भारत पर विदेशी आक्रमण Class 10 इतिहास Chapter 6 Question Answer – भारत एवं विश्व HBSE Solution

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भारत पर विदेशी आक्रमण Class 10 इतिहास Chapter 6 Question Answer


प्रस्तुत अध्याय में दी गई जानकारी के आधार पर निम्न प्रश्नों के जवाब दें।


प्रश्न 1. अरबों ने भारत पर पहला आक्रमण कब किया?

उत्तर – अरबों ने भारत पर पहला आक्रमण 636 ई. में किया।


प्रश्न 2. 712 ई. में अविभाजित भारत के सिंध प्रदेश के हिन्दू राजा का क्या नाम था ?

उत्तर – राजा दाहिर।


प्रश्न 3. अरबों को सिंध को जीतने में कितने वर्ष लगे ?

उत्तर – 75 वर्ष।


प्रश्न 4. महमूद गजनवी द्वारा भारत पर कुल कितनी बार आक्रमण किया गया?

उत्तर – 17 बार।


प्रश्न 5. विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर कौन से राज्य में स्थित है?

उत्तर – सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य में स्थित है।


प्रश्न 6. 1191 ई. में तराइन के मैदान में किस-किस के मध्य युद्ध हुआ?

उत्तर – महमूद गौरी और पृथ्वीराज चौहान तृतीय के बीच मे।


प्रश्न 7. मंगोलों का सबसे शक्तिशाली नेतृत्व किस ने किया था?

उत्तर – चंगेज खान ने ‌


प्रश्न 8. पानीपत की प्रथम लड़ाई कब हुई थी ?

उत्तर – 1526 ईसवी में।


प्रश्न 9. भारत से कोहिनूर हीरे को लूटने वाले आक्रमणकारी का क्या नाम था ?

उत्तर – नादिरशाह (ईरान से)।


प्रश्न 10. पानीपत की तीसरी लड़ाई कब हुई थी?

उत्तर – 14 जनवरी 1761 ई. में।


आओ जानें :-


प्रश्न 1. पश्चिम से भारत में प्रवेश के मुख्य मार्ग कौन से थे? दरों से आप क्या समझते है ?

उत्तर – पश्चिम से भारत में प्रवेश करने के तीन मुख्य मार्ग थे।

  1. समुद्र मार्ग से पश्चिमी तट पर पहुँचना।
  2. उत्तर पश्चिम में खैबर, गोमल एवं बोलन के दरों का।
  3. मकरान मरु प्रदेश का समतली भाग।

इन मार्गों से ही विदेशी भारत में दाखिल होते थे।

दर्रा : पहाड़ो एवं पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले आवागमन के प्राकृतिक मार्गों को दर्रा कहा जाता है।


प्रश्न 2. महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमणों के पीछे क्या उद्देश्य थे?

उत्तर – महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के पीछे मुख्य तहत दो उद्देश्य थे –

  1. भारत में इस्लाम धर्म का प्रसार
  2. भारत की धन संपदा को लूटना।

इन्हीं उद्देश्यों से महमूद गजनवी ने भारत पर 17 आक्रमण किए। वह भारत में इस्लाम का प्रचार करके मुस्लिम जगत में प्रसिद्धि प्राप्त करना चाहता था।


प्रश्न 3. तराइन के युद्ध कब और किसके मध्य हुए थे?

उत्तर – तराइन के दो युद्ध लड़े गए, जो इस प्रकार हैं-

  1. तराइन का पहला युद्ध (1191 ई. में) – तराइन का पहला युद्ध मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच लड़ा गया। पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह पराजित किया और वह जान बचाकर भाग गया।
  2. तराइन का दूसरा युद्ध (1192 ई. में) – तराइन का दूसरा युद्ध मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच लड़ा गया इस युद्ध में भी पृथ्वीराज चौहान ने अपनी वीरता का परिचय दिया लेकिन वह हार गया।

प्रश्न 4.‌ मुहम्मद गौरी की भारत में सर्वप्रथम हार कहां व कैसे हुई ?

उत्तर – मुहम्मद गौरी की भारत में पहली पराजय 1178-79 ई. में गुजरात में हुई। उस समय गुजरात पर चालुक्य वंश के शासक मूलराज द्वितीय का शासन था। मुहम्मद गौरी ने दक्षिण राजपूताना होते हुए अन्हिलवाड़ा (पाटन) पर आक्रमण किया था। मूलराज द्वितीय एवं भीम द्वितीय की साहसी माँ नायिका देवी के नेतृत्व में अन्हिलवाड़ा की सेना ने आबू पर्वत के निकट कायाद्रां नामक स्थान पर मुहम्मद गौरी का सामना किया। मोहम्मद गौरी की सेना पूर्ण रूप से पराजित हुई। मुहम्मद गौरी किसी प्रकार से गुजरात से अपनी पराजित सेना सहित भाग निकला। यह मुहम्मद गौरी की भारत में पहली पराजय थी।


चर्चा करें


प्रश्न 1. पानीपत की प्रथम लड़ाई का संक्षिप्त विवरण लिखें।

उत्तर – पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल 1526 ई. को बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच लड़ी गई। इब्राहिम लोदी दिल्ली का शासक था जबकि बाबर एशिया में स्थित फरगना का शासक था। इस युद्ध में बाबर की जीत हुई और उसने इब्राहिम लोदी को हराकर मार दिया तथा दिल्ली की सल्तनत को समाप्त कर दिया। बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की।


प्रश्न 2. महमूद गजनवी के द्वारा किये गए आक्रमणों के प्रतिरोधों का वर्णन करें।

उत्तर – महमूद गजनवी के द्वारा किए गए आक्रमणों का हिंदूशाही शासकों ने विरोध किया। 1001 ई. में महमूद गजनी का सामना हिंदू शासक जयपाल से हुआ। इस युद्ध में जयपाल वीरतापूर्ण लड़ा लेकिन पराजित हुआ।
1025 ई. में जब गजनी सोमनाथ मंदिर को लूट कर ले जा रहा था। तब उसका सामना सिंध प्रदेश के जाटों से हुआ। यद्यपि जाट वीरता पूर्वक लड़े किंतु वे बहुमूल्य सामान ले जाने से उसे रोक ना पाए। महमूद गजनवी ने हिंदू धर्म के बहुत सारे मंदिरों को नष्ट किया और उनसे बहुमूल्य चीजें लूटकर ले गया। जिसके कारण हिंदुओं ने उसका बहुत विरोध किया। उसके साथ युद्ध लड़े और जहां तक हो सका, अपने मंदिरों की रक्षा की।


प्रश्न 3. नादिरशाह द्वारा दिल्ली की जनता पर किये गए अत्याचारों का उल्लेख करें।

उत्तर – नादिरशाह एक ईरानी आक्रमणकारी था। भारत में मुगलों की कमजोर हो चुकी स्थिति का लाभ उठाते हुए नादिरशाह ने 1739 ई. में भारत पर आक्रमण कर दिया। इस समय दिल्ली में मुगल बादशाह मुहम्मद शाह का शासन था। उसकी सेना को नादिरशाह ने 24 फरवरी 1739 ई. में करनाल के युद्ध में नादिरशाह ने पराजित कर दिया। नादिरशाह लगभग दो मास दिल्ली में रहा। उसने दिल्ली में कत्लेआम मचा दिया। उसके सैनिकों ने स्त्री, बच्चों और बूढ़ों तक को नहीं छोड़ा। तीन दिन तक दिल्ली में लूटपाट व कत्लेआम चलता रहा। तीन दिन में ही दिल्ली के साधारण जन से ही तीन करोड़ रुपए लूट लिए गए। नादिरशाह भारत से प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा व मयूर सिंहासन लेकर ईरान वापस लौट गया।


प्रश्न 4. सोमनाथ मंदिर के विध्वंस पर एक लेख लिखें।

उत्तर – सोमनाथ मंदिर के विध्वंस के पीछे महमूद गजनवी का हाथ है। महमूद गजनवी अफगान का शासक था। भारत को लूटने के इरादे से वह भारत पर आक्रमण करता था। 1025 ई. में महमूद गजनवी ने गुजरात स्थित सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया। इस मंदिर में भारी धनराशि, हीरे, जवाहरात थे। मंदिर की आय का स्रोत दस हजार गाँवों का राजस्व था। मंदिर में एक सोने की घंटी लगी थी जिसका वजन कई मण था। भगवान सोमनाथ की मूर्ति पर बने छत्र पर भी हजारों बहुमूल्य रत्न जड़े थे। महमूद गजनवी ने इस मंदिर की पवित्रता भंग करने व धन को लूटने के लिए सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया। उसे हिन्दुओं के भारी प्रतिरोध के कारण सोमनाथ के मंदिर पर अधिकार करने में तीन दिन लगे। महमूद गजनवी द्वारा प्रतिरोध कर रहे अनेकों हिन्दुओं की हत्या कर दी गई। तत्पश्चात् महमूद ने मंदिर को लूटा तथा भगवान सोमनाथ की मूर्ति को गदा के प्रहार से तोड़ दिया। यहाँ से प्राप्त धन को महमूद ऊँटों पर लादकर गजनी ले गया था। जब वह गज़नी लौट रहा था तो सिंध के जाटों ने उसका रास्ता रोक लिया। लेकिन वह किसी तरह भारत से धन गज़नी ले जाने में सफल रहा।


प्रश्न 5. विदेशी आक्रमणों के भारत पर कौन-कौन से प्रभाव पड़े?

उत्तर – भारत में विदेशी आक्रमणों के निम्नलिखित प्रभाव पड़े –

  1. इस्लाम का प्रसार – अरबों व तुर्कों में नया धार्मिक जोश था और उन्होंने इस्लाम को फैलाने के लिए ही भारत पर आक्रमण किया था।
  2. जन-धन की हानि – गज़नवी ने भारत पर 1000 ई. से 1025 ई. में अनेक बार आक्रमण किए। नगरकोट, कन्नौज, मथुरा और सोमनाथ से वह अपार सम्पदा ले जाने में सफल रहा। बहुत सारे लोगों को उसने मौत के घाट उतार दिया।
  3. कमज़ोर युद्ध नीति – तुर्क आक्रमण के समय भारतीयों की कमजोर युद्धनीति उजागर हुई। भारतीय शासक सेना में अधिकांश हाथियों का प्रयोग करते थे जबकि तुर्कों के पास अश्व सेना अधिक थी। भारतीयों का सैन्य संगठन कमजोर था।
  4. कला एवं साहित्य को आघात – गजनवी ने आक्रमणों में थानेश्वर, नगरकोट, मथुरा, कन्नौज, सोमनाथ में इमारतों, धर्मस्थलों और मन्दिरों को तोड़ा। वह अनेक उच्चकोटि के कलाकारों और शिल्पकारों को अपने साथ गज़नी ले गया और उन्हें मौत के घाट उतार दिया।
  5. भारत में तुर्क सता की स्थापना – तुर्क आक्रमणों से भारत में तुर्क सता की स्थापना हुई। तराईन के दूसरे युद्ध के बाद तो उसने दिल्ली, कन्नौज, अजमेर, मथुरा और गुजरात पर अधिकार कर लिया।
  6. भारत में इस्लामी राज्य की स्थापना –  तुर्क शासन की स्थापना के बाद अब सुल्तान सत्ता का सर्वेसर्वा बन गया। दिल्ली के सुल्तान की शक्ति पहले के भारतीय राजाओं से भिन्न और अधिक थी। सुल्तानों के अधीन जिन राज्य अथवा सल्तनत की स्थपना हुई उसकी प्रकृति इस्लामी राज्य की थी जिसमें उलेमाओं का प्रभाव था।
  7. सामन्ती प्रथा का पतन – तुर्कों के आक्रमण के बाद राजपूत कालीन सामन्ती व्यवस्था का पतन हो गया। सारा अधिकार सुल्तान के हाथ में केन्द्रित था। इससे इस काल में राजनीतिक और आर्थिक एकीकरण हुआ।
  8. इस्लामी स्थापत्य का विकास – तुर्क आक्रमण के प्रभाव से भारतीय स्थापत्य कला को नुकसान हुआ। ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ नामक मस्जिद का निर्माण इसी कला से हुआ। इस नई स्थापत्य कला में चूना मिश्रित नए मसालों का प्रयोग भवनों के निर्माण में हुआ।
  9. शिक्षा और भाषा पर प्रभाव – तुर्कों के आगमन से भारतीय शिक्षा केन्द्रों का ह्रास हुआ तथा शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग प्रणाली की शुरुआत हुई जिसे मदरसा प्रणाली कहते हैं। यह शिक्षा मस्जिदों में दी जाती थी। इस्लाम में शिक्षक विद्यार्थी के घर जाकर भी शिक्षा प्रदान कर सकता था।

आइये विचार करें एवं प्रकाश डालें


प्रश्न 1. अगर भारत पर विदेशी आक्रमण न हुए होते तो वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की क्या स्थिति होती?

उत्तर – यदि भारत पर विदेशी आक्रमण ना हुए होते तो आज भारत विश्व के सबसे अमीर देशों में से एक होता। भारत में गरीबी का नामोनिशान ना होता। और यह बात भी सत्य है कि यदि भारत पर आक्रमण ना हुए होते तो भारत कभी भी एक अखंड भारत ना होता, भारत में लोकतंत्र ना होता,‌ सभी अपनी अपनी रियासतों में राज करते।


प्रश्न 2. विदेशी आक्रमणों की सफलता और भारतीयों की उन्हें रोक पाने में विफलता के क्या कारण रहे होंगे?

उत्तर – विदेशी आक्रमणों की सफलता और भारतीयों की उन्हें रोक पाने में विफलता के कुछ कारण इस प्रकार है –
1. भारतीयों के आदर्श
2. अपनों का विश्वासघात
3. विदेशी आक्रमणकारियों की अनैतिक युद्ध नीति व घुड़सेना
4. विदेशी आक्रमणकारियों के पास प्रशिक्षित तीरंदाजी टुकड़ी का होना।


 

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