भारत का विभाजन, रियासतों का एकीकरण एवं विस्थापितों का पुनर्वास Class 9 इतिहास Chapter 8 Important Question Answer – हमारा भारत IV HBSE Solution

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भारत का विभाजन, रियासतों का एकीकरण एवं विस्थापितों का पुनर्वास Class 9 इतिहास Chapter 8 Important Question Answer


प्रश्न 1. भारत का विभाजन किन कारणों से हुआ?

उत्तर – भारत का विभाजन निम्नलिखित कारणों से हुआ :-

1. अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति – भारत में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए अंग्रेज़ों ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को अपनाया। 1857 ई. के स्वतन्त्रता संग्राम के पश्चात् भारत में अंग्रेज़ों ने मुसलमानों का पक्ष लेना और साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देना आरम्भ कर दिया। उन्होंने हिन्दुओं तथा मुसलमानों में आपसी फूट डालने का हर सम्भव प्रयास किया। इस नीति के परिणामस्वरूप ही 1947 ई. में भारत का विभाजन हुआ।

2. मुस्लिम लीग की सांप्रदायिक विचारधारा – भारत के विभाजन का मुख्य कारण मुस्लिम लीग की सांप्रदायिक विचारधारा थी। मुस्लिम लीग ने अपने उद्देश्य में स्पष्ट कर दिया था कि भारतीय मुसलमानों के पृथक राजनीतिक अस्तित्व के रूप में उनके हितों की रक्षा करेगी। 1939 ई. में जब ब्रिटिश सरकार की मनमानी नीति के विरोध में कांग्रेस के मन्त्रीमण्डल ने त्याग पत्र दे दिया तो जिन्ना ने मुसलमानों को ‘मुक्ति दिवस’ मनाने के लिए कहा। 1940 में मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए पृथक स्वतन्त्र देश पाकिस्तान की मांग संबंधी प्रस्ताव पास करके अलग स्वतन्त्र राज्य के लिए संघर्ष करना आरम्भ कर दिया। जिसके कारण विभाजन हुआ।

3. जिन्ना की हठधर्मिता – मोहम्मद अली जिन्ना बहुत ही महत्वाकांक्षी व्यक्ति था, वह अपनी हठधर्मिता पर चलते हुए लंदन के तीनों गोलमेज सम्मेलनों में साम्प्रदायिकता का राग अलापता रहा। वह हर उस प्रस्ताव का विरोध करता रहा जिसमें पाकिस्तान का समर्थन नहीं था। उसने दंगे व कत्लेआम करवाकर कांग्रेस पर दबाव बनाया तथा पाकिस्तान बनवाने में सफल हो गया।

4. कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति – मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के मार्ग में बाधाएँ डालने की नीति अपनाई। दूसरी ओर कांग्रेस ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध मुस्लिम लीग का साथ चाहती थी। इनसे सांप्रदायिकता को बढ़ावा मिला। देश में साम्प्रदायिक दंगे भड़क रहे थे, जिनके पीछे मुस्लिम लीग का ही हाथ था। कांग्रेस को अब यह विश्वास हो गया था कि देश की शान्ति एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए देश के बंटवारे को स्वीकार करना आवश्यक है।

5. मुस्लिम लीग की प्रत्यक्ष कार्यवाही एवं साम्प्रदायिक दंगे – मुस्लिम लीग पाकिस्तान का निर्माण करने एवं सत्ता प्राप्त करने के लिए बेचैन हो रही थी। उसने कैबिनेट मिशन योजना को अस्वीकार कर दिया और 16 अगस्त, 1946 ई. को प्रत्यक्ष कार्यवाही की घोषणा कर दी। उस दिन बंगाल विशेषकर कलकत्ता में दंगे हुए। यहाँ मुसलमानों ने सैकड़ों हिन्दुओं की हत्या कर दी तथा उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया। शीघ्र ही साम्प्रदायिक दंगों की यह आग पूरे उत्तर भारत में फैल गई। ऐसी परिस्थिति में निर्दोष जनता के खून-खराबे को बंद करने के लिए कांग्रेस देश के विभाजन को स्वीकार करने के लिए तैयार हो गई।


प्रश्न 2. रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका पर विचार करें।

उत्तर – 4 जुलाई, 1947 ई. को सरदार पटेल द्वारा देशी शासकों से अपील की गई कि देश के सामूहिक हितों के लिए रियासतों को सुरक्षा, विदेशी मामलों तथा संचार सम्बन्धी विषयों पर भारतीय संघ में शामिल हो जाना चाहिए। तत्पश्चात् रियासतों के समायोजन सम्बन्धी पत्र तैयार किया गया। सरदार पटेल तथा उनके सचिव मेनन ने बहुत से शासकों से भेंट की और उनसे अधिमिलन सम्बन्धी पत्र पर हस्ताक्षर करने की अपील की। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप अधिकतर रियासतें स्वतंत्रता से पहले ही भारतीय संघ मे शामिल हो गईं। 15 अगस्त, 1947 ई. के पश्चात् भारत की स्वतन्त्र सरकार को रियासतों के सम्बन्ध में केवल जूनागढ़, हैदराबाद तथा कश्मीर की समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि इन रियासतों के शासकों ने भारतीय संघ में शामिल होने से मना कर दिया। सरदार पटेल के योगदान को देखते हुए उन्हें ‘लोह पुरुष’ की उपाधि दी गई।


प्रश्न 3. जूनागढ़ की रियासत का भारतीय संघ में विलय कैसे हुआ?

उत्तर – जूनागढ़ काठियावाड़ के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक प्रमुख रियासत थी। इस रियासत की कुल जनसंख्या का 80 प्रतिशत हिन्दू तथा 20 प्रतिशत मुसलमान थे। जूनागढ़ का नवाब मुसलमान था। जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने की घोषणा कर दी। नवाब की इस घोषणा का वहाँ की जनता ने घोर विरोध किया। जूनागढ़ के नवाब ने अपने पड़ोस की दो रियासतों में अपनी सेनाएँ भेज दी। ये दोनों रियासतें भारतीय संघ में शामिल हो चुकी थी। भारतीय सरकार ने इसका उचित उत्तर देने के लिए ब्रिगेडियर गुरदयाल सिंह के नेतृत्व में एक सेना भेज दी। ब्रिगेडियर गुरदयाल सिंह के नेतृत्व में सेना के पहुँचने पर नवाब ने पाकिस्तान से मदद की प्रार्थना की। मदद की कोई आशा न देखकर नवाब अपने परिवार तथा धन-दौलत सहित विमान द्वारा कराची चला गया। 20 फरवरी, 1948 ई. को जूनागढ़ में जनमत करवाया गया। इस जनमत में 99 प्रतिशत मत भारतीय संघ में सम्मिलित होने के पक्ष में थे। इस प्रकार जूनागढ़ को भारतीय संघ में शामिल किया गया।


प्रश्न 4.  हैदराबाद की रियासत भारतीय संघ में कैसे शामिल हुई?

उत्तर – हैदराबाद भारत की बड़ी रियासतों में से एक थी। 1947 ई. में मीर उसमान अली खाँ बहादुर, हैदराबाद का निज़ाम (शासक) था। हैदराबाद की रियासत में 85 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दुओं की थी। निजाम किसी भी संघ में शामिल नहीं होना चाहता था। उसने भारतीय संघ के सभी प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया। निज़ाम ने लार्ड माउंटबेटन की हैदराबाद में जनमत करवाने की मांग भी अस्वीकार कर दी। 29 नवम्बर, 1947 ई. में भारत की स्वतन्त्र सरकार और निज़ाम के बीच एक समझौता हो गया। इसके अनुसार भारत सरकार तथा निज़ाम दोनों ने मित्रतापूर्ण व्यवहार करते हुए एक दूसरे के हितों में काम करने का वचन दिया परन्तु हैदराबाद का निजाम अधिक समय तक इस समझौते की शर्तों पर टिक न सका। उसने अपने फरमानों द्वारा हैदराबाद से भारत जाने वाली सभी मूल्यवान धातुओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया। साथ ही उसने भारतीय सिक्कों को भी अवैध घोषित कर दिया। इसके अतिरिक्त हैदराबाद के निज़ाम ने भारतीय सरकार की स्वीकृति के बिना रियासत की सेना की संख्या भी बढ़ा दी। रज़ाकारों ने हैदराबाद के मुसलमानों को भड़काना आरम्भ कर दिया। अन्त में विवश होकर भारत सरकार ने हैदराबाद के निज़ाम के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही करने का निश्चय किया। 13 सितम्बर, 1948 ई. को मेजर जनरल जे. एन. चौधरी के नेतृत्व में सेना हैदराबाद भेजी गई । 18 सितम्बर, 1948 ई. को भारतीय सेना हैदराबाद में प्रवेश कर गई और उस पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात् निज़ाम ने भारतीय संघ में शामिल होने की घोषणा कर दी।


प्रश्न 5. कश्मीर की रियासत का भारतीय संघ में विलय पर चर्चा करें?

उत्तर – कश्मीर भारत के उत्तर में स्थित एक बड़ी रियासत थी। इस रियासत के शासक महाराजा हरि सिंह हिंदू थे। रियासत की बहुसंख्यक आबादी मुसलमानों की थी। इस रियासत की सीमाएँ भारत तथा पाकिस्तान दोनों के साथ लगती थी। इसलिए दोनों देश इसे अपने देश में शामिल करने के इच्छुक थे, परन्तु कश्मीर का शासक किसी भी देश में शामिल नहीं होना चाहता था। कश्मीर की रियासत को अपने साथ मिलाने हेतु विवश करने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने कश्मीर की आर्थिक नाकेबन्दी कर दी। पाकिस्तान ने कश्मीर को अनाज, पेट्रोल तथा कई अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बन्द कर दी। सीमावर्ती क्षेत्रों में कबाइलियों द्वारा गड़बड़ी करवानी आरम्भ कर दी। 22 अक्टूबर, 1947 ई. को पाकिस्तान ने कश्मीर पर कबाइली हमला करवा दिया। जम्मू कश्मीर की सेना ने कर्नल नारायण सिंह के नेतृत्व में कबाइलियों का मुकाबला किया। लड़ाई के दौरान रियासत के कुछ मुसलमान सैनिक भी कबाइलियों के साथ मिल गये। परिणामस्वरूप कबाइलियों ने रियासत के कई सीमावर्ती क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया तथा श्रीनगर की बिजली सप्लाई बन्द कर दी। ऐसी परिस्थितियों में कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 ई. को भारत की सरकार से सैनिक सहायता की अपील की और अपनी रियासत को भारतीय संघ में शामिल करना स्वीकार कर लिया।


प्रश्न 6. विस्थापितों की समस्याओं का वर्णन करें। (5 mark )

उत्तर

विस्थापितों की समस्याएँ – विभाजन के कारण सबसे अधिक दुःख एवं मुसीबतें पाकिस्तान से विस्थापित हुए हिन्दुओं और सिक्खों को सहनी पड़ी। विस्थापित होकर भारत आए इन लोगों की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित थीं :

  1. पहली समस्या विस्थापितों के लिए निवास स्थान उपलब्ध करवाने की थी। लाखों की संख्या में हिन्दू तथा सिक्ख अपने-अपने गाँव, शहर तथा घरों को छोड़ कर भारत आ गए थे। उनके पास भारत आने पर न घर था न ही छत जिसके नीचे रहकर वे अपना जीवन व्यतीत कर सकें।
  2. विस्थापितों की दूसरी बड़ी समस्या भोजन, वस्त्र तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की थी। पाकिस्तान से भारत आते हुए इन लोगों की धन-संपत्ति भी लूट ली गई थी। अब इनके पास भोजन, वस्त्र तथा अन्य आवश्यक वस्तुएँ खरीदने के लिए धन भी नहीं था।
  3. तीसरी समस्या जमीन की थी। जो सिक्ख तथा हिन्दू जमींदार पाकिस्तान से भारत आए थे, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा था। भारत आने पर उनके पास कोई जमीन नहीं थी जिस पर वे खेती कर सकें जबकि पाकिस्तान में उनके पास कृषि योग्य उपजाऊ जमीन थी।
  4. चौथी समस्या रोजगार एवं व्यवसाय की थी। अधिकतर हिन्दू तथा सिक्ख विस्थापित पाकिस्तान के शहरों में रहने वाले थे और वहां उनका अच्छा व्यापार चलता था। इनमें कई अमीर साहूकार एवं व्यापारी थे। अनेक लोगों के पाकिस्तान में अपने उद्योग धन्धे थे।
  5. विस्थापितों की पांचवीं समस्या बिछुड़े हुए अपनों से मिलने की थी। भारत विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आ रहे हिन्दू तथा सिक्ख विस्थापितों के परिवार बिखर गए। विस्थापन के अराजक माहौल में कई परिवारों से उनके सदस्य बिछड़ गए। ये लोग या तो दंगे की भेंट चढ़ गए या उन्हें बलपूर्वक मुसलमान बना दिया गया।

प्रश्न 7. विस्थापितों की समस्याओं का वर्णन करें। (2 Marks )

उत्तर

  • निवास स्थान ।
  • भोजन, वस्त्र व आवश्यक सामग्री।
  • कृषि योग्य भूमि ।
  • व्यवसाय व रोजगार।
  • बिछड़े व बिखरे परिवार
  • स्वास्थ्य

प्रश्न 8.  भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ई. की मुख्य धाराएं कौन सी थी?

उत्तर

जुलाई 1947 ई. में ब्रिटिश संसद में भारत को स्वतन्त्रता की प्राप्ति ‘भारत स्वतंत्रता अधिनियम’ पारित किया गया। इस अधिनियम की मुख्य धाराएँ निम्नलिखित थी:

  • 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत तथा पाकिस्तान दो नये अधिराज्य बना दिए जाएंगे।
  • इन दोनों अधिराज्यों की सीमाएँ निश्चित कर दी गई।
  • दोनों अधिराज्यों का एक-एक गवर्नर-जनरल होगा। यदि दोनों अधिराज्य सहमत हों तो एक ही व्यक्ति को दोनों अधिराज्यों का गवर्नर-जनरल नियुक्त किया जा सकता है।
  • यह निश्चित किया गया कि दोनों अधिराज्यों की संविधान सभाएँ जब तक अपने-अपने अधिराज्य का संविधान नहीं बना लेती, तब तक विधानमण्डल की सारी शक्तियाँ सभा के पास रहेंगी।
  • 15 अगस्त, 1947 ई. के पश्चात् ब्रिटिश सरकार का किसी भी अधिराज्य पर अधिकार नहीं होगा।
  • देशी रियासतों को भारत अथवा पाकिस्तान में सम्मिलित होने की स्वतन्त्रता दी गई और यदि ये रियासतें चाहें तो दोनों से अलग भी रह सकती हैं।

 

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