यह दंतुरित मुसकान, फसल -नागार्जुन लेखक जीवन परिचय Class 10 Hindi – क्षितिज भाग 2 NCERT Solution

NCERT Class 10 Hindi Chapter 5 Yeh Danturit Muskan, Fasal-Nagaarjuna Lekhak Jivan Parichay  ( नागार्जुन लेखक जीवन परिचय )of Kshitij Bhag 2 / क्षितिज भाग 2. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.

Also Read :- Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 NCERT Solution

  1. Also Read – Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 NCERT Solution in Videos
  2. Also Read – Class 10 Hindi कृतिका भाग 2 NCERT Solution in Videos

NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Kavita 5 Yeh Danturit Muskan, Fasal Lekhak  Nagaarjuna / यह दंतुरित मुसकान, फसल – नागार्जुन लेखक जीवन परिचय / Lekhak Jivan Parichay for Exams.

यह दंतुरित मुसकान, फसल – नागार्जुन लेखक जीवन परिचय


सामान्य जीवन परिचय –
जन्म – 1911 ईस्वी में।
स्थान – बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा गांव में।
मूल नाम – वेद्यनाथ मिश्र।
शिक्षा – आरंभिक शिक्षा संस्कृत पाठशाला मे हुई, फिर अध्ययन के लिए वे बनारस और कोलकाता गए। 1936 में श्रीलंका से बौद्ध धर्म में दीक्षित हुए और 2 साल बाद 1938 में स्वदेश लौट आए।
स्वभाव – घुमक्कड़ और अक्खड स्वभाव।
मृत्यु – 1998 में।


साहित्यिक रचनाएं – नागार्जुन की प्रमुख काव्य कृतियां है – युगधारा, सतरंगी पंखों वाली, हजार-हजार बाहों वाली, तुमने कहा था, पुरानी जूतियों का कोरस, आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने, मैं मिलिट्री का बुड्ढा घोड़ा। नागार्जुन का संपूर्ण कृतित्व नागार्जुन रत्नावली के साथ खंडों में प्रकाशित है।


साहित्यिक विशेषताएं – लोक जीवन में गहरा सरोकार रखने वाले नागार्जुन भ्रष्टाचार, राजनीतिक स्वार्थ और समाज की पतन सील स्थितियों के प्रति अपने साहित्य में विशेष सजग रहे। वह व्यंग्य में माहिर है, इसलिए उन्हें अधिक आधुनिक कबीर भी कहा जाता है। छायावादोत्तर दौर के भी ऐसे अकेले कवि है जिनकी कविता गांव की चौपालों और साहित्यिक दुनिया में समान रूप से लोकप्रिय रही। वे वास्तविक अर्थों में जनकवि है । सामयिक बोध से गहराई से जुड़े नागार्जुन की आंदोलनधर्मी कविताओं को व्यापक लोकप्रियता मिली।


भाषा शैली – नागार्जुन जी ने खड़ी बोली भाषा का प्रयोग किया गया है। इनकी रचनाओं में मुक्त छंद की प्रधानता है। तत्सम और तद्भव शब्दावली का समन्वित प्रयोग किया गया है। नागार्जुन की काव्य भाषा भावों का अनुसरण करती है।


पुरस्कार – साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिनमें प्रमुख है –

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (मैथिली भाषा में)
  • हिंदी अकादमी पुरस्कार
  • दिल्ली का शिखर सम्मान
  • उत्तर प्रदेश का भारत भारती पुरस्कार
  • बिहार का राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार।

Leave a Comment

error: