NCERT Class 10 Hindi Yeh Danturit Muskan, Fasal-Nagaarjuna Lekhak Jivan Parichay ( नागार्जुन लेखक जीवन परिचय )of Kshitij Bhag 2 / क्षितिज भाग 2 Specially Designed for Write in Exams of CBSE, HBSE, Up Board, Mp Board, Rbse.
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NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Kavita Yeh Danturit Muskan, Fasal Lekhak Nagaarjuna / यह दंतुरित मुसकान, फसल – नागार्जुन लेखक जीवन परिचय / Lekhak Jivan Parichay for Exams.
यह दंतुरित मुसकान, फसल – नागार्जुन लेखक जीवन परिचय
1.सामान्य जीवन परिचय-
नागार्जुन हिंदी के जनवादी कवियों में प्रमुख स्थान रखते हैं नागार्जुन उनका उपनाम है। उनका मूल नाम द्य नाथ मिश्र ‘यात्री’ है। कवि का जन्म बिहार के दरभंगा जनपद में स्थित सतलटवा गाँव में हुआ तथा प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय संस्कृत पाठशाला में हुई। इनका बचपन दुःखों में व्यतीत हुआ। यही कारण है कि इनके काव्य में पीड़ा का आधिक्य है। उन्होंने बनारस तथा कोलकाता से शिक्षा ग्रहण की। सन् 1936 में वे श्री लंका चले गए तथा वहाँ बौद्ध धर्म में दीक्षा ले ली। सन् 1938 में भारत लौट आए। घुमक्कड़ी वृत्ति के कारण नागार्जुन ने अनेक बार भरत का भ्रमण किया। वे स्वभाव से बड़े फक्कड़ थे अतः किसी काम में उनका मन नहीं लगा। आरम्भ में उन्होंने हिंदी मासिक पत्र, दीपक तथा साप्ताहिक पत्र विश्व बंधु का संपादन भी किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में खुलकर भाग लिया। फलस्वरूप नागा बाबा से जाने वाले इस कवि को अनेक बार जेल यात्रा करनी पड़ी। सन् 1998 में नागार्जुन का निघन हो गया।
2. साहित्यिक रचनाएँ-
नागार्जुन की प्रमुख रचनाओं का विवरण इस प्रकार है-
(क) काव्य रचनाएँ-‘युगधारा’, ‘प्यासी पथरायी आँखें’, ‘सतंरगे पंखों वाली’, ‘तालाब की मछलियाँ’, ‘प्यासी परछाई’, ‘हजार-हजार बांहों वाली’ ‘तुमने कहा था’, ‘खून और शोले’, ‘पुरानी जूतियों का कोर्स’ तथा ‘चना जोर गरम’।
(ख) खण्ड काव्य-भसमाकुर’।
(ग) उपन्यास-वरुण के बेटे, बलचनम्मा, रतिनाथ की चाची, हिरकाजयंती, कुम्भी पार्व युग्रलाटा, नई पौध आदि।
3. साहित्यिक विशेषताएँ-
पहले बताया जा चुका है कि नागार्जुन प्रगतिवादी कवियों में सर्वश्रेष्ठ कवि माने गए हैं। उन्होंने घरती, जनता तथा श्रम के गीत गाए हैं। उनकी काव्य रचनाओं में पूंजीपतियों के प्रति घृणा, श्रमिकों के प्रति सहानुभूति की भावना देखी जा सकती है। कवि ने जिस यथार्थ को स्वयं भोगा है उसी का अपनी कविताओं में वर्णन किया है। उन्होंने जन भावना को वाणी दी है और वर्तमान शोषण व्यवस्था के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद की है। इसलिए उनको युग धर्म का कवि कहा गया है। उनका ये जन्म प्रेम केवल ड्राइंग रूम में बैठकर बनावटी आँसू बहाने वाला नहीं है। बल्कि यथार्थ के धरातल पर आधारित है। साम्यवादी विचारधारा के अतिरिक्त उनके काव्य में प्रेम, सौंदर्य तथा संगति के उदार रूप का वर्णन देखा जा सकता है। यही नहीं अपनी कुछ रचनाओं में नागार्जुन ने राष्ट्रीय चेतना का स्वर भी वर्णित किया है। अन्यत्र कवि नागार्जुन, समाज राजनीति, कला आदि पर करारे व्यंग्य करते हुए भी दिखाई देते हैं।
4. भाषा शैली-
नागार्जुन ने अपनी रचनाओं में सहज, सरल तथा सामान्य हिंदी भाषा का प्रयोग किया है। फिर भी उनकी काव्य भाषा में संस्कृत के शब्द भी प्रचूर मात्रा में प्रयुक्त हुए हैं। उनका शब्द चयन सर्वथा सार्थक एवं भाषानुकूल है। नागार्जुन अलंकारों प्रतीकों के चक्कर में नहीं पड़े। बल्कि सहज, स्वाभाविक हिंदी भाषा का ही प्रयोग करते रहे। कवि की अभिव्यक्ति पूर्णतः अस्पष्ट तथा यथार्थ पर आधारित है लेकिन उनका व्यंग्य बड़ा तीक्ष्ण तथा चुभने वाला है। अपनी काव्य रचनाओं में नागार्जुन नेश्रृंगार के अतिरिक्त वीर तथा काव्य रस को भी महत्त्व प्रदान किया है।