिछाने के लिए रोडे चाहिए थे तो मजदूर नजदीक एक टीले से ईंटों के रोड़े उठा लाए और तब पहली बार यह स्थान अंग्रेजी अधिकारियों की नजर में आया। 1921 ई. में दयाराम साहनी के नेतृत्व में रावी नदी के किनारे हड़प्पा की खुदाई करवाई गई तब एक विशाल नगर के अवशेष निकले। 1922 में राखालदास बनर्जी के नेतृत्व में सिंधु नदी के किनारे मोहनजोदड़ो से भी इसी प्रकार के अवशेष प्राप्त किए गए।
प्रश्न 4. सरस्वती सिंधु सभ्यता के लोगों के मनोरंजन के साधन क्या थे?
उत्तर – इस सभ्यता के लोगों शतरंज, चौपड़ खेलते थे। खुदाई के दौरान हमें शतरंज व चौपड़ के पासे मिले हैं। उसके अलावा बच्चों के मिट्टी से बने छोटे खिलौने भी मिले हैं।
प्रश्न 5. सरस्वती सिंधु सभ्यता की मुहरों का आकार कैसा था और उनकी आवश्यकता क्यों पड़ती थी?
उत्तर – हड़प्पा के लोग सेलखड़ी की मुहरे बनाते थे। ज्यादातर मोहरे आयताकार हैं जिन पर जानवरों के चित्र मिलते हैं। मुहरों का प्रयोग एक जगह से दूसरी जगह भेजे जाने वाले सामान से भरे डिब्बों को चिन्हित करने के लिए किया जाता होगा। डिब्बों पर मुहरबंदी के लिए लाख आदि जैसे वस्तुओं का प्रयोग करके इन मुहरों से छाप लगाते होंगे। जिससे यदि कोई सामान के साथ छेड़-छाड़ करें तो छाप टूट जाती होगी।
आइए विचार करें :
प्रश्न 1. सरस्वती सिंधु सभ्यता में उत्पादन के लिए कच्चा माल किन किन क्षेत्रों से मंगवाते थे?
उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता में उत्पादन के लिए कच्चा माल अलग अलग क्षेत्रों से मंगवाते थे। तांबा राजस्थान व पश्चिमी देश ओमान से मंगवाते थे। कांसा बनाने के लिए तांबे के साथ मिलाए जाने वाली टिन का आयात आधुनिक ईरान व अफगानिस्तान से किया जाता था। सोने का आयात आधुनिक कर्नाटक और बहुमूल्य पत्थरों का आयात गुजरात, ईरान और अफगानिस्तान से किया जाता था।
प्रश्न 2. सरस्वती सिंधु सभ्यता कालीन नगर निर्माण योजना का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता के नगरों के अवशेष हमें दो भागों में मिले हैं। पश्चिमी भाग छोटा था परंतु ऊंचाई पर बना था। इसे दूर्ग क्षेत्र ( नगरदुर्ग ) कहा गया है। पूर्वी भाग बड़ा था जिसे निचला नगर कहां गया है। अधिकतर पुरास्थलों के दोनों हिस्सों को चारदीवारी से घेरा गया था जिसे पक्की ईंटों से बनाया गया था। इस सभ्यता की सड़कें 13 फुट से 33 फुट तक चौड़ी होती थी। व गलियों की चौड़ाई 9 से 12 फुट होती थी। सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
प्रश्न 3. किन आधारों पर कहा जा सकता है कि सरस्वती सिंधु सभ्यता में कपड़े का प्रयोग किया जाता था?
उत्तर – मोहनजोदड़ो से कपड़े के कुछ टुकड़ों के अवशेष प्राप्त किए गए हैं। पक्की मिट्टी तथा फेयांस से बनी तकलियां सूत कताई का संकेत देती हैं। लगभग 7000 साल पहले मेहरगढ़ में कपास की खेती होती थी। इन सब तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि सरस्वती सिंधु सभ्यता में कपड़ों का प्रयोग किया जाता था।
प्रश्न 4. सरस्वती सिंधु सभ्यता के निवासियों के महत्वपूर्ण व्यवसाय ‘कृषि’ और ‘पशुपालन’ पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर – इस सभ्यता के गांव में रहने वाले लोग कृषि करते थे। ये लोग गेहूं, जौ, दालें, मटर, धान, तिल और सरसों उगाते थे। कृषि बैलों और ऊंटों की सहायता से हल से की जाती थी। नदी व तालाबों से खेतों की सिंचाई करते थे। यहां के लोग ऊंट, बैल, गाय, भैंस, भेड़, बकरी, बत्तख, खरगोश, हिरण, मुर्गा, तोता व हाथी आदि जानवर पालते थे।
प्रश्न 5. इतिहासकारों के अनुसार सरस्वती सिंधु सभ्यता के नष्ट होने के क्या कारण हैं?
उत्तर – इस सभ्यता के पतन के एक नहीं बल्कि अनेक कारण उत्तरदाई रहे होंगे। नीचे पतन के कुछ प्रमुख कारण लिखे गए हैं:-
- प्रशासनिक शिथिलता – बस्ती का आकार सीमित होने के कारण और स्वच्छता में कमी के कारण यह सभ्यता समाप्त हो गई।
- जलवायु परिवर्तन – वर्षा कम होने के कारण तथा सरस्वती नदी का पानी सूखने की वजह से उनका पतन हुआ।
- बाढ़ – मोहनजोदड़ो, चान्हुदड़ो, लोथल और भगतराव के उत्खनन में बाढ़ के साक्ष्य भी मिले हैं। यह भी पतन का कारण हो सकता है।
- विदेशी व्यापार में गतिरोध – इस सभ्यता के विदेशी व्यापार में कमी आने के कारण आर्थिक ढांचा कमजोर हो गया। जिसके कारण बहुमूल्य वस्तुओं की जगह स्थानीय उत्पादन की मांग बढ़ी और लोगों के जीवन स्तर में बहुत भारी गिरावट आई।
- महामारी – मोहनजोदड़ो से प्राप्त 42 मानव कंकाल के अध्ययन से पता चला कि उनमें से 41 की मौत मलेरिया से हुई थी। यह भी इस सभ्यता के पतन का कारण हो सकता है।