NCERT Class 6 Hindi वसंत भाग 1 Avadhpuri me Ram / अवधपुरी में राम Chapter 1 Summary for Preparation of Exams. Here we Provide Class 6 Hindi Question Answer, Important Questions, MCQ and Path ka Sar for Various State Boards like CBSE, Haryana Boards and Other baords. bal ram katha class 6 summary chapter 1 solution Pdf download available soon.
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NCERT Class 6 Hindi बाल राम कथा / Bal Ram Katha Chapter 1 Avadhpuri me Ram / अवधपुरी में राम Summary / पाठ का सार Solution.
अवधपुरी में राम Class 6 Hindi Chapter 1 Summary
पाठ का सार
यह बहुत पुरानी कथा है। अवध में सरयू नदी के किनारे अयोध्या नाम का बहुत सुंदा और भव्य नगर था। यहाँ बड़े-बड़े महल, बाग-बगीचे, सरोवर, बाज़ार आदि थे। यहाँ के लोग बहुत संपन्न और खुशहाल थे। अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी थी। यहाँ के राजा दशरथ थे। उन के पिता अज थे। वे रघुवंश के होने के कारण रघुकुल की नीतियों का पालन करते थे। राजा दशरथ न्यायप्रिय, यशस्वी तथा वीर शासक ।। उन्हें किसी बात की कमी नहीं थी परंतु संतान न होने का दुःख था। उनकी तीन रानियां कौशल्या, सुमित्रा और कैंकेयी थीं। रानियां भी संतान न होने से दुःखी रहती थीं।
संतान न होने से चिंतित राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि से बात की। उन्होंने राजा दशरद को पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी। सरयू नदी के किनारे यज्ञशाला बनवा कर राजा दशरथ ने वहां महान् तपस्वी ऋष्यश्रृंग से यज्ञ करवाया। इस यज्ञ में अंतिम आहुति राजा दशरथ ने दी। यज्ञ की समाप्ति के बाद अग्नि देवता ने उन्हें आशीर्वाद दिया। कुछ समय बाद तीनों रानियों ने पुत्रों को जन्म दिया। कौशल्या ने चैत्रमाह की नवमी के दिन राम को जन्म दिया। रानी सुमित्रा के दो पुत्र लक्ष्मण और शत्रुघ्न हुए तथा कैकेयी ने भरत को जन्म दिया। चारों ओर खुशियां छा गई।
चारों राजकुमार बहुत सुंदर और आकर्षक थे। इन में आपस में बहुत प्रेम था। ये अपने बड़े भाई राम का आदर करते थे और कहना मानते थे। खेलने में राम-लक्ष्मण और भरत शत्रुघ्न की जोड़ी बन जाती थी। इन्हें शिक्षा के लिए भेजा गया चारों राजकुमार बहुत होशियार थे। शीघ्र ही उन्होंने सभी विद्याएं सीख ली तथा अस्त्र-शस्त्र में भी निपुण हो गए। राम इन में सबसे श्रेष्ठ थे। सबसे बड़े पुत्र होने के कारण वे राजा दशरथ को भी बहुत प्रिय थे। जब ये बड़े हुए तो इन के विवाह के लिए सुयोग्य वधुओं के संबंध में पुरोहितों से भी चर्चा होने लगी।
एक दिन राजा दशरथ राजमहल में चर्चा में व्यस्त थे कि द्वारपाल ने उन्हें आकर बताया कि महर्षि विश्वामित्र आए है। राजा दशरथ स्वयं उन्हें लेने द्वार पर गए और उन्हें दरवार में ऊँचे आसन पर बैठाया। विश्वामित्र स्वयं भी राजा थे परंतु उन्होंने संन्यास ले लिया था और जंगल में सिद्धाश्रम में रहते थे। वे राजा दशरथ से सिद्धि के लिए किए जा रहे अपने यज्ञ की राक्षसों से रक्षा करने के लिए राम को मांगते हैं। दशरथ को राम बहुत प्रिय थे। वे विश्वामित्र को अपनी सेना देने के लिए कहते हैं। परंतु वे केवल राम को ही ले जाना चाहते हैं। मुनि वशिष्ठ के समझाने पर वे राम को भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं, परंतु साथ में लक्ष्मण को ले जाने के लिए भी कहते हैं। विश्वामित्र दोनों भाइयों को लेकर चले जाते हैं।