भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन Class 10 इतिहास Chapter 8 Important Question Answer – भारत एवं विश्व HBSE Solution

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भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन Class 10 इतिहास Chapter 8 Important Question Answer


प्रश्न 1. 1857 की क्रांति किन कारणों से हुई थी?
OR
1857 की क्रांति के मुख्य कारण क्या थे ? (HBSE 2023)

उत्तर – 1857 ई. की क्रांति के निम्नलिखित कारण थे –

  • अंग्रेजों ने भारतीय किसानों, हस्तशिल्प उद्योगों और देसी रियासतों को बर्बाद कर दिया।
  • उनकी दमनकारी नीतियों से लोग परेशान हो चुके थे।
  • सेना में भारतीय सैनिकों के साथ भेदभाव किया जाता था।
  • ईसाई मत के प्रचार से तथा भारतीय धर्म व संस्कृति का उपहास करने से भारतीय जनता बहुत दुखी हुई।
  • ज्यादा धन इंग्लैंड भेजने की वजह से देश में धन की कमी होने लगी।

प्रश्न 2. क्रांतिकारियों की गतिविधियों के मुख्य केन्द्र कौन-कौन से थे?

उत्तर – क्रांतिकारियों की गतिविधियों के मुख्य केंद्र दिल्ली, लखनऊ, इलाहाबाद, झांसी, ग्वालियर, कानपुर, रेवाड़ी, झज्जर, बल्लभगढ़, पटना इत्यादि थे।


प्रश्न 3. आजाद हिन्द फौज की स्वतंत्रता आंदोलन की क्या भूमिका थी?

उत्तर – आजाद हिंद फौज के आंदोलन का प्रभाव राष्ट्रीय आंदोलन और भारतीय सेना पर भी पड़ा। जिससे सेना में अशांति फैल गई। भारतीय सैनिकों के साथ हो रहे बुरे बर्ताव के लिए भारतीय सैनिकों ने आंदोलन किया। तलवार नामक जहाज से भारतीय सैनिकों ने ‘जय हिंद’, ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘हिंदू मुस्लिम एक हो’, ‘ ब्रिटिश साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’, ‘ब्रिटिश साम्राज्यवाद का नाश हो’ के नारे लगाए। आजाद हिंद फौज की लहर सारे देश में फैल गई। जिससे भारतीय जनता अंग्रेजों का विरोध करने लगी।


प्रश्न 4. स्वतंत्रता आंदोलन में स्वदेशी व बहिष्कार क्यों महत्वपूर्ण थें?

उत्तर – ब्रिटिश सरकार भारतीयों का शोषण कर रही थी। औद्योगिक क्रांति के चलते इंग्लैंड से आने वाला कपड़ा भारत में बिकने की वजह से सारा पैसा इंग्लैंड जा रहा था। इसीलिए स्वतंत्रता आंदोलन में स्वदेशी कपड़े को अपनाया गया ताकि देश का पैसा देश में ही रहे। इसके साथ ही विदेशी कपड़े का बहिष्कार किया गया और खादी जैसे वस्त्र का प्रचलन बढ़ गया। अंग्रेजों की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने के लिए भी यह कदम बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुआ।


प्रश्न 5. भारतीय किसानों ने नील विद्रोह क्यों किया? 

उत्तर –  नील की यूरोप में विशेष मांग थी, इसलिए लालची ब्रिटिश व्यापारियों व जमींदारों ने बंगाल में किसानों से जबरन नील की खेती करवाई गई, जिससे त्रस्त होकर बंगाल के गाँव के किसान एकजुट हो गए तथा उन्होंने नीलहो (अंग्रेजी जमींदारों) के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। जिसे नील विद्रोह भी कहा जाता है।


प्रश्न 6. असहयोग आंदोलन का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर – प्रथम विश्व युद्ध के बाद रोलट एक्ट, जलियांवाला बाग नरसंहार जैसी परिस्थितियों में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया। उन्होंने भारत सरकार के सभी मेडल व पुरस्कार लौटा दिए। उन्होंने सरकार द्वारा दी गई केसर-ए-हिंद की उपाधि भी वापस कर दी। इनका अनुसरण करते हुए सैकड़ों देशभक्तों ने अपनी उपाधियाँ व पदवियों को छोड़ दिया। लाला लाजपत राय, सी. आर. दास, मोतीलाल नेहरू, वल्ल्भ भाई पटेल और राजेंद्र प्रसाद जैसे प्रसिद्ध वकीलों ने अपनी वकालत छोड़ दी। बहुत से छात्रों ने सरकारी स्कूलों को छोड़ दिया और वे राष्ट्रीय स्कूलों में भर्ती हो गए। कार्यक्रम के अनुसार विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया गया, विदेशी कपड़े के स्थान पर खादी को अपनाया गया और चरखे का प्रचलन बढ़ गया। सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के लिए दमन-चक्र का सहारा लिया। बड़े-बड़े नेताओं को बंदी बना लिया गया। लोगों पर तरह-तरह के अत्याचार किए गए। कुछ ही महीनों में कैद किए हुए लोगों की संख्या तीस हजार के पार हो गई। सरकार ने इस आंदोलन को जितना दबाया, यह आंदोलन उतना ही जोर पकड़ता चला गया। 5 फरवरी 1922 ई. को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में चौरी-चौरा के स्थान पर लोगों की उत्तेजित भीड़ ने एक पुलिस चौकी को आग लगा दी जिसमें एक थानेदार और 21 सिपाही जल कर मर गए। महात्मा गांधी ने इस घटना से दुःखी होकर असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया।


प्रश्न 7. अगस्त क्रांति क्या थी?

उत्तर – भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव के पास होने के अगले दिन ही कांग्रेस के मुख्य नेताओं जैसे गांधी जी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, अबुल कलाम आजाद, राजेंद्र प्रसाद, पट्टाभिसीतारमैया आदि नेताओं को बंदी बना लिया गया। इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन में वकीलों, अध्यापकों, व्यापारियों, डाक्टरों, पत्रकारों, मजदूरों, विद्यार्थियों व स्त्रियों ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया। विभिन्न नगरों में सभाएँ की गई एवं जुलूस निकाले गए। लगभग एक सप्ताह के लिए कामकाज पूरी तरह बंद रहा। अंग्रेजी सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए दमन की नीति का सहारा लिया। सरकार ने शांतिपूर्ण जुलूसों पर गोलियाँ चलाई व लाठीचार्ज किया। सरकारी सूत्रों के अनुसार 538 अवसरों पर निहत्थे लोगों पर पुलिस ने गोलियाँ चलाई। एक लाख से अधिक स्त्री-पुरुषों को बंदी बना लिया गया। प्रदर्शनकारियों पर भारी जुर्माने किए गए, देश में चारों और अराजकता और अशांति फैल गई। लोगों ने हिंसा का उत्तर हिंसा से दिया। कई सरकारी भवनों व पुलिस स्टेशनों को जला दिया गया, तार की लाइनें काट दी गईं। यह आंदोलन अगस्त क्रांति’ के नाम से जाना जाता है।


प्रश्न 8. 1857 ई० की क्रान्ति को महान स्वतन्त्रता संघर्ष क्यों कहा गया ? (HBSE 2023)

उत्तर – ब्रिटिश कंपनी की दमनकारी भूमि-राजस्व नीतियों के कारण किसानों की स्थिति दयनीय हो गई। साथ ही हस्तशिल्प उद्योगों के पतन के कारण शिल्पकार स्वयं विनाश के कगार पर आ गये। वेलेस्ली, हेस्टिंग्स और डलहौजी की साम्राज्यवादी नीतियों के कारण देशी शासकों से रियासतें छिन जाने से राजा और उनकी प्रजा विद्रोही होने लगी। सेना में सैनिकों के साथ होने वाले भेदभाव से उनका गुस्सा भड़क उठा। ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार तथा भारतीय धर्म एवं संस्कृति का उपहास करने से भारतीय जनता आहत हुई। धन के बह जाने से भारत गरीब हो गया। इन सबके परिणामस्वरूप जीवंत एवं आत्म-स्पंदित राष्ट्र ने प्रयास किया और 1857 में ब्रिटिश सत्ता की बेड़ियों से मुक्त होने के लिए सभी वर्गों, धर्मों, क्षेत्रों, रंगों एवं जातियों के लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से संगठित होकर कार्य किया। और एक वर्ष तक ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष किया। इसी कारण 1857 के विद्रोह को स्वतंत्रता का महान संघर्ष कहा जाता है।


प्रश्न 9. साइमन कमीशन के विरोध पर संक्षिप्त नोट लिखिए। (HBSE 2023)

उत्तर – 1928 ई. में सात सदस्यों (सभी अंग्रेज) वाला एक कमीशन आया, जिसके प्रधान सर जॉन साइमन थे। इस कमीशन का सम्पूर्ण भारत में विरोध हुआ ‘साइमन वापस जाओ’ के नारों से सारा भारत गूँज उठा। 30 अक्टूबर 1928 ई. को लाहौर में साइमन कमीशन का विरोध करते हुये लाला लाजपत राय पर बर्बर लाठीचार्ज से उनकी मौत हो गई । राजगुरु व भगत सिंह ने सांडर्स को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया तथा लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया।


प्रश्न 10. स्वतंत्रता आंदोलन में स्वदेशी व बहिष्कार क्यों महत्वपूर्ण थें? (HBSE 2023)

उत्तर – ब्रिटिश सरकार भारतीयों का शोषण कर रही थी। औद्योगिक क्रांति के चलते इंग्लैंड से आने वाला कपड़ा भारत में बिकने की वजह से सारा पैसा इंग्लैंड जा रहा था। इसीलिए स्वतंत्रता आंदोलन में स्वदेशी कपड़े को अपनाया गया ताकि देश का पैसा देश में ही रहे। इसके साथ ही विदेशी कपड़े का बहिष्कार किया गया और खादी जैसे वस्त्र का प्रचलन बढ़ गया। अंग्रेजों की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने के लिए भी यह कदम बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुआ।

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