उत्साह, अट नहीं रही है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला लेखक जीवन परिचय Class 10 Hindi – क्षितिज भाग 2 NCERT Solution

NCERT Class 10 Hindi Chapter 4 Utsah, At Nahi Rahi Hai-Suryakant Tripathi Nirala Lekhak Jivan Parichay  ( सूर्यकांत त्रिपाठी निराला लेखक जीवन परिचय )of Kshitij Bhag 2 / क्षितिज भाग 2. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.

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NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Kavita 4 Utsah, At Nahi Rahi Hai Lekhak  Suryakant Tripathi Nirala / उत्साह, अट नहीं रही है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला लेखक जीवन परिचय / Lekhak Jivan Parichay for Exams.

उत्साह, अट नहीं रही है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला लेखक जीवन परिचय


सामान्य जीवन परिचय –
जन्म – 1897 ईस्वी में।
स्थान – बंगाल के महिषादल में।
निवासी – वे मूलतः गड्ढाकोला, जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश के निवासी थे।
शिक्षा – उन्होंने स्वाध्याय से संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी का ज्ञान अर्जित किया। वे संगीत और दर्शनशास्त्र के भी गहरे अध्ययन थे।
विचारधारा – रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की विचारधारा ने उन पर विशेष प्रभाव डाला।
पारिवारिक जीवन – निराला का पारिवारिक जीवन दुखों और संघर्ष से भरा था। आत्मीय जनों के असामयिक निधन ने उन्हें भीतर तक तोड़ दिया।
मृत्यु – 1961 ईस्वी में।


साहित्यिक रचनाएं – उनकी प्रमुख काव्य रचनाएं हैं – अनामिका, परिमल, गीतिका, कुकुरमुत्ता और नए पत्ते। निराला रचनावली के आठ खंडों में उनका संपूर्ण साहित्य प्रकाशित हैं।


साहित्यिक विशेषताएं – निराला विस्तृत सरोकारों के कवि है दार्शनिकता, विद्रोह, क्रांति, प्रेम की तरलता और प्रकृति का विराट तथा उदात्त चित्र उनकी रचनाओं में उपस्थित है। उनके विद्रोही स्वभाव ने कविता के भाव जगत और शिल्प-जगत में नए प्रयोगों को संभव किया । शोषित, उपेक्षित, पीड़ित और प्रताड़ित जान के प्रति उनकी कविताओं में जहां गहरी सहानुभूति का भाव मिलता है वही शोषक वर्ग और सत्ता के प्रति प्रचंड प्रतिकार का भाव भी उनकी कविताओं में देखा जा सकता है।


भाषा शैली – निराला जी ने खड़ी बोली का प्रयोग किया है। इनकी कविताओं में तत्सम शब्दावली की अधिकता है।‌ छायावादी रचनाओं में उन्होंने सबसे पहले मुक्त छंद का प्रयोग किया। लाक्षणिकता की विशेषता विद्यमान है। निराला जी की कविताओं में संगीतात्मकता का सुंदर निर्वाह मिलता है।


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