NCERT Class 10 Hindi Utsah, At Nahi Rahi Hai-Suryakant Tripathi Nirala Lekhak Jivan Parichay ( सूर्यकांत त्रिपाठी निराला लेखक जीवन परिचय )of Kshitij Bhag 2 / क्षितिज भाग 2 Specially Designed for Write in Exams of CBSE, HBSE, Up Board, Mp Board, Rbse.
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NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Kavita Utsah, At Nahi Rahi Hai Lekhak Suryakant Tripathi Nirala / उत्साह, अट नहीं रही है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला लेखक जीवन परिचय / Lekhak Jivan Parichay for Exams.
उत्साह, अट नहीं रही है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला लेखक जीवन परिचय
1. सामान्य जीवन परिचय-
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक हैं। वे एक छायावादी, प्रगतिवादी, प्रयोगवादी तथा रहस्यवादी कवि के रूप में विख्यात हैं। निराला जी का जन्म पश्चिमी बंगाल की महिषादल रियासत में सन् 1899 ई. में हुआ है। इनके पिता पं. राम सहाय त्रिपाठी महिषादल में एक प्रतिष्ठित पद पर कार्य करते थे। मूलतः इनका परिवार उन्नाव जिले का रहने वाला था। निराला जी की आरम्भिक शिक्षा बंगाल में ही हुई। घर पर उन्होंने संस्कृत तथा अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। 14 वर्ष की आयु में निराला जी का विवाह हो गया। इससे पूर्व बचपन में ही निराला जी की माता का देहांत हो गया था तत्पश्चात् 1918 में उनकी पत्नी का भी निधन हो गया। इसके बाद उनके पिता, चाचा तथा चचेरा भाई भी एक-एक करके स्वर्ग सिधार गए। लेकिन जब इनकी बेटी सरोज की मृत्यु हो गई तो निराला जी अंदर से टूट गए। वे आजीवन संघर्षों का सामना करते रहे। सन् 1961 में निराला जी का निधन हो गया।
2. साहित्यिक रचनाएँ-
निराला जी हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार माने जाते हैं। उन्होंने गद्य तथा पद्य दोनों को समान अधिकार से लिखा है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं
(i) काव्य-संग्रह- ‘अनामिका’, ‘परिमल’, ‘तुलसीदास’, ‘गीतिका’, ‘कुकुरमुत्ता’, ‘बेला’, ‘अर्चना’, ‘अराधना’, ‘नये पत्ते’, ‘गीतगूंज’ आदि।
(ii) कहानी संग्रह- ‘लिली’, ‘सखी’, ‘सुकुल की बेटी’, ‘चतुरी चमार’। उपन्यास- अप्सरा’, ‘अलका’, ‘प्रह्लाद’, ‘ध्रुव’, ‘शकुंतला’।
(iii) रेखाचित्र- ‘कुल्ली भाट’, ‘बिल्ले सुर’, ‘बकरिता’।
(iv) आलोचना और निबंध- vप्रबंध-पद्य’, ‘प्रबंध प्रतिभा’, ‘प्रबंध परिचय’।
3. साहित्यक विशेषताएँ-
निराला जी छायावादी काव्यधारा के चार आधार स्तम्भों में से एक हैं। इसलिए उनके काव्य में छायावाद की सभी प्रवृत्तियाँ देखी जा सकती हैं वैयक्तिक्ता का उद्घाटन विद्रोह का स्वर, राष्ट्रीय चेतना, रहस्यानुभूति, प्रगतिवादी चेतना, प्रकृति चित्रण तथा प्रेम और स्वर उनके काव्य की कुछ उल्लेखनीय विशेषताएँ हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक तथा आर्थिक विषमता का यथार्थ वर्णन किया है। प्रकृति चित्रण में भी कवि को विशेष सफलता प्राप्त हुई है लेकिन उनके मन में समाज के शोषितों तथा अभावग्रस्त लोगों के प्रति विशेष सहानुभूति थी। इस दृष्टि से हम उन्हें मानवतावादी कवि भी कह सकते हैं। मुक्त छंद के वे प्रर्वतक कहे जाते हैं क्योंकि कवि ने साहित्य में मंदिरों का हमेशा विरोध किया है। कहीं-कहीं कवि ने प्रेम और श्रृंगार का वर्णन किया है। ‘जूही की कली’ में कवि का स्थूलभृगार वर्णन देखा जा सकता है। ‘तुम और मैं’, ‘यमुना के प्रति’, ‘कौन तम है पार एक है’ आदि में कवि की रहस्यवादी भावना देखी जा सकती है।
4.भाषा शैली-
निराला ने अपने काव्य में तत्सम प्रधान संस्कृतनिष्ठ साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया है। वे अपने प्रतीकों, लाक्षणिक, शब्दावली तथा नवीन उपमानों के लिए प्रसिद्ध हैं। कहीं-कहीं उन्होंने अपनी भाषा को कोमलकांत पदावली से सजाया है। उनके काव्य भाषा में अनुप्रास, पुनरुक्त प्रकाश, उपमा, रूपक, यमक, मानवीकरण अन्योक्ति आदि अलंकारों का प्रयोग देखा जा सकता है। उनका संपूर्ण काव्य मुक्त छंद में ही रचित है।