NCERT Class 10 Hindi Chapter 9 Lakhnavi Andaz Yashpal Lekhak Jivan Parichay ( यशपाल लेखक जीवन परिचय ) of Kshitij Bhag 2 / क्षितिज भाग 2. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.
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NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Chapter 9 Lakhnavi Andaz lekhak Yashpal / लखनवी अंदाज – यशपाल लेखक जीवन परिचय / Lekhak Jivan Parichay for Exams.
लखनवी अंदाज – यशपाल लेखक जीवन परिचय
जीवन परिचय :- यशपाल हिंदी साहित्य के एक महान कथकार हैं। उनका जन्म 3 दिसम्बर, 1903 ई. को फिरोजपुर छावनी में हुआ। उन्होंने अपनी आरम्भिक शिक्षा गुरुकुल कांगड़ी में प्राप्त की। सन् 1921 के बाद वे सशस्त्र क्रान्ति के आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने लगे। धीरे-धीरे उनका झुकाव मार्क्सवाद की ओर होने लगा। दिल्ली में जब वे बंब बना रहे थे तो उनको गिरफ्तार कर लिया गया। 1936 को बरेली जेल में उन्होंने प्रकाशवती कपूर से विवाह कर लिया। एक साहित्यकार के रूप में उन्होंने हिंदी साहित्य की काफी सेवा की। सन् 1976 में इस महान साहित्यकार का देहान्त हो गया।
प्रमुख रचनाएँ – यशपाल जी की प्रमुख रचनाएँ हैं-
उपन्यास – दादा कामरेड, देशद्रोही, पार्टी कामरेड, अप्सरा का श्राप, झूठा सच।
कहानी संग्रह -पिंजरे की उड़ान, तर्क का तूफान, सच बोलने की भूल ।
नाटक – नशे की बात, रूप की परख गुडबाई दर्द दिल ।
व्यंग्य लेख – चक्कर क्लब ।
संस्मरण – सिंहावलोकन ।
निबन्ध – न्याय का संघर्ष, मार्क्सवाद, रामराज्य की कथा ।
साहित्यिक विशेषताएँ – मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित होने के कारण यशपाल जी ने अपने उपन्यासों तथा कहानियों में यथार्थ का वर्णन किया है। उन्होंने रूढ़ियों से ग्रस्त मध्यवर्गीय लोगों की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला है। कुछ उपन्यासों में यशपाल ने श्रमिक वर्ग के कष्टों और दुःखों का यथार्थ वर्णन किया है। ‘दिव्या’ नामक उपन्यास में उन्होंने पग-पग पर दलित नारी की करुण कथा का वर्णन किया है। उन्होंने अपने दृष्टिकोण के आधार पर समाज की गली सड़ी रूढ़ियां तथा विसंगतियों पर जम कर प्रहार किया है।
भाषा-शैली – यशपाल जी ने सहज, सरल तथा भावानुकूल हिंदी भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने अपने उपन्यासों तथा कहानियों में आम आदमी की भाषा का प्रयोग किया है। यही कारण है कि उनका साहित्य जन साधारण में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। उन्होंने प्रायः वर्णनात्मक, संवादात्मक तथा व्यंग्यात्मक शैलियों का प्रयोग किया। भाषा के बारे में यशपाल जी का बड़ा उदार दृष्टिकोण था। उन्होंने यथासंभव विषयानुसार उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का भी सफल प्रयोग किया है।