उषा Class 12 Hindi सप्रसंग व्याख्या / Vyakhya – आरोह भाग 2 NCERT Solution

NCERT Solution of Class 12 Hindi आरोह भाग 2 उषा सप्रसंग व्याख्या  for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board,  Up Board, RBSE and Some other state Boards. We Provides all Classes पाठ का सार, अभ्यास के प्रश्न उत्तर और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर , MCQ for score Higher in Exams.

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NCERT Solution of Class 12th Hindi Aroh Bhag 2 /  आरोह भाग 2 उषा / Usha Kavita ( कविता ) Vyakhya / सप्रसंग व्याख्या Solution.

उषा Class 12 Hindi Chapter 5 सप्रसंग व्याख्या


1. प्रात: नभ था-बहुत नीला, शंख जैसे,
भोर का नभ,
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है।)
बहुत काली सिल
जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने।

शब्दार्थ – चौका – रसोई। सिल – पत्थर का वह टुकड़ा जिस पर मसाला पीसा जाता है।  मल दी – लगाना।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित ‘उषा’ शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित कविता से ली गई है। इसमें कवि ने प्रातः काल में आकाश में सूरज निकलने वाला दृश्य का चित्रण किया है।

व्याख्या – इसमें कवि ने प्रातः काल में भोर के बाद उषाकाल के आकाश में सूर्योदय का सुंदर चित्रण किया है। कभी कहता है कि सूर्योदय से पहले भोर के दौरान जो आसमान नीले शंख जैसा लग रहा था। आकाश का रंग रात की नमी के कारण ऐसा लग रहा था। जैसे गीली मिट्टी से लीपा हुआ रसोईघर हो।  प्रातः काल ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे किसी ने लाल रंग का केसर या खड़िया चौक आसमान रूपी पत्थर पर लगा दिया हो और रात में धूल गया हो।

काव्य-सौंदर्य –

  • कमलकांत पदावली की योजना है।
  • अभिधात्मक प्रयोग किया गया है

2. नील जल में था
किसी की गौर, झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और…..
जादू टूटता है इस उषा का
सूर्योदय हो रहा है।

शब्दार्थ – गौर – गोरी। देह – शरीर।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित ‘उषा’ शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित कविता से ली गई है। इसमें कवि ने प्रातः काल में आकाश में सूरज निकलने वाला दृश्य का चित्रण किया है।

व्याख्या – नीले आसमान में भोर के समय गहरा नीला रंग छा जाता है और सूर्य की सफेद किरणें दिखने लगती हैं। उस समय का सौंदर्य ऐसा प्रतीत होता है जैसे एक सुंदरी का गोरा शरीर चमक रहा हो। सूर्य के प्रकट होने के पश्चात यह दृश्य कहीं गुम हो जाता है। और उषा का जादू टूट जाता है।

काव्य-सौंदर्य –

  • कवि ने नीले जल में झिलमिलाती देह की तुलना भोर के नभ से की है।
  • उषाकालीन आकाश का मनमोहक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
  • माधुर्य गुण है

 

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