सत्रहवीं  शताब्दी में मुगलों का क्षेत्रीय प्रतिरोध Class 8 इतिहास Chapter 5 Question Answer – हमारा भारत III HBSE Solution

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HBSE Class 8 इतिहास / History in hindi सत्रहवीं  शताब्दी में मुगलों का क्षेत्रीय प्रतिरोध / Sathrvi stabdi me mughlo ka kshetriya partirodh Question Answer for Haryana Board of chapter 5 in Hamara Bharat III Solution.

सत्रहवीं  शताब्दी में मुगलों का क्षेत्रीय प्रतिरोध Class 8 इतिहास Chapter 5 Question Answer


आओ याद करें

  1. मारवाड़ के शासक राजा जसवंत सिंह की 1678 ई. में जमरूद अफगानिस्तान में मृत्यु हुई।

  2. कछवाहा शासक के सवाई जयसिंह ने जयपुर नगर बसाया इसकी रूपरेखा एक बंगाली विद्वान विद्याधार भट्टाचार्य ने तैयार की थी।

  3. राजा जयसिंह ने दिल्ली, जयपुर, काशी, मथुरा एवं उज्जैन में जंतर मंतर बनवाएं।

  4. गोकुल के नेतृत्व में जाटों ने 1669 ई. में आगरा एवं मथुरा में औरंगजेब के विरुद्ध प्रतिरोध किया।

  5. गोकुल सिंह सिनसीनी गांव के ज़मीदार रोडिया सिंह का पुत्र था।

  6. जाट राजा राजाराम ने 1688 ई. में सिकंदरा में अकबर के मकबरे पर आक्रमण किया और अकबर की कब्र खुदवा कर उसकी हड्डियां जला दी।

  7. सतनामी सम्प्रदाय की स्थापना 1543 ई. नारनौल में संत वीरभान ने की।

  8. मुगल सम्राट औरंगजेब के समय में 1672 ई. में नारनौल के सतनामियों ने विद्रोह किया।


रिक्त स्थान भरो :

  1. सवाई राजा जयसिंह ने ________ नगर को अपनी राजधानी बनाया गया।

  2. राजा जसवंत सिंह के पुत्र _________ को दुर्गादास राठौर ने संरक्षण दिया।

  3. जाटों ने _________ के नेतृत्व में 1669 ई. में मुगलों का विरोध किया।

  4. वीरभान द्वारा नारनौल में ________ सम्प्रदाय का प्रचार प्रसार किया गया।

उत्तर – 1. जयपुर, 2. अजीत सिंह, 3. गोकुल, 4. सतनामी।


उचित मिलान कीजिए :

  1. सवाई राजा जय सिंह
  2. महाराजा सूरजमल
  3. संत वीरभान
  4. दुर्गादास राठौर
  • सतनामी संप्रदाय की स्थापना
  • स्वामीनिष्ठा और वीरता का अनुपम उदाहरण
  • अजेय लोहागढ़ दुर्ग का निर्माता
  • वैधशालाओं का निर्माता

उत्तर

  1. सवाई राजा जय सिंह
  2. महाराजा सूरजमल
  3. संत वीरभान
  4. दुर्गादास राठौर
  • वैधशालाओं का निर्माता
  • अजेय लोहागढ़ दुर्ग का निर्माता
  • सतनामी संप्रदाय की स्थापना
  • स्वामीनिष्ठा और वीरता का अनुपम उदाहरण

आओ विचार करें :


प्रश्न 1. राजपूत स्त्रियों के चारित्रिक गुण क्या थे?

उत्तर – राजपूत महिलाएं बहुत ही चरित्रवान, परिवार के लिए समर्पित, स्नेह करने वाली, परिवार का संचालन करने वाली, पति के साथ युद्ध और खेलों में भागीदारी करने वाली, कायरों से घृणा करने वाली और सामाजिक तथा घरेलू कार्यों में प्रभावशाली भूमिका निभाने वाली थी।


प्रश्न 2. राजपूत शासकों की वीरता से मुगल शासक सदा ही प्रभावित क्यों रहे?

उत्तर – अरबी और तुर्क आक्रमणकारियों ने आक्रमण करने आरंभ किए तो उत्तर और पश्चिमी भाग में क्षत्रियों ने इनका डटकर विरोध किया। विदेशी आक्रमणकारियों से हो रहे इस घोर संघर्ष के चलते जब क्षत्रियों की संख्या में कमी आने लगी तो विभिन्न जातियों के युवाओं ने मिलकर क्षत्रीय परंपरा को बढ़ाने के लिए स्वंय को समर्पित किया। विभिन्न जातियों से बने इस समूह को राजपूत कहा जाने लगा। राजपूत शासक बेहतरीन योद्धा थे और इनको बहुत अधिक लोगों का समर्थन था। जिसके कारण मुगल शासक राजपूत शासकों से प्रभावित रहे।


प्रश्न 3. स्थानीय शासकों का रणभूमि के अतिरिक्त विज्ञान व स्थापत्य जैसे क्षेत्रों में क्या योगदान रहा?

उत्तर – जयपुर के कच्छवाहा शासक सवाई जयसिंह ने ही जयपुर शहर का निर्माण करवाया था। इस नगर की रूपरेखा एक बंगाली विद्वान विद्याधर भट्टाचार्य ने वास्तु शास्त्र और शिल्प शास्त्र के नियमों के अनुसार बनाई थी। सवाई जयसिंह को लगता था कि भारत के लोगों को खगोल विद्या का भी ज्ञान होना चाहिए इसलिए उन्होंने भारतीय खगोल शास्त्र के आधार पर पांच खगोलीय वेधशालाओं का निर्माण करवाया। उन्हें आज ‘ जन्तर-मन्तर’ के नाम से जाना जाता है लेकिन इनका वास्तविक नाम ‘यंत्र-मंत्र’ था । यंत्र का अर्थ होता है वैज्ञानिक उपकरण और मंत्र का अर्थ होता है गणना अथवा परामर्श। ये अद्भुत यंत्र जयपुर, दिल्ली, काशी, मथुरा और उज्जैन में बनवाए गए थे।


प्रश्न 4. कृषि और आध्यात्म से जुड़े लोग कैसे कुशल योद्धा बने?

उत्तर – औरंगज़ेब के धार्मिक कट्टरता के समय में उसके राजस्व अधिकारियों के अन्याय के विरुद्ध 1672 ई. में नारनौल क्षेत्र के गांवों में सतनामियों ने विद्रोह कर दिया। सतनामी लोग कृषि कार्य करते थे और अध्यात्म से जुड़े हुए थे। एक दिन सतनामी किसान से सरकारी प्यादे का झगड़ा होने से उसकी मौत हो गई जिसके चलते अधिकारियों ने सतना में को सबक सिखाने के लिए सेना भेज दी। सतनामियों ने औरंगज़ेब के विरुद्ध धर्म युद्ध का बिगुल बजा दिया था तथा वे सिर पर कफन बांधकर युद्ध में कूद पड़े। जिसके कारण उन्होंने सेना को हरा दिया और एक कुशल योद्धा का परिचय दिया।


प्रश्न 5. विशाल व संगठित सेना का मुकाबला करने में गुरिल्ला युद्ध प्रणाली की क्या भूमिका हो सकती है?

उत्तर – गुरिल्ला युद्ध प्रणाली एक बेहतरीन युद्ध करने का तरीका था। इस युद्ध प्रणाली में सेना कोई विशेष वस्त्र नहीं पहनती थी। इस युद्ध प्रणाली को छापामार युद्ध के नाम से भी जाना जाता था।  इस युद्ध में सेना छिपकर अचानक हमला करके भाग जाती थी। थोड़े समय बाद वह अचानक फिर से हमला करती और मार कर वापस भाग जाती थी। इस प्रणाली को कम सैनिको वाले शासक इस्तेमाल करते थे और युद्ध में जीत हासिल करते थे। इसी कारण एक विशाल और संगठित सेना का मुकाबला करने में गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का महत्वपूर्ण भूमिका थी।


प्रश्न 6. जाटों द्वारा मुगलों के प्रतिरोध के क्या कारण थे?

उत्तर – जाटों द्वारा मुगलों के प्रतिरोध के निम्नलिखित कारण थे:-

  • विभिन्न आदेशों द्वारा पुराने मन्दिरों का जीर्णोद्धार करने व नए मन्दिरों के निर्माण पर रोक लगा दी। कई मन्दिरों को तोड़ दिया।
  • 1665 ई. सार्वजनिक रूप से दिवाली और होली मनाने पर प्रतिबंध।
  • 1668 ई. में हिन्दुओं के मेलों और उत्सवों पर रोक लगा दी।
  • तीर्थ-यात्रा कर पुन: लगा दिया।
  • कृषकों का शोषण
  • हिन्दुओं पर जजिया कर पुन: लगाना।

आओ करके देखें :


प्रश्न 1. सत्रहवीं शताब्दी के भारतीय समाज राजपूतों की स्थिति का अवलोकन कीजिये?

उत्तर – सत्रहवीं शताब्दी में भारतीय समाज राजपूतों की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। लगातार बाहरी शासकों के आक्रमण से युद्ध चलते रहते थे और बहुत सारे क्षत्रिय राजपूत वीरगति को प्राप्त हो जाते थे। राजपूत महिलाओं को अपनी इज्जत की रक्षा के लिए जौहर करना पड़ता था। इस समय काल के दौरान राजपूतों का मुगलों से संघर्ष लगातार जारी रहा। कुछ राजपूतों ने मुगलों के साथ संधि कर ली जबकि कुछ राजपूत जीवन भर मुगलों से संघर्ष करने में लगे रहे और अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।


प्रश्न 2. औरंगज़ेब की विशाल सेना से लोहा लेने वाले जाट सामान्य कृषक होने के बावजूद एक उल्लेखनीय राजनीतिक शक्ति बनकर उभरे। इसके कारणों पर चर्चा कीजिये।

उत्तर – औरंगजेब के लगातार बदलते कानूनों के चलते जाट किसानों की हालत खराब हो रही थी। जाट स्वतंत्र रहना पसंद करते थे लेकिन औरंगजेब के शासनकाल के दौरान उनके ऊपर बहुत सारे प्रतिबंध लगाए गए। जिससे जाटों में किसान इकट्ठा हो गए और एक संगठन बनाकर औरंगजेब से संघर्ष करने लगे। सैन्य प्रशिक्षण न होने के बावजूद भी उन्होंने औरंगजेब की सेना से लगातार संघर्ष किया और बहुत बार जीत भी हासिल की। अब जाट नेता मुगलों को राजनीतिक सत्ता से खदेड़ देना चाहते थे जिसके चलते जाट नेता राजनीतिक सत्ता में आने लगे और मुगलों की जगह नियंत्रण अपने हाथों में लेने लगे और इस प्रकार जाट कृषक एक बड़ी राजनीतिक शक्ति बनकर उभरे।


प्रश्न 3. सतनामी सम्प्रदाय के वर्तमान स्वरूप पर चर्चा कीजिये।

उत्तर – वर्तमान में सतनामी आम जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सतनामी समुदाय आज भी हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में ही निवास करते है। सतनामी संप्रदाय की आर्थिक हालात आज भी कमजोर है। इन लोगों को समाज में आज भी इज्जत नहीं मिलती।


 

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